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Basant Panchami 2023: बसंत पंचमी के दिन धोबिन क्यों देती हैं विवाहित महिलाओं को सुहाग? जानिए क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा

Basant Panchami 2023: बसंत पंचमी  के दिन धोबिन सुहागिन महिलाओं को सुहाग का सामान देकर उनको आशीर्वाद प्रदान करती हैं. यह है किस्सा. 

Basant Panchami 2023: बसंत पंचमी के दिन धोबिन क्यों देती हैं विवाहित महिलाओं को सुहाग? जानिए क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा

बसंत पंचमी के दिन धोबिन क्यों देती हैं विवाहित महिलाओं को सुहाग?

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डीएनए हिंदीः Mythology Story of Basant panchami- इस बार बसंत पंचमी का पावन त्योहार 26 जनवरी को मनाया जाएगा (Basant Panchami 2023 Date). यह शुभ दिन माता सरस्वती को समर्पित हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती (Maa Saraswati) की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसके अलावा बसंत पंचमी के दिन सुहागिन महिलाएं माता तुलसी (Tulsi Puja) की पूजा करती है. मान्यता है कि इस दिन जो महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना कर धोबिन से सुहाग लेती हैं, तो उनका यह व्रत सफल हो जाता है और उन्हें देवी सरस्वती के साथ-साथ तुलसी महारानी का शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता है (Basant Panchami Dhobin Story). आइए जानते हैं इस दिन महिलाएं धोबिन का आशीर्वाद क्यों लेती हैं, साथ ही जानेंगे पूजा विधि के बारे में. 

धोबिन से सुहाग पाना माना जाता है शुभ

पौराणिक कथा के अनुसार, एक घर में 3 महिलाएं मां बेटी और बहू रहती थीं. अक्सर एक साधु उनके घर भिक्षा लेने आया करता था. साधु बहु को दूधो नहाओ पूतो फलो का आशीर्वाद देते थे तो वहीं बेटी को धर्म बढ़े, गंगा-स्नान का. मां साधु के इस आशीर्वाद पर ध्यान दे रही थीं और एक दिन साधु से पूछ लिया कि आप बेटी को ऐसा आशीर्वाद क्यों देते हैं. तो इसपर साधु ने बताया कि तुम्हारी बेटी का सुहाग खंडित है. मां ने साधु से उपाय पूछा तो उन्होंने  बताया कि अगर तुम्हारी बेटी किसी धोबिन की सेवा करे या फिर उसके गधे बंधाने वाले स्थान की साफ-सफाई करे तो इस समस्या का समाधान हो सकता है. 

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ऐसे में बेटी एक धोबिन के यहां गई और उन्हें सारी बात बताई. इसके बाद से बेटी ने धोबिन की गधे बंधाने वाली जगह की साफ-सफाई शुरु कर दी. ऐसे में धोबिन बोली कि तुम पर मेरा आशीर्वाद हमेशा है और जब भी तुम्हारा विवाह हो तो मुझे जरूर बुलाना. 

कुछ दिनों बाद जब लड़की का विवाह हुआ तब धोबिन का पति बहुत बीमार था. लेकिन लड़की के विवाह का निमंत्रण पाते ही वो आशीर्वाद देने पहुंच गई. विवाह में फेरों के समय धोबिन ने अपने मांग से सिंदूर लेकर लड़की की मांग में भर दिया और अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दिया.

विवाह से जब धोबिन घर लौटी तब उसने देखा कि उसके पति की मृत्यु हो गई है. ऐसे में उसने शादी में मिले पुरवे के 108 टुकड़े किए और शिव-शक्ति की आराधना करके पीपल के 108 बार परिक्रमा की और फिर अपनी तर्जनी उंगुली को काटकर उससे निकले खून को छिड़का जिससे उसका पति शिव-शक्ति के आशीर्वाद से पुनः जीवित हो उठा. 

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तब से यह परंपरा चली आ रही है कि कोई भी कन्या शादी की सुबह या वसंत पंचमी के दिन धोबिन से सुहाग लेती है, तो उसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है. 

पूजा विधि 

बसंत पंचमी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ और पीले रंग की वस्त्र धारण करें, इसके बाद विधि-विधान से मां सरस्वती और माता तुलसी की पूजा करें. पूजा में माता तुलसी को पीले रंग की चुड़ियां, पीले वस्त्र, पीला सिंदूर और सुहाग का सामान अर्पित करें और देवी तुलसी को पीले रंग का भोग लगाएं. पति की लंबी आयु और अच्छे जीवन की कामना करें. इसके अलावा किसी धोबिन से आर्शीवाद जरूर प्राप्त करें. इससे पति की आयु बढ़ती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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