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India China Conflict: चीन के दम पर आंखें दिखा रहा मालदीव, भारतीय सेना को हटाने के लिए रच रहा रोज नया पैंतरा 

Indian Army In Maldives: 1988 के दौर से भारतीय सेना मालदीव में तैनात है. हालांकि, अब वहां नई सरकार का गठन हो चुका है और चीन के करीबी समझे जाने वाले राष्ट्रपति अब बीजिंग की शह पर भारतीय सेना को अपने देश से निकालना चाहते हैं. 

India China Conflict: चीन के दम पर आंखें दिखा रहा मालदीव, भारतीय सेना को हटाने के लिए रच रहा रोज नया पैंतरा 

India Maldives Relation

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डीएनए हिंदी: मालदीव मे राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के नेतृत्व में नई सरकार के बनते ही भारत और मालदीव के बीच रिश्तों में दरार बढ़ती जा रही है. मुइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है और देश में अपनी सरकार के गठन के बाद से ही वह लगातार मालदीव में मौजूद भारतीय सेना को निकालने पर जोर दे रहे हैं. भारत और भारतीय सेना ने मालदीव में कई बार मदद पहुंचाने का काम किया है. इसके बावजूद भी चीन समर्थक राष्ट्रपति अब भारत से दूरी बनाने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं. इस वक्त भारत के सिर्फ 75 सैनिक ही मालदीव में हैं जो कि मुख्य तौर पर हिंद महासागर की निगरानी का काम करते हैं. इसके अलावा, मालदीव में जरूरत होने पर राहत और बचाव कार्य भी अंजाम देते हैं.

मालदीव सामरिक दृष्टिकोण से भारत के लिए बहुत अहम है और भारत चीन की बढ़ती आक्रामकता को देखते हुए इस इलाके में अपना नियंत्रण खोना नहीं चाहता है. भारत के लिए मालदीव से अच्छे संबंध रखना एक तरह से मजबूरी भी है. भारतीय सेना ने मालदीव में हमेशा ही राहत और बचाव कार्य अंजाम देने का काम किया है. कुछ समय पहले भारतीय नौसेना ने अपना एक डोर्नियर विमान और दो हेलीकॉप्टर मालदीव में तैनात किया था जो मुख्य रूप से 200 छोटे-छोटे द्वीपों के मरीजों को अस्पताल पहुंचाने का काम करते हैं.

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1988 से भारतीय सेना मालदीव में दे रही है सेवाएं 
भारत और मालदीव के बीच संबंध दशकों पुराने हैं. 1988 में तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम ने भारत से सत्तापलट के खिलाफ सैन्य मदद मांगी थी. भारत सरकार ने उस वक्त तत्काल सहायता पहुंचाई थी. मालदीव की सामरिक और रणतीकि महत्व देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने तुरंत एक हवाई टुकड़ी सहायता के लिए भेजी थी. मालदीव में आंतरिक संघर्ष की स्थिति अक्सर ही बनती रही है और हमेशा भारतीय सेना ने वहां शांति और नियंत्रण स्थापित करने का काम किया है. 

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चीन की हमेशा रही है मालदीव पर नजर 
हिंद महासागर में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए चीन सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण देशों पर अपनी नजर बनाए रखता है. मालदीव से पहले श्रीलंका के साथ भी चीन ने ऐसा ही किया था. पिछले कुछ वर्षों में चीन ने मालदीव में इन्फ्रास्ट्रक्चर विस्तार के लिहाज से काफी निवेश किया है. 2013 से 2015 तक मालदीव में जब अब्दुल्ला यामीन की सरकार थी तब भी वह चीन के साथ संबंधों की वकालत करते थे. हालांकि, इब्राहिम सोलिह के दौर में भारत और मालदीव के संबंध घनिष्ठ हुए थे.  

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