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Lok Sabha Election: करन के बहाने BJP से खेल गए बृजभूषण सिंह 'कुश्ती' क्या BSP के नरेंद्र पांडेय को लगा पाएंगे 'धोबी पछाड़'

बीजेपी ने कैसरगंज से टिकट भले ही करन को दिया है लेकिन पीछे से खिलाड़ी तो बृजभूषण सिंह ही हैं. चुनावी कुश्ती के दंगल में बीएसपी के नरेंद्र पांडेय को धोबी पछाड़ बृजभूषण ही लगाने वाले हैं.

Lok Sabha Election: करन के बहाने BJP से खेल गए बृजभूषण सिंह 'कुश्ती' क्या BSP ��के नरेंद्र पांडेय को लगा पाएंगे 'धोबी पछाड़'

कैसरगंज लोकसभा सीट से बीजेपी के प्रत्याशी बने करन बृजभूषण सिंह

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महिला रेसलर से यौन शोषण के आरोपों से घिरे ओलंपिक संघ केपूर्व अध्यक्ष और कैसरगंज सीट से मौजूदा सांसद बृजभूषण सिंह का टिकट तो कटना देखिए लगभग तय था और ऐसा हो भी गया है. पहले ही कयास लगाए जा रहे थे कि उनके छोटे बेटे करन भूषण सिंह को टिकट दिया जाएगा और यह सच साबित भी हुआ है. यूपी में अभी 7 मई को दस सीटों पर चुनाव होने हैं और कैसरगंज सीट पर पांचवें चरण में 20 मई को मतदान होना है.

बृजभूषण हालांकि ये बार बार कहते रहे हैं कि पार्टी जानती है कि भाजपा इस सीट पर मजबूत है और टिकट का दावेदार मैं ही हूं. इसके बावजूद उनका टिकट कट ही गया है. 

भले ही टिकट करन को दिया गया लेकिन सभी जानते हैं कि यह टिकट वाया बृजभूषण ही है. हालांकि सूत्रों ने यह जरूर कहा कि पार्टी हाई कमान और बृजभूषण के बीच दिल्ली में भी बातचीत हुई थी और बेटे के टिकट को लेकर फॉर्मूले पर सहमति बनने की बात सामने आई थी. बता दें कि बृजभूषण का कैसरगंज के अलावा आसापास की तीन-चीर सीटों पर प्रभाव है.

उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं और भाजपा 75 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जबकि पांच सीटें गठबंधन के लिए सहयोगी दलों के पास हैं. बीजेपी ने अभी तक 73 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं बाकी दो सीटें जिसमें कैसरगंज और रायबरेली को लेकर भी स्थिति साफ हो गई है. रायबरेली से दिनेश प्रताप सिंह को पार्टी ने टिकट दिया है.


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करन के बहाने खेल गए बृजभूषण

बृजभूषण के बेटे करन सिंह पढ़े लिखे ही नहीं खिलाड़ी भी हैं. वह मौजूदा समय में यूपी कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं. बता दें कि करन ने नेशनल स्तर पर शूटिंग भी खेली है. वह डबल ट्रैप शूटिंग के नेशनल खिलाड़ी रह चुके हैं. बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई ऑस्ट्रेलिया से की है. हालांकि वो घर में पिता और भाई को राजनीति में देखते रहे हैं क्योंकि उनके बड़े भाई प्रतीक भूषण अभी विधायक हैं.

बता दें कि टिकट भले ही करन को दिया गया है लेकिन पीछे से खिलाड़ी तो बृजभूषण सिंह ही हैं. कैसरगंज से नरेंद्र पांडे इस बार हाथी की सवारी करेंगे. चुनावी कुश्ती के दंगल में नरेंद्र पांडेय को धोबी पछाड़ बृजभूषण ही लगाने वाले हैं. यहां बताना जरूरी है कि बृजभूषण छह बार से लगातार जीत रहे हैं. वह दो बार गोंडा, एक बार बहराइच और कैसरगंज लोक सभा से तीन बार के सांसद हैं.

हालांकि पहले वह समाजवादी पार्टी में थे यही वजह है कैसरगंज से अभी तक उनकी पकड़ मजबूत बनी हुई है और एसपी ने भी अपने कैंडिडेट की घोषणा नहीं की है. हालांकि मायावती चुपचाप एकतरफ दिल्ली में जहां सातों सीट से अपने प्रत्याशियों को उतारा है वहीं गुरुवार की सुबह  कैसरगंज, गोंडा, संत कबीरनगर, बाराबंकी, आजमगढ़ सीट से अपने प्रत्याशियों की नई लिस्ट जारी की है. हालांकि इस बार चुपचाप काम कर रहीं मायावती ने दलितों की बात करते हुए ब्राह्मण कार्ड ही खेल दिया है.


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कौन है नरेंद्र पांडेय

अब बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि कौन हैं नरेंद्र पांडेय. नरेंद्र पांडेय बहराइच के बिजनेसमैन है और लखनऊ के इंदिरा नगर में रहते हैं. नरेंद्र का बिजनेस मैन राज्यभर में गन्ने का शीरा ट्रांसपोर्ट करना और ट्रकों से ढुलाई करने का काम करते हैं. वह पार्टी में 2004 से जुड़े हैं. 

कैसरगंज में ब्राह्मण मतदाताओं की बहुलता है. इसलिए पार्टी ने हर बार इस सीट से ब्राह्मण उम्मीदवार उतारती रही है. जिसमें सुरेंद्र नाथ अवस्थी जो पुत्तू अवस्थी पर और 2014 में पार्टी विधायक रहे कृष्ण कुमार ओझा पर भी दांव लगा चुकी है.

कैसरगंज में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 20 फीसदी है. दूसरे नंबर पर दलित हैं लगभग 18 फीसदी. वहीं मुस्लिम भी 18 फीसदी, राजपूत 10 फीसदी हैं..पिछड़ी जातियों की बात करें तो यादव 12 फीसदी हैं, निषाद करीब 9 फीसदी हैं, कुर्मी लगभग 7 फीसदी है.

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