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कौन थे Ripudaman Singh Malik? कनाडा में हत्या के बाद हो रही चर्चा

Who was Ripudaman Singh Malik: रिपुदमन सिंह मलिक साल 1972 में कनाडा शिफ्ट हो गए थे.पहले उन्होंने वहां पर एक कैब ड्राइवर के रूप में काम करना शुरू कर किया. बाद में उनकी पहचान एक सफल कारोबारी के रूप में होने लगी.

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कौन थे Ripudaman Singh Malik? कनाडा में हत्या के बाद हो रही चर्चा

Ripudaman Singh Malik

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डीएनए हिंदी: सिख नेता रिपुदमन सिंह मलिक (75) की गुरुवार को कनाडा में गोली मारकर हत्या कर दी गई. उनका नाम साल 1985 में हुए एयर इंडिया बम विस्फोट से भी जुड़ा था. हालांकि साल 2005 में उन्हें इस मामले में बरी कर दिया गया. साल 1985 में हुई इस घटना में 331 मारे गए थे. इस मामले की इन्वेस्टीगेशन करने वाले कनाडा के जांच दल का मानना ​​था कि वैंकूवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक विमान में एक सूटकेस बम लोड किया गया था और फिर बाद में यह टोरंटो में एयर इंडिया फ्लाइट 182 में ट्रांसफर कर दिया गया. इस मामले में बरी होने से पहले रिपुदमन सिंह मलिक ने चार साल जेल में बिताए थे.

बब्बर खालसा से थे लिंक!

रिपुदमन सिंह पर पंजाब में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम देने वाले खालिस्तानी संगठन बब्बर खालसा से संबंधों के आरोप लगते रहे हैं. वह एयर इंडिया बम विस्फोट के कथित मास्टरमाइंड तलविंदर सिंह परमार के करीबी सहयोगी भी थे. पंजाब में साल 1992 में पुलिस के हाथों मारे जाने से पहले तलविंदर सिंह परमार परमार बब्बर खालसा गुटों में से एक का नेतृत्व कर रहा था. उसके दो रिश्तेदार रिपुदमन सिंह मलिक के एक स्कूल में काम करते थे.

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कनाडा कब शिफ्ट हुए रिपुदमन?

रिपुदमन सिंह मलिक (Ripudaman Singh Malik) साल 1972 में कनाडा शिफ्ट हो गए थे.पहले उन्होंने वहां पर एक कैब ड्राइवर के रूप में काम करना शुरू कर किया. बाद में उनकी पहचान एक सफल कारोबारी के रूप में होने लगी. वह वैंकूवर स्थित 16,000 सदस्यों वाले खालसा क्रेडिट यूनियन (KCU) के अध्यक्ष भी बने. KCU की संपत्ति 110 मिलियन डॉलर से अधिक थी. वह सतनाम एजुकेशन सोसायटी के अध्यक्ष भी थे. उन्होंने स्कूल चलाए, जिनमें कनाडा के पाठ्यक्रम के अलावा पंजाबी भाषा और सिख इतिहास भी पढ़ाया गया.

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आखिरी बार कब आए भारत
रिपुदमन सिंह आखिरी बार साल 2019 के दिसंबर महीने में भारत आए थे. रिपुदमन सिंह की यह भारत यात्रा 25 साल के अंतराल पर हुई थी. दरअसल उन्हें भारत सरकार ने 'ब्लैकलिस्ट' किया हुआ था. नरेंद्र मोदी सरकार ने इस लिस्ट से उनका नाम हटाने का फैसला किया. भारत सरकार ने सितंबर 2019 में 35 साल पुरानी ब्लैक लिस्ट से विदेशों में रह रहे 312 सिखों के नाम हटा दिए थे.

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भाजपा की शान में पढ़े थे कसीदे

इस साल फरवरी में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले रिपुदमन सिंह मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में उन्होंने सिखों के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों के लिए उन्हें धन्यवाद दिया था. उनके पत्र में 1984 के दंगों के मामलों को फिर से खोलने सहित भाजपा सरकार द्वारा की गई विभिन्न सिख समर्थक पहलों के बारे में जिक्र किया गया था. एक अलग संदेश में, उन्होंने PM के खिलाफ "नापाक अभियान" में शामिल होने के खिलाफ चेतावनी दी थी और यह इशारा दिया था कि यह एक विदेशी शक्ति द्वारा किया जा रहा था.

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