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Kuno National Park में लाए गए चीतों की उम्र कितनी है? जानें कैसे रहेंगे खुले जंगल में

Kuno National Park Cheetah: नामीबिया से लाकर कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को शुरुआती कुछ दिनों तक छोटे बाड़े में ही रखकर निगरानी की जाएगी.

Kuno National Park में लाए गए चीतों की उम्र कितनी है? जानें कैसे रहेंगे खुले जंगल में

कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीते

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डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आज अपने जन्मदिन के मौके पर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में आठ चीते छोड़े. इन चीतों को नामीबिया से लाया गया है. इनमें तीन नर चीते और पांच मादा शामिल हैं. अलग माहौल और जलवायु वाले क्षेत्र से लाए गए चीतों को सुरक्षित रखने के लिए उनके खाने-पीने से लेकर उनके रहने तक की चीजों का खास ख्याल रखा गया है. कूनो नेशनल पार्क के आसपास के गांवों के 250 लोगों को चीता मित्र (Cheetah Mitra) बनाया गया है. इसके अलावा, चीतों के लिए खास बाड़े भी बनाए गए हैं. भारत से लुप्त हो चुके चीतों की प्रजाति को दोबारा विकसित करके कुछ सालों में 50 चीते करने का लक्ष्य रखा गया है.

कितनी है चीतों की उम्र?
नामीबिया से विशेष विमान से लाए गए इन चीतों में रेडियो कॉलर लगाए गए हैं जिनकी मदद से इन्हें ट्रैक किया जा सकेगा. पीएम नरेंद्र मोदी ने इनमें से तीन चीतों को कूनो नेशनल पार्क के विशेष बाड़ों में छोड़ा. इनमें दो नर चीतों की उम्र साढ़े पांच साल है और दोनों भाई-भाई हैं. कुल पांच मादा चीते हैं जिनमें से एक की उम्र दो साल, एक की ढाई साल, एक की तीन से चार साल और दो की उम्र पांच-पांच साल है.

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कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए इन चीतों को पहले 30 दिनों तक छोटे बाड़े के अंदर ही रखा जाएगा. इस दौरान उनकी सेहत पर नजर रखी जाएगी. दरअसल, नामीबिया और भारत की जलवायु में काफी अंतर है इसलिए पहले इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि चीतों को कोई समस्या न हो. इकोलॉजिकल बैलेंस बनाए रखने के लिए कम से कम 25-30 चीते होने चाहिए. यही वजह है कि आने वाले समय में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से और चीते लाकर यहां छोड़े जाएंगे.

चीता

चीतों को शेर से होता है खतरा
चीतों के बच्चे बड़ी मुश्किल से जिंदा रह पाते हैं. यही वजह है कि कई देशों में अब चीते बचे ही नहीं हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीतों के 95 प्रतिशत बच्चे वयस्क नहीं हो पाते हैं. इनके बचने की उम्मीद 36 फीसदी ही होती है. दरअसल, शेर, लकड़बग्घे, बबून और तमाम शिकारी जानवर चीतों के लिए काल की तरह होती हैं. इसके अलावा, संरक्षित क्षेत्र न होने की वजह से इंसानी दखल और शिकार भी इनके अस्तित्व पर खतरा पैदा करता है.

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इन्हीं खतरों से बचाने के लिए चीतों को कूनो नेशनल पार्क के ऐसे बड़े बाड़ों में छोड़ा जा रहा है जिनके चारों ओर फेंसिंग की गई है. यानी कुछ किलोमीटर दायरे वाले इन बाड़ों में चीतों के अलावा ऐसे ही जानवर रहेंगे जिनका वे शिकार कर सकें. या ऐसे जानवर रहें जो चीतों को नुकसान न पहुंचा सकें. इसमें शेर या लकड़बग्घे जैसे शिकारी जानवर नहीं रखे गए हैं.

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