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Transgender-Gay और सेक्स वर्कर्स क्यों नहीं कर सकते ब्लड डोनेट? रक्तदान से पहले जान लें क्या हैं इसके नियम 

Blood Donation: देश में ट्रांसजेंडर, समलैंगिक समुदाय के लोगों और सेक्स वर्कर्स  को रक्‍तदान की श्रेणी से बाहर रखा गया है, जानिए क्या है इसकी वजह

Transgender-Gay और सेक्स वर्कर्स क्यों नहीं कर सकते ब्लड डोनेट? रक्तदान से पहले जान लें क्या हैं इसके नियम 

Transgender-Gay और सेक्स वर्कर्स नहीं कर सकते ब्लड डोनेट, जानिए क्या हैं नियम

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डीएनए हिंदी: रक्तदान को महादान कहा जाता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं? समाज के कुछ वर्ग ऐसे हैं जिन्हें रक्तदान निषेध की श्रेणी में रखा (Blood Donation Rules) गया है. बता दें कि देश में ट्रासजेंडर, समलैंगिक और सेक्स वर्कर्स के ब्लड डोनेशन करने पर पाबंदी लगी हुई है. इसे चुनौती देते हुए दो साल पहले उन्‍हें इस श्रेणी से हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. जिसपर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दिया है. इस मामले को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने हलफनामा दायर कर सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ये सभी लोग (Who Cannot Donate Blood) एचआईवी के लिए जोखिम की श्रेणी में आते हैं. इसके अलावा ये सभी हेपेटाइटिस बी या सी संक्रमण के लिए जोखिम की श्रेणी में भी आते हैं. 

ऐसे में केंद्र सरकार ने कहा कि वैज्ञानिक तथ्‍यों के आधार पर ही इन्हें रक्‍दान करने की मनाही है. केंद्र की ये प्रतिक्रिया ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्य थंगजाम सिंह के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद आई है.

क्या है इसकी वजह 

दरअसल, माना जाता है कि इस श्रेणी में आने वाले लोगों में यौन बीमारियों का जोखिम ज्यादा रहता है. ऐसे में सेफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन सिस्टम के तहत ये तय करने की कोशिश होती है कि मरीज को हर हाल में सुरक्षित खून मिले और  उसमें किसी भी तरह की कोई ऐसी बीमारी न हो, जो खून से फैलती हो. इस बात को पक्का करने के लिए केंद्र के परिवार कल्याण मंत्रालय की ब्लड डोनर सिलेक्शन गाइडलाइन में कई बातें हैं और यहां इस बात का भी जिक्र है कि कौन-कौन रक्तदान कर सकते हैं और कौन नहीं.

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इन लोगों को रक्तदान की श्रेणी से रखा गया है बाहर

रक्तदान के लिए वयस्क और स्वस्थ होना जरूरी है. इसके साथ ही उम्रदराज, बीमार लोग और प्रेग्नेंट या लेक्टेटिंग महिलाएं रक्तदान नहीं कर सकती हैं. इसके अलावा क्रॉनिक स्किन डिसीज के मरीज और 6 महीने पहले टैटू बनवाने वाले लोगों का भी ब्लड नहीं लिया जाता है. दरअसल टैटू के बारे में डर रहता है कि सुई से कहीं यौन बीमारी न हो गई हो. इतना ही नहीं कुत्ता काटने पर अगर सालभर के भीतर रेबीज का टीका लिया हो तो भी आप रक्तदान नहीं कर सकते हैं. 

इसी लिस्ट में LGBTQ भी हैं शामिल

इसी लिस्ट में LGBTQ समुदाय के लोगों को भी रखा गया है. इसके तहत एलजीबीटीक्यू को भी रक्तदान की इजाजत नहीं है. ऐसे में इस बात पर लगभग दो साल पहले एससी में इस समुदाय के एक व्यक्ति थंगजम सिंह ने याचिका दायर कर भेद खत्म करने की मांग की थी और इसी मामले को लेकर सरकार ने डोनर गाइडलाइन को पूरी तरह वैज्ञानिक बताया. जिसे सपोर्ट करने के लिए स्टडीज का भी हवाला दिया.

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1980 में लगी थी पाबंदी 

साल 1980 में ब्लड डोनर्स की गाइडलाइन को साफ करते हुए गे समुदाय के रक्तदान पर पाबंदी लगाई गई थी. ये पाबंदी समलैंगिक पुरुष, समलैंगिक महिलाओं और ट्रांसजेंडरों के लिए था. यहां साफ कर दें कि ट्रांस उन लोगों को कहते हैं जिनकी लैंगिक पहचान उनके जन्म की पहचान से अलग होती है, यानी पुरुष की तरह जन्मा व्यक्ति खुद को महिला पाए या इसका उल्टा हो. अस्सी के दौर में इसपर कोई खास स्टडी तो नहीं थी, लेकिन ऐसा माना गया कि ये लोग यौन संबंधों के दौरान लापरवाही बरतते होंगे और इनका ब्लड डोनेशन करना ठीक नहीं है. 

इन बीमारियों का बढ़ जाता है खतरा

ब्लड डोनेशन के लिए क्लॉज 12 की गाइडलाइन फॉर ब्लड डोनर सलेक्शन एंड ब्लड डोनर रेफरल 2017 को देखा जाता है. इसके अनुसार डोनेट किया जा रहा खून किसी भी फैलने वाली बीमारी से रहित होना चाहिए. ऐसी कई बीमारियां हैं जो ब्लड ट्रांसफ्यूजन से फैलती हैं इनमें से HIV और हेपेटाइटिस बी और सी का संक्रमण प्रमुख है. इसलिए खून लेते समय मेडिकल ऑफिसर को रक्तदाता की फिटनेस देखनी चाहिए.

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अमेरिका समेत कई अन्य देशों में भी है अलग नियम 

अमेरिका में हाल तक ट्रांस और गे समुदाय के रक्तदान पर प्रतिबंध था. लेकिन 2015 के ही फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने इसमें थोड़ा बदलाव करते हुए जोड़ा कि अगर इस समुदाय के लोगों ने पिछले 12 महीनों के दौरान यौन संबंध न बनाए हो तो वो भी रक्तदान कर सकते हैं. इसके बाद 2020 में इस नियम में एक बार फिर बदलाव हुआ और अब इस एक साल के पीरियड को घटाकर 3 महीने कर दिया गया, जो अभी तक लागू है. 

इसके अलावा यूनाइटेड किंगडम में भी 3 महीनों का नियम लागू है, साथ ही स्विटजरलैंड में एक साल तक यौन संबंध न हों तभी समलैंगिक और ट्रांस रक्तदान कर सकते हैं. कमोबेश ऐसे ही नियम दूसरे देशों में भी लागू हैं.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.) 

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