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Ghaziabad नहीं 'हरनंदी पुरम' कहिए जनाब! हिंडन के ऐतिहासिक नाम से बदला जाएगा शहर का नाम

गाजियाबाद के सुप्रसिद्ध शिव मंदिर दूधेश्वर नाथ के प्रधान महंत नारायण गिरि हरनंदी की ऐतिहासिक महत्ता बताते हुए कहते हैं, हिंडन हरनंदी का ही अपभ्रंश है. हिंडन नदी गाजियाबाद की पहचान है और पुरातन काल से सभ्यता और संस्कृति का विकास वहीं होता है जहां नदी होती है.

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Ghaziabad नहीं 'हरनंदी पुरम' कहिए जनाब! हिंडन के ऐतिहासिक नाम से बदला जाएगा शहर का नाम

हरनंदी पुरम होगा गाजियाबाद का नया नाम

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गाजियाबाद नहीं 'हरनंदी पुरम'... बिलकुल सही सुना आपने..  गाजियाबाद का नया शहर अब हरनंदी पुरम होगा. हिंडन नदी के ऐतिहासिक नाम हरनंदी के नाम से इस शहर का नाम रख यूपी सरकार गाजियाबाद के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व को एकबार फिर से स्थापित करने जा रही है.  गाजियाबाद के नाम को बदलने की कवायत तब शुरू हुई थी जब 2018 में इलाहाबाद का नाम बदलकर 'प्रयागराज' और फैजाबाद को बदलकर अयोध्या किया गया था.

अब सवाल उठता है कि हरनंदी पुरम ही क्यों?  गाजियाबाद के सुप्रसिद्ध शिव मंदिर दूधेश्वर नाथ के प्रधान महंत नारायण गिरि हरनंदी की अलग ही महत्ता बताते हुए कहते हैं, 'हिंडन हरनंदी का ही अपभ्रंश है. हिंडन नदी गाजियाबाद की पहचान है और पुरातन काल से सभ्यता और संस्कृति का विकास वहीं होता है जहां नदी होती है.' 
इसलिए जब वह 2022 में सीएम योगी आदित्यनाथ से मिले थे तो उन्होंने तीन नामों का प्रस्ताव उनके सामने रखा था जिसमें एक नाम हरनंदी था. 
हरनंदी का महत्व बताते हुए वह आगे कहते हैं,' आदि काल में यहां तक कैलाश पर्वत फैला था..धीरे धीरे कैलाश 'कैला गांव' कहलाने लगा. यह ठीक वैसा ही है जैसा हरनंदी से हिंडन बन जाना. कैलाश में हमारे भगवान शिव का वास है. शिव जो 'हर' हैं जिनके सिर पर गंगा विराजती है और गंगा की छोटी बहन यानी छोटी नदी हिंडन है. इस तरह से हरनंदी पुरम यानी भगवान शिव के सिर से निकलने वाली नदी हिंडन का शहर. '   

महंत नारायण गिरी नया गाजियाबाद का नाम हरनंदी पुरम रखे जाने का स्वागत करते हुए डीएनए हिंदी से कहते हैं,' सीएम योगी आदित्यनाथ का बहुत धन्यवाद की उन्होंने हमारे प्रस्ताव पर संज्ञान लिया.'

महंत नारायण गिरि आगे कहते हैं प्रस्तावित नामों में एक नाम 'गजप्रस्थ' भी  था जो हमने महाभारत कालीन हस्तिनापुर से जोड़ कर रखा था. जब यह पूरा वन का क्षेत्र हुआ करता था और हाथी यहां का मुख्य जानवर हुआ करता था. इसी से जोड़कर हमने गजप्रस्थ रखने की सलाह दी थी. वहीं दूधेश्वर नगर के लिए यह प्रस्ताव इसलिए था क्योंकि यहां दूधेश्वर नाथ मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध है.

बता दें कि 1740 में  गाजियाबाद को गाजिउद्दीन नगर के नाम से जाना जाता था फिर 1864 में ब्रिटिश काल में जब रेल आई तो इसका नाम गाजियाबाद कर दिया गया. 


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हरनंदी पुरम को GDA की हरी झंडी

पिछले  दिनों GDA की बोर्ड बैठक में मंडलायुक्त सेल्वा कुमारी ने गाजियाबाद में नया शहर बसाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण एवं नए शहर प्रोत्साहन योजना के तहत इंदिरापुरम की तर्ज पर गाजियाबाद में नए शहर को बसाया जाना है. बता दें कि हरनंदी पुरम को गांव मथुरापुर, नगला फिरोजपुर, मोहनपुर, मोरटा, भाऊपुर, अटौर, चंपत नगर, शमशेर, भेंड़ा खुर्द, और शापुर के पास लगभग 541.65 हेक्टेयर जमीन पर बसाने की योजना है. 

अधिकारियों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार यह शहर के नोर्थ में  में पाइपलाइन रोड से ईस्ट में नॉर्दर्न पेरिफेरल रोड और दक्षिण में मोर्टी तक फैला होगा. योजना को शहरी विकास मंत्रालय की मंजूरी मिलते ही प्राधिकरण इन गांवों की जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर देगा.  
 ये होंगी सुविधाएं

शहर की तेजी से बढ़ती आबादी को देखते हुए राज्य सरकार  शहरों के विस्तार की योजना बना रही है. नए शहर में लोगों की सुविधाओं का ध्यान रखकर इसे रेसिडेंशियल और कॉमर्शियल प्लॉट के साथ साथ  स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, पार्क, मॉल, होटल, रेस्टोरेंट, साइबर सिटी और आईटी पार्क का निर्माण किया जाएगा. 

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