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UP BJP में बड़ा फेरबदल, सीएम Yogi Adityanath ने एक साथ बदले 75 जिलों के प्रभारी मंत्री, केशव प्रसाद मौर्य को मिली ये जिम्मेदारी

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव में प्रदेश में बेहद खराब प्रदर्शन के बाद उपचुनाव में जीत  हासिल करना भाजपा और योगी आदित्यनाथ के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है.

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Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने विधानसभा उपचुनाव से पहले पार्टी के पेंच कसने शुरू कर दिए हैं. मुख्यमंत्री ने एक साथ पूरे प्रदेश में मंत्रियों को जमीनी स्तर पर काम करने की नई चुनौती दे दी है. मुख्यमंत्री ने प्रदेश के 75 जिलों के प्रभारी मंत्री बदल दिए हैं. इस बदलाव में दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक की भी जिम्मेदारी बदल दी गई है. जिला बदले जाने की जानकारी मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को पत्र लिखकर दी है, जिसमें उन्हें अपनी जिम्मेदारी वाले जिलों में रात में ठहरकर जनता तक सरकार की बात पहुंचाने का निर्देश दिया है. उधर, मुख्यमंत्री आवास पर कैबिनेट मीटिंग भी आयोजित की गई है, जिसमें स्वच्छता पखवाड़ा से लेकर उपचुनाव तक को लेकर चर्चा की गई है.

केशव प्रसाद मौर्य को मिला है ये जिला

उत्तर प्रदेश भाजपा में पिछले दिनों मची कलह के केंद्र में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य रहे थे. उनके और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच तनातनी होने की खबरों को सपा और कांग्रेस ने भी जमकर हवा दी थी. हालांकि इसके बाद मामला शांत हो गया था. अब मंत्रियों की जिम्मेदारी बदले जाने के क्रम में केशव प्रसाद मौर्य को कौशांबी जिले की जिम्मेदारी दी गई है. दूसरे डिप्टी सीएम बृजेश पाठक राजधानी लखनऊ की जिम्मेदारी संभालेंगे. अयोध्या में भाजपा लोकसभा चुनाव हारी थी. वहां की जिम्मेदारी सूर्य प्रताप शाही से छीन ली गई है. साथ ही उनसे आजमगढ़ की भी जिम्मेदारी ले ली गई है. वहां भी भाजपा लोकसभा चुनाव हारी है. उन्हें भी अब लखनऊ के साथ संत कबीर नगर की जिम्मेदारी मिली है. वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के पास मुख्यमंत्री के गृह जिले गोरखपुर की जिम्मेदारी बरकरार रखी गई है, लेकिन उन्हें गोरखपुर के साथ लखनऊ की जगह अब अंबेडकर नगर का प्रभार दिया गया है.

बाकी मंत्रियों को मिली है ये जिम्मेदारी

  • महिला कल्याण मंत्री बेबी रानी मौर्य अब झांसी व कानपुर देहात की जगह बुलंदशहर-शामली संभालेंगी.
  • गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी अब अलीगढ़-इटावा की जगह मेरठ-बागपत का प्रभार संभालेंगे.
  • जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह प्रयागराज-बांदा की जगह वाराणसी और अमेठी की जिम्मेदारी देखेंगे.
  • पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह को वाराणसी और बरेली की बजाय प्रयागराज और रायबरेली का प्रभार मिला है.
  • पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह मेरठ-संभल की जगह लखीमपुर खीरी-श्रावस्ती जिलों में पार्टी का प्रभार देखेंगे.
  • औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी को कानपुर नगर की जगह चंदौली मिला है, जबकि मिर्जापुर बरकरार रहा है.
  • श्रम मंत्री अनिल राजभर को गोंडा-मऊ की जगह आजमगढ़-कुशीनगर जिलों में पार्टी मजबूत करने का काम मिला है.
  • MSME मंत्री अरविंद कुमार शर्मा को आगरा और सिद्धार्थनगर की जगह बस्ती और महराजगंज का प्रभार दिया गया है.
  • उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय अब सहारनपुर-फर्रुखाबाद की जगह झांसी-कांसगज का प्रभार संभालेंगे.
  • प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल बहराइच-औरेया की जगह फर्रुखाबाद-कन्नौज के प्रभारी मंत्री रहेंगे.
  • निषाद पार्टी के संजय निषाद को बहराइच और औरेया की जगह कौशांबी और सिद्धार्थनगर जिलों की जिम्मेदारी मिली है.
  • सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर को भी देवरिया और भदोही जिलों में NDA को मजबूत करने की जिम्मेदारी मिली है.
  • कारागार विभाग के मंत्री दारा सिंह चौहान को भी फतेहपुर और बलिया की जिम्मेदारी दी गई है.
  • सुनील कुमार शर्मा को अलीगढ़ और फिरोजाबाद, जबकि अनिल कुमार को अमरोहा-चित्रकूट की जिम्मेदारी मिली है.
  • पूर्व सीएम कल्याण सिंह के पौत्र और बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह को मथुरा-कासगंज की जगह औरैया-मैनपुरी मिले हैं.

- यहां देखें सभी मंत्रियों को मिली जिम्मेदारी वाली लिस्ट

मुख्यमंत्री ने पत्र लिखकर कही है ये बात

CM योगी ने मंत्रियों के प्रभार वाले जिले बदलने के साथ उन्हें पत्र भी लिखा है. पत्र में CM ने कहा,'सभी मंत्री अपने दायित्व वाले जिलों में केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की समीक्षा करें. वे जिलों में रात्रि विश्राम करें और वहां पार्टी संगठन व जनप्रतिनिधियों के अलावा विचार परिवार से समन्वय स्थापित करें.

विधानसभा उपचुनाव के चलते कसे गए हैं पेंच

प्रदेश में जल्द ही 10 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने जा रहे हैं. उपचुनाव के लिए भी भाजपा के सामने सपा-कांग्रेस के गठबंधन की चुनौती मौजूद रहने की संभावना है. हालांकि अब तक दोनों विपक्षी दलों में समझौता नहीं हुआ है. 8 सितंबर को हुई बैठक में कांग्रेस ने सपा से 4 सीटें मांगी थी, जिस पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है. इसके बावजूद माना जा रहा है कि उपचुनाव की तारीख तय होने से पहले दोनों दलों में समझौता हो जाएगा. यह गठबंधन लोकसभा चुनाव में भाजपा पर भारी पड़ा था. भाजपा को 80 लोकसभा सीटों में से 34 सीट ही मिली थी, जबकि उसके सहयोगी दलों को दो सीट मिली थी. इसके उलट सपा ने 37 और कांग्रेस ने 6 सीट जीती थीं. इससे पहले साल 2019 में लोकसभा चुनाव में भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए ने 62 सीट जीती थीं. भाजपा के इस खराब प्रदर्शन के बाद उपचुनाव में बढ़िया प्रदर्शन करना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है. इसी कारण लगातार संगठन के पेंच कसे जा रहे हैं.

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