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Monkeypox Case: दिल्ली में मंकीपॉक्स का एक और संदिग्ध मरीज, जानें, क्या है दवा और कैसे होता है टेस्ट

Monkeypox Case: दिल्ली में मंकीपॉक्स का एक और संदिग्ध मरीज मिला है. मरीज को एलएनजेपी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. बुधवार को मरीज का सैंपल जांच के लिए पुणे भेजा जाएगा. मरीज के संपर्क में आए सभी लोग आइसोलेटेड हैं...

Monkeypox Case: दिल्ली में मंकीपॉक्स का एक और संदिग्ध मरीज, जानें, क्य�ा है दवा और कैसे होता है टेस्ट

प्रतीकात्मक तस्वीर

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डीएनए हिन्दी: मंगलवार को दिल्ली में मंकीपॉक्स (Monkeypox) का एक और संदिग्ध मरीज मिला है. मरीज को तुरंत दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल (Lok Nayak Jai Prakash Narayan Hospital) में भर्ती कराया गया है. मरीज को बुखार, बदन में दर्द और त्वाचा पर दानें थे. मरीज को आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है. खबर है फिलहाल मरीज को बुखार नहीं है. मरीज का परिवार भी आइसोलेटेड है. ध्यान रहे कि देश में अब तक मंकीपॉक्स के 4 कंफर्म केस मिल चुके हैं. इसमें से 3 केरल और एक दिल्ली का है.

एलएनजेपी अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम मरीज की निगरानी कर रही है. माना जा रहा है कि बुधवार को सैंपल जांच के लिए पुणे भेजा जा सकता है. बताया जा रहा है कि मरीज 20 दिन पहले मुंबई की यात्रा कर लौटा है और करीब 2 महीने पहले वह पेरिस भी गया था.

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गौरतलब है कि दिल्ली के पहले मरीज की तबीयत में तेजी से सुधार हो रहा है. अब वह फोन पर परिवार वालों से बात भी कर रहा है. उसे शरीर में दर्द भी नहीं है. शरीर में अब दाने निकलने बिल्कुल बंद हो चुके हैं. एलएनजेपी के डॉक्टर दोबारा मरीज के सैंपल को जांच के लिए लैब में भेजने की तैयारी कर रहे हैं. ध्यान रहे कि यह मरीज करीब 14 लोगों के करीबी संपर्क में आया था. जिसमें से 4 लोग इसके घर के थे. अभी तक किसी में भी मंकीपॉक्स के लक्षण नहीं दिखे हैं.

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मंकीपॉक्स किसे खतरा ज्यादा है
डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे लोग जिन्हें लाइफ में स्मॉलपॉक्स या चेचक हो चुका है उन्हें मंकीपॉक्स का खतरा कम है. उन लोगों को भी खतरा कम है जिन्हें चिनकपॉक्स या फिर स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन लग चुकी है. ध्यान रहे कि भारत में 1975 से 1980 के दौर के बाद स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन लगनी बंद हो गई थी. ऐसे में ऐसे लोग जिनका जन्म 1980 के बाद हुआ है उन्हें ज्यादा खतरा है.

कैसे होता है टेस्ट
इस बीमारी की टेस्टिंग पीसीआर तकनीक से ही की जाती है. सैंपल लेने के लिए त्वाचा से निकले दानों से नमूना लिया जाता है. इसके अलावा मरीज का ब्लड सैंपल भी लिया जाता है. दोनों टेस्ट के रिजल्ट से मंकीपॉक्स कंफर्म होता है.

दवा और वैक्सीन 
आमतौर मंकीपॉक्स का मरीज 21 दिन में खुद ठीक हो जाता है. हालांकि, अमेरिका में इसकी एक दवा सामने आई है. अमेरिका में सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) ने  Tecovirimat दवा अजमाने की सलाह दी है. लेकिन, भारत में यह दवा अब तक उपलब्ध नहीं है. साथ ही अमेरिका में स्मॉलपॉक्स के लिए लगाई जाने वाली वैक्सीन मंकीपॉक्स के मरीजों को दी जा रही है. यह दवा शुरुआती बीमारी में थोड़ी राहत दे रही है लेकिन 7 दिन के बाद इसका असर बंद हो जा रहा है.

यूरोप मेडिसिन अथॉरिटी एजेंसी (EMA) ने Imvanex दवा को मंकीपॉक्स के इलाज के लिए यूज करने की सिफारिश की है. यह दवा वास्तव में स्मॉलपॉक्स के इलाज के लिए बनी है.

दुनिया में मंकीपॉक्स के करीब 16 हजार केस हैं. यह बीमारी करीब 75 देशों में फैल चुकी है. अब तक इस बीमारी से करीब 5 लोगों की मौत हो चुकी है.

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