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Punjab Election 2022: सिद्धू की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं और उनकी बयानबाजी साबित हो सकती हैं कांग्रेस की राह का रोड़ा

नवजोत सिंह सिद्धू की अस्थिर राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं Punjab Election 2022 में कांग्रेस को मुसीबतों के दोराहे पर ले आईं हैं.

Punjab Election 2022: सिद्धू की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं और उनकी बयानबाजी साबित हो सकती हैं कांग्रेस की राह का रोड़ा
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डीएनए हिंदी: पंजाब विधानसभा चुनावों (Punjab Election 2022) को लेकर कांग्रेस (Congress) की मुसीबतें बढ़ाने में मुख्य भूमिका कांग्रेस के ही प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) निभा रहे हैं. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) रविवार को पंजाब के सीएम चेहरे का ऐलान करने वाले हैं लेकिन इससे पहले सिद्धू ने एक बार फिर आलाकमान को निशाने पर लिया है और कमजोर सीएम स्थापित करने की मंशा रखने का आरोप मढ़ दिया है. सिद्धू का महत्वाकांक्षी रवैया लगातार कांग्रेस को Punjab Election 2022 में बैकफुट पर ले जा रहा है. 

आलाकमान पर आक्रामक सिद्धू 

जैसे ही खबर आई कि कांग्रेस सीएम फेस का ऐलान करने वाली है वैसे ही नवजोत सिंह सिद्धू के आक्रामक बयान सामने आने लगे. नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि पंजाब को नए सीएम की आवश्यकता है क्योंकि पिछले 25 वर्षों में पंजाब को खूब लूटा गया है. सिद्धू ने कहा कि आलाकमान को कोई फर्क नहीं पड़ता है वो तो चाहते हैं कि कोई कमजोर मुख्यमंत्री बने जो कि उनके इशारे पर नाचे. सिद्धू का कहना है कि वो किसी गलत आदमी को सीएम फेस नही बनने देंगें. उनके बयान दर्शाते हैं कि यदि पार्टी ने उनके अलावा किसी और को सीएम फेस बनाया तो वो नया टकराव शुरू कर देंगे. 

राजनीतिक महत्वाकांक्षा पाले हुए हैं सिद्धू 

साल 2014 के लोकसभा चुनावों में जब सिद्धू को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने पार्टी से बगावत की थी. वहीं अमृतसर में पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) की हार के पीछे सिद्धू को भी एक बड़ी वजह माना जा रहा था. इसके बाद उन्हें पार्टी ने राज्यसभा भेजा लेकिन उन्होंने कुछ ही समय बाद इस्तीफा दे दिया. लंबे वक्त तक बीजेपी में रहक राजनीति करने वाले सिद्धू रातों-रात कांग्रेस की विचारधारा में ढल गए. इसके बाद उन्हें कांग्रेस ने पंजाब की अहम जिम्मेदारी दी.

2017 में सिद्धू को चुनावी जीत के बाद सरकार में नंबर दो की हैसियत दी गई और कैबिनेट मंत्री का पद मिला लेकिन वो लगातार तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amrinder Singh) के खिलाफ बगावत करते रहे. पहले उन्होंने मंत्री पद छोड़ा और साल 2020 की शुरुआत से कैप्टन पर हमला करना शुरू कर दिया. सिद्धू ने कांग्रेस आलाकमान पर कैप्टन के खिलाफ दबाव बनाया और कांग्रेस ने मजबूरन कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपमानित कर सिद्धू को पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाया फिर कैप्टन का इस्तीफा ले लिया.  इसका नतीजा यह हुआ कि एक वक्त सबसे मजबूत दिखने वाली कांग्रेस पंजाब की राजनीति में हाशिए पर आ गई.

नए सीएम से भी विरोध

कैप्टन के सीएम पद छोड़ने बाद सिद्ध की प्लानिंग सीएम बनने की थी लेकिन आलाकमान ने मास्टरस्ट्रोक खेलते हुए चरणजीत चन्नी (Charanjit Singh Channi) को सीएम बनाया. इसके बाद सिद्धू ने आलाकमान पर ही दबाव बनाने की तकनीक अपनाई और प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिया. हालांकि इस बार उनका दबाव काम नहीं आया और इस्तीफा वापस हो गया. वहीं सिद्धू अपने ही सीएम और गृहमंत्री के खिलाफ हमलावर रहते हैं और इशारों में ही उन पर गंभीर आरोप मढ़ देते हैं. 

कांग्रेस आलाकमान की भी अनसुनी 

सिद्धू कांग्रेस आलाकमान की बातों को भी अनसुना करते रहें हैं. वो भले ही खुद को राहुल गांधी का सैनिक बताते हो लेकिन उन्होंने अपने बयानों में आलाकमान की बातों को न मानने के संकेत दिए हैं. उन्होंने ही कांग्रेस के सामने हमेशा सीएम फेस घोषित करने की मांग रखी और इसीलिए कांग्रेस रविवार को सीएम फेस का ऐलान करेगी. कांग्रेस के इस फैसले को सिद्धू की जिद से जोड़कर देखा जा रहा है. वहीं इससे पहले अब सिद्धू कांग्रेस को ही चैलेंज करने लगे हैं कि आलाकमान रिमोट कंट्रोल वाला सीएम चाहता है. उनका यह बयान संकेत है कि वो आलाकमान की भी नहीं सुनने वाले हैं. 

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कांग्रेस के लिए दोतरफा मुसीबत

सिद्धू के दबाव में कांग्रेस ने चुनावों के लिए सीएम फेस घोषित करने का ऐलान तो कर दिया है लेकिन पार्टी को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. पार्टी ने दलित कार्ड खेलते हुए चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाया है. ऐसे में यदि चन्नी को हटाया जाता है तो विपक्ष हमलावर होगा और यह स्पष्ट संदेश जाएगा कि चन्नी का दलितों को लुभाने के लिए इस्तेमाल किया गया. वहीं यदि पार्टी चन्नी को ही सीएम फेस बनाती है तो सिद्धू मुसीबत बन सकते हैं क्योंकि भले ही वो आलाकमान के आदेश मानने की बात करते हों लेकिन उनके काम पार्टी विरोधी ही हो जाते हैं. ऐसे में नवजोत सिंह सिद्धू की अस्थिर और महत्वाकांक्षी सोच ने आज कांग्रेस को दोराहे पर खड़ा कर दिया है.

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