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पाकिस्तान की तंगदिली, अफगान शरणार्थियों को किया खाने और पानी तक के लिए मोहताज 

Afghan Refugees In Pakistan: पाकिस्तान सरकार के नए कानून की वजह से सीमावर्ती क्षेत्रों में लाखों की संख्या में रह रहे अफगान शरणार्थियों के सामने जीवन का संकट बन गया है. शरणार्थी कैंप में लोगों के पास खाने-पीने की चीजें तक मौजूद नहीं हैं. 

पाकिस्तान की तंगदिली, अफग�ान शरणार्थियों को किया खाने और पानी तक के लिए मोहताज 

Afghan Refugee In Pakistan

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डीएनए हिंदी: पाकिस्तान सरकार ने देश में अवैध ढंग से रह रहे शरणार्थियों को वापस अपने देश भेजने के लिए सख्त एक्शन शुरू कर दिया है. पाकिस्तान में शरणार्थियों की सबसे बड़ी संख्या अफगानिस्तान से आए लोगों की है. सीमावर्ती इलाकों में कैंपों में रह रहे इन लोगों को अफगानिस्तान लौटने के लिए मजबूर किया जा रहा है. फिलहाल कैंपों में रह रहे इन अफगान नागरिकों के पास मूलभूत सुविधाएं तक नहीं है. इनके कैंप में न खाने के लिए पर्याप्त भोजन है और न ही पीने का साफ पानी. बिजली और दूसरी बुनियादी सुविधाएं भी इन कैंप में नहीं है. दयनीय हालत में जी रहे इन लोगों को पाकिस्तान शरण नहीं देना चाहता है और अफगानिस्तान लौटने के लिए इनके पास पर्याप्त संसाधन भी नहीं हैं. 

पाकिस्तान सरकार के आदेश के बाद अफगान शरणार्थी अपने देश लौट रहे हैं. इनमें से ज्यादातर के पास सफर पूरा करने के लिए भी पर्याप्त खाना नहीं है. ज्यादातर परिवारों के साथ छोटे बच्चे भी हैं और उनके साथ सीमा पार करके यह सफर करना बेहद मुश्किल है. ठंडे मौसम में भी इन लोगों को आसमान के नीचे खुले में वक्त बिताना पड़ रहा है. पाकिस्तान की ही मीडिया में स्वयं सहायता समूहों की ओर से जारी आंकड़े दिखाए जा रहे हैं. 

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पाकिस्तान में हैं 17 लाख अफगानी नागरिक 
 पाकिस्तान सरकार ने अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया था. पाकिस्तान में शरणार्थियों का सबसे बड़ा समूह अफगानों का ही है. इनकी संख्या करीब 17 लाख के करीब बताई जाती है. देश छोड़ने के लिए अंतरिम सरकार ने 31 अक्टूबर तक की डेडलाइन दी थी. इस आदेश के बाद लाखों की संख्या में शरणार्थी अपने देश के लिए निकल रहे हैं. हालांकि, न तो इनके पास आवागमन का कोई साधन है और न ही यात्रा के लिए पर्याप्त राशन और सुविधाएं. 

संयुक्त राष्ट्र और एनजीओ ने मिलकर बनाए शिविर 
अफगान शरणार्थियों की समस्या को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र और कुछ स्वयं सहायता समूहों ने मिलकर राहत शिविर बनाए हैं. इन शिविरों में मूलभूत सुविधाओं का इंतजाम किया जा रहा है. अफगान शरणार्थयों के लिए परिवहन की व्यवस्था की भी कोशिश करने की बात की जा रही है. अभी हालत यह है कि एक गाड़ी में क्षमता से कहीं ज्यादा लोग भरकर जा रहे हैं. शरणार्थियों के पास वापस अफगानिस्तान लौटने का ही विकल्प बचा है.

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