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DNA एक्सक्लूसिव: MS Dhoni सपोर्टिव होते तो क्या 'भज्जी' का करियर लंबा होता? जानिए हरभजन सिंह का जवाब

Zee न्यूज के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी से खास बातचीत में हरभजन सिंह ने कई खुलासे किए.

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DNA एक्सक्लूसिव: MS Dhoni सपोर्टिव होते तो क्या 'भज्जी' का करियर लंबा होता? जानिए हरभजन सिंह का जवाब

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डीएनए हिंदी: टीम इंडिया के पूर्व स्पिनर हरभजन सिंह ने बीते साल क्रिकेट को अलविदा कह दिया. भज्जी टीम इंडिया के महत्वपूर्ण सदस्य रहे. उन्होंने टेस्ट में 417, वनडे में 269 और टी 20 में 25 विकेट चटकाए. वह दो वर्ल्ड कप का गवाह बने लेकिन टीम इंडिया के लिए भज्जी अचानक गायब होते चले गए. ऐसा क्या हुआ? क्यों हरभजन सिंह इंटरनेशनल क्रिकेट से दूर हो गए? Zee न्यूज के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी से खास बातचीत में हरभजन सिंह ने इसे लेकर कई खुलासे किए.


सुधीर चौधरी: क्या आसपास का माहौल बेहतर होता तो भज्जी 417 से ज्यादा विकेट ले सकते थे?

भज्जी ने कहा, किस्मत ने तो मेरा साथ दिया लेकिन आसपास के पहलू मेरे खिलाफ रहे. मैं रफ्तार से आगे बढ़ रहा था. 31 साल की उम्र में मैंने 400 विकेट ले लिए थे. यदि चीजें मेरे पक्ष में होतीं तो 100-150 विकेट और लेता. कई बार ऐसे लोग आपके आसपास आते हैं जिनका उस वक्त पता नहीं चलता. मेरे टेस्ट करियर को खत्म करने के लिए कुछ लोगों ने रोड़े लगाए. जब मैं क्रिकेट खेल रहा था तब इन चीजों को डील करना काफी मुश्किल लगता था.

भज्जी ने अश्विन के सवाल पर कहा, नए खिलाड़ी दूसरे को रिप्लेस करते हैं. यह तब होता है जब किसी खिलाड़ी का परफॉर्मेंस गिरता है लेकिन जब मैं बेहतर परफॉर्म कर रहा था तब मुझे ड्रॉप कर दिया गया. इसका मलाल हमेशा रहेगा. हो सकता है मैं करियर में 500 ही विकेट ले पाता लेकिन जब भी जाता अपनी मर्जी से जाता तो अच्छा लगता.

चयनकर्ताओं, बीसीसीआई सभी की ओर से मुझे दरकिनार किया गया. मैंने कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. खैर, हो सकता है आगे जाकर वह इस बात को महसूस करें लेकिन मैंने जिंदगी में यह महसूस कर लिया है कि कौन आपके साथ है और कौन आपकी पीठ में छुरा घोंपता है.


सुधीर चौधरी: क्या एमएस धोनी आपको लेकर सपोर्टिव होते तो ज्यादा विकेट चटकाते?

हरभजन ने कहा, एमएस धोनी कप्तान जरूर थे लेकिन यह कप्तान के ऊपर का मामला था. कप्तान कभी बीसीसीआई से बड़ा नहीं हो सकता इसलिए मैं कह सकता हूं कि इसमें बीसीसीआई के अधिकारियों की भूमिका रही. खिलाड़ी बीसीसीआई की नींव है लेकिन उन दिनों तक बोर्ड चाहता था कि वह 'बॉस' बना रहे. उन्होंने कम से कम मेरे केस में तो ये दिखाया कि वे ही बॉस हैं. मेरे अच्छा खेलने के बावजूद यदि मैं किसी की 'गुड बुक' में नहीं था तो मेरे साथ 'यही' होना था.


सुधीर चौधरी: क्या विराट के साथ जो हुआ, वही आपके साथ हुआ था?

भज्जी ने कहा, मैं ये तो नहीं कह सकता कि सौरव और विराट के बीच क्या हुआ लेकिन चीजें बेहतर तरीके से हेंडल की जा सकती थीं. किसी भी बड़े खिलाड़ी का सम्मान होता है उसे वह 'रेस्पेक्ट' मिलना चाहिए. बीसीसीआई ऐसी संस्था है जिसकी वजह से हमारा वजूद है. मैं हमेशा उनका आभारी रहूंगा लेकिन मैं यह भी कहूंगा कि जो खिलाड़ी देश के लिए इतना क्रिकेट खेले उसे वह 'सम्मान' मिलना चाहिए.


सुधीर चौधरी: 2011 वर्ल्ड कप की विनिंग टीम एक साल में ही क्यों बिखरना शुरू हो गई?

भज्जी ने कहा, कोई भी चीज यूं ही नहीं होती. क्या मैं वर्ल्ड कप तक ही अच्छा खिलाड़ी था? क्या युवराज, गंभीर, मुनाफ और आशीष नेहरा तब तक ही अच्छे खिलाड़ी थे? ये टीम दोबारा कभी खेली ही नहीं. ये तो मैं नहीं मान सकता कि ये टीम सिर्फ 2011 तक ही अच्छी थी. मैं खुद, गौतम गंभीर और युवराज सिंह अगले वर्ल्ड कप तक खेल सकते थे. हमें वर्ल्ड कप तो क्या अगली एक सीरीज भी नहीं मिली. अगली सीरीज तक तो 'असुरक्षा' की भावना बहुत बढ़ गई थी.


सुधीर चौधरी: लेकिन एमएस धोनी तो आगे तक खेलते रहे?
हरभजन ने कहा, एमएस धोनी की 'बेकिंग' हम सबसे काफी बेहतर थी. वह समर्थन यदि दूसरे खिलाड़ियों को मिलता तो वो भी लंबा खेलते. ऐसा तो नहीं था कि बाकी प्लेयर बल्ला या बॉल पकड़ना भूल गए थे.

खैर किस्मत थी कि एमएस धोनी लंबा खेल गए. धोनी इंडियन क्रिकेट के एक दिग्गज और महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं. इसमें कोई शक नहीं है लेकिन जैसी बेकिंग उन्हें मिली वैसी दूसरे खिलाड़ियों को मिलती तो इंडिया के परिणाम 2015 और 2019 वर्ल्ड कप में बेहतर होते. ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड सीरीज में 4—0 की हार के परिणाम बेहतर हो सकते थे.

सुधीर चौधरी: क्या आर अश्विन की एंट्री से ही तय हो गया था आपके एग्जिट का रास्ता? क्या आप मानते हैं कि अश्विन आपसे बेहतर गेंदबाज हैं?  

भज्जी ने कहा, रविचंद्रन अश्विन अच्छे बॉलर हैं, उसमें कोई शक नहीं है. उनका ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. उन्होंने कई मैच जिताए हैं. ज्यादातर मैच भले ही इंडिया में हुए हों. जब उन्हें चुना गया तब तक मैं 400 विकेट ले चुका था. ऐसे में 400 विकेट लेने वाला कोई गेंदबाज एकदम से खराब हो जाए, ऐसा नहीं हो सकता. ऐसा भी नहीं हो सकता कि कोई न्यूकमर बहुत अच्छा हो जाए. न्यूकमर को भी अपने टर्न का इंतजार करना पड़ता है.

मेरे लिए तो ये उल्टा हो गया. जब वह खेलना शुरू किए तो मुझे अपने मौके का इंतजार करना पड़ रहा था. उनकी परफॉर्मेंस अच्छी हो गई फिर मुझे मौका नहीं मिला. चाहे मैं रणजी या आईपीएल में बेहतर परफॉर्म कर रहा था तब भी मुझे मौका नहीं मिलता था. श्रीलंका में टेस्ट सीरीज में मुझे एक ही मैच खेलने का मौका दिया गया.


अश्विन का मौका बनता था लेकिन वनडे या टी 20 में मैं अच्छा प्रदर्शन कर रहा था. आपको आश्चर्य होगा कि साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज के दौरान जब मेरी शादी थी तब मुझे टीम में बुलाया गया और मैंने 4 मैचों में 4 की इकोनॉमी से 6 विकेट लिए थे. उसके बावजूद मुझे वनडे में मौका नहीं मिला. टी 20 में मुझे तीन सीरीज में चुना गया लेकिन 'टूरिस्ट' की तरह घुमाते रहे.

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