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राहुल गांधी ने UPSC को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से किया तुलना, क्या है लेटरल एंट्री का मामला जिसपे गरमा गई है राजनीति

लोकसभा चुनाव के समय विपक्षी दलों ने कहा था कि अगर भाजपा सरकार में वापस आई तो आरक्षण खत्म कर देंगी. अब एक बार फिस से इस मुद्दे पर राजनीति तेज हो गई है.

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राहुल गांधी ने UPSC को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से किया तुलना, क्या है लेटरल एंट्री का मामला जिसपे ग��रमा गई है राजनीति
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इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में विपक्ष भारतीय जनता पार्टी पर संविधान और आरक्षण के  मुद्दे को लेकर लगातार हमलवार रही थी. तमाम विपक्षी दलों ने ये आरोप लगाया था कि BJP जब सरकार में वापस आयेगी तो आरक्षण को खत्म कर देगी. अब एक बार फिर इस मुद्दे पर सियासत गर्म  है.

दरअसल 2 दिन पहले ही संघ लोक सेवा आयोग UPSC ने लैटरल एंट्री के जरिए  अलग- अलग मंत्रायलों में संयुक्त सचिव, उप सचिव और निर्देशकों की करीब 45 पदों के लिए आवेदन निकाला था. जैसे ही ये नोटिफिकेशन जारी हुआ ,पूरा विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गई है. सियासत गर्म होने का कारण है की इन सभी 45 पदों के लिए जो आवेदन निकालें गए हैं उसमे किसी तरह की कोई आरक्षण की व्यवस्था नही है. 

आपको बता दें की यूपीएससी द्वारा हर साल कराई जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में भारतीय संविधान के तहत आरक्षण की सुविधा बहाल है.  अब इस मामले में कांग्रेस, सपा, बसपा समेत पूरा विपक्षी दल सरकार पर हमलवार है. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी अब इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है.

उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर साझा किये गये एक पोस्ट में लिखा है कि "नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग के जरिए राष्ट्रिय स्वयं सेवक के लोक सेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं.  उन्होंने आगे लिखा है की केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्त्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम SC,ST और OBC वर्ग का आरक्षण छिना जा रहा है." 

SEBI के चीफ पर भी हमला 
राहुल गांधी अपने पोस्ट में आगे लिखते हैं कि‘चंद कॉरपोरेट्स’ के प्रतिनिधि, निर्णायक सरकारी पदों पर बैठ कर क्या कारनामे करेंगे इसका ज्वलंत उदाहरण SEBI है, जहां निजी क्षेत्र से आने वाले को पहली बार चेयरपर्सन बनाया गया.

आईएएस का निजीकरण 
उन्होंने आगे कहा कि "प्रशासनिक ढांचे और सामाजिक न्याय दोनों को चोट पहुंचाने वाले इस देश विरोधी कदम का INDIA मजबूती से विरोध करेगा। ‘IAS का निजीकरण’ आरक्षण खत्म करने की ‘मोदी की गारंटी’ है."

आपको बता दें की इस मामले पर कांग्रेस के मुखिया मल्लिकार्जुन खड़गे पहले ही अपना विरोध जाता चुके हैं. इस नई बहाली को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी एक्स के माध्यम से कहा की भाजपा अपनी विचारधारा के संगी साथियों को पिछले दरवाजे से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की साजिश कर रही है. वो ये भी लिखते है की ये देश के विरूद्ध एक बड़ा षड्यंत्र है.

लालू यादव ने नागपुरिया मॉडल किसे कहा 
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी इस भर्ती का विरोध करते हुए कहा की बाबा साहेब अंबेडकर एवं आरक्षण की धज्जियां उड़ाते हुए हुए नरेंद्र मोदी और उनके सहयोगी दलों की ये मिलीभगत है. 'कारपोरेट में काम कर रहे बीजेपी की निजी सेना यानि खाकी पेंट वालों को सीधे भारत सरकार के महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों में उच्च पदों पर बैठाने का यह “नागपुरिया मॉडल" है. उन्होने अपने पोस्ट में आगे लिखा की दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिलेगा. उन्होने पूरे NDA alliance पर हमला करते हुए कहा की वंचितों के अधिकारों पर NDA के लोग डाका डाल रहे हैं. 

मायावती ने भी जताया विरोध
बसपा प्रमुख मायावती ने भी लैटरल एंट्री के द्वारा इस बहाली प्रक्रिया पर विरोध किया है उन्होंने कहा की ये बीजेपी सरकार की मनमानी है,उन्होने इस व्यवस्था  को असंवैधानिक करार दिया.

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