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अयोध्या और अमेठी में BJP को क्यों मिली हार? 40 टीमों को मिला समीक्षा का काम

BJP IN UP: लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा निराशा की खबर उत्तर प्रदेश से ही आई. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की वजह से पार्टी राज्य में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही थी. 

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अयोध्या और अमेठी में BJP को क्यों मिली हार? 40 टीमों को मिला समीक्षा का काम

UP में बीजेपी की हार के लिए 40 टीमें कर रही है समीक्षा

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लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) में बीजेपी को अपने मजबूत गढ़ उत्तर प्रदेश में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली है. पार्टी (BJP) के लिए कई सीटों पर अपनी हार पचाना मुश्किल हो रहा है. पार्टी को अयोध्या में करारी हार मिली, जबकि कांग्रेस एक बार फिर अमेठी सीट पर जीतने में सफल रही है. अमेठी में 2019 में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराया था, लेकिन इस बार खुद 1.5 लाख से ज्यादा वोटों से हार गई हैं.

अमेठी में स्मृति ईरानी (Smriti Irani) की सक्रियता 2014 के बाद से ही बनी है. इसके बाद भी वह गांधी फैमिली के खास किशोरी लाल शर्मा से हार गईं. अब इन दो सीटों पर हार की समीक्षा के लिए बीजेपी ने कुल 40 टीमें बनाई हैं. यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी इन दो सीटों की रिपोर्ट बनाएंगे.

40 टीमें कर रही हैं उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा 
उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 80 में से सिर्फ33 सीटों पर जीत मिली है. बीजेपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी यहां 65+ ज्यादा सीटों की उम्मीद कर रही थी. राम मंदिर, सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी की मजबूत छवि के दम पर पार्टी बड़ी जीत की उम्मीद में थी. बीजेपी को प्रदेश में हुए सीटों के नुकसान का असर केंद्र में भी झेलना पड़ रहा है. इस बार पार्टी अपने दम पर बहुमत का जादुई आंकड़ा नहीं छू पाई है.


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पश्चिमी यूपी के समीकरणों को साधने के लिए पार्टी ने रालोद के साथ गठबंधन भी किया था. इसके बावजूद पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है और इसकी समीक्षा के लिए 40 टीमें बनाई गई हें. 

हारने वाले उम्मीदवारों का तैयार होगा रिपोर्ट कार्ड 
राज्य में बीजेपी को इतने कम वोट क्यों पड़े इसे लेकर पार्टी समीक्षा कर रही है. खास तौर पर अयोध्या और अमेठी की सीट पर सीनियर नेताओं के नेतृत्व में पार्टी की बुरी हार की समीक्षा की जाएगी. इस समीक्षा में हारने वाले उम्मीदवारों के बारे में क्षेत्रवासियों के विचार, कार्यकर्ताओं, संगठनकर्ताओं के साथ संबंधों का भी मूल्यांकन किया जाएगा. बीजेपी के वोट किस पैटर्न पर कम हुए हैं, इसका भी विश्लेषण किया जा रहा है. 


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