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Manipur: दर्द में तड़पता रहा कुकी समुदाय का कैदी, नहीं ले गए अस्पताल, SC ने सरकार को लगाई फटकार

Manipur News: सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार के अधिकारियों के निर्देश दिया कि वह कैदी को गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज ले जाएं और वहां जांच के बाद उसका पूरा इलाज कराएं.

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Manipur: दर्द में तड़पता रहा कुकी समुदाय का कैदी, नहीं ले गए अस्पताल, SC ने सरकार को लगाई फटकार

Supreme Court on Manipur

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मणिपुर (Manipur) की जेल में बंद एक विचाराधीन कैदी को इलाज के लिए अस्पताल नहीं ले जाने पर कड़ा संज्ञान लिया. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि उसे राज्य सरकार पर भरोसा नहीं है. अदालत ने कहा कि कैदी को सिर्फ इसलिए अस्पताल नहीं ले जाया गया क्योंकि वह 'कुकी' समुदाय से था. सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में 15 जुलाई तक विस्तृत मेडिकल रिपोर्ट मांगी है.

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने लुनखोंगाम हाओकिप की याचिका पर सुनवाई करते हुए मणिपुर सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणियां कीं. याचिकाकर्ता का कहना है कि उसे बवासीर और Tuberculosis है. इसकी वजह से उसकी पीठ में भयंकर दर्द हुआ. वो काफी देर तक दर्द में तड़पता रहा, लेकिन कोई भी जेल अधिकारी उसे अस्पताल लेकर नहीं गया.'

अगर कैदी को कुछ हुआ तो आपकी खबर लेंगे-SC
पीठ ने पीड़ित की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा, ‘आरोपी को बस इसलिए अस्पताल नहीं ले जाया गया क्योंकि वह कुकी समुदाय से है. बहुत दुखद. हमें राज्य पर भरोसा नहीं है. हम निर्देश देते हैं कि उसका अभी मेडिकल परीक्षण कराया जाए. अगर मेडिकल रिपोर्ट में कुछ गंभीर सामने आता है तो हम आपकी खबर लेंगे.’ 


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हाओकिप के वकील ने दावा किया कि जेल अधिकारियों ने मेडिकल मदद के लिए लगातार किए गए अनुरोधों पर कोई ध्यान नहीं दिया. पीठ ने मणिपुर हाईकोर्ट के आदेश पर गौर किया और पाया कि विचाराधीन कैदी को इसलिए अस्पताल नहीं ले जाया गया, क्योंकि वह कुकी समुदाय से था और उसे अस्पताल ले जाना कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए खतरनाक होगा. 

सरकार को कराना होगा कैदी का पूरा इलाज
मणिपुर अल्पसंख्यक कुकी और बहुसंख्यक मैतेई समुदायों के बीच पिछले साल से जातीय संघर्ष चल रहा है. पीठ ने जेल अधीक्षक और राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिया कि ‘कैदी को गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज ले जाया जाए और वहां उसकी जांच कराने के लिए जरूरी इंतजाम किया जाए. बवासीर, तपेदिक, टौंसिल, पेट दर्द के साथ-साथ कमर के निचले हिस्से में परेशानियों के संबंध में चिकित्सा जांच की जाए.’ 

सुप्रीम कोर्ट ने 15 जुलाई या उससे पहले विस्तृत मेडिकल रिपोर्ट मांगी है और राज्य सरकार को इलाज पूरा खर्च उठाने का निर्देश दिया है. बता दें कि हाईकोर्ट के उस आदेश के बाद मणिपुर पिछले साल मई में अराजकता एवं हिंसा की चपेट में आ गया जिसमें राज्य सरकार को गैर आदिवासी मैतेई समुदाय को अधिसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने पर विचार करने का निर्देश दिया था. (PTI इनपुट के साथ)

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