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सरकारी सुरक्षा के बावजूद हो गई उमेश पाल की हत्या, समझिए कहां फेल हो जाते हैं पुलिस के हथियार

Umesh Pal Murder Case: उमेश पाल हत्याकांड के समय उनके साथ दो गनर मौजूद थे लेकिन जब तक वे पलटवार करते तब हम हमलावरों ने छलनी कर दिया.

सरकारी सुरक्षा के बावजूद हो गई उमेश पाल की हत्या, समझिए कहां फेल हो जाते हैं पुलिस के हथियार

Umesh Pal Murder Case

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डीएनए हिंदी: किसी असामाजिक तत्व से खतरा होने पर कई लोगों को पुलिस सुरक्षा दी जाती है. यह सुरक्षा खतरे के हिसाब से अलग-अलग लेवल की होती है. अब अगर इस सुरक्षा में तैनात जवान की बंदूक ही काम न करे तो हमले की स्थिति में वह अपनी ही जान नहीं बचा पाएगा. ऐसा ही कुछ हुआ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case) में. इस मामले में जवान ने गोली चलाने की कोशिश की लेकिन बदमाश हावी पड़ गए. इस पर न सिर्फ बंदूकों की क्वालिटी पर सवाल उठ रहा है बल्कि जवानों की ट्रेनिंग को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.

पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें बड़े अधिकारियों के सामने पुलिस के जवान, दरोगा और कई अधिकारी भी फायरिंग नहीं कर पाए. कहीं पुलिसकर्मियों को फायरिंग ही नहीं आती थी तो कहीं बंदूक ही नहीं चली. दिसंबर 2022 का एक मामला है. उत्तर प्रदेश के बस्ती जोन के डीआईजी आरके भारद्वाज थानों का निरीक्षण करने निकले थे. खलीलाबाद कोतवाली में उन्होंने एक पुलिसकर्मी से फायर करने को कहा तो उनसे बंदूक ही नहीं चली.

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हथियार पुराने और ट्रेनिंग पुरानी?
पुलिस के पास ज्यादातर हथियार पुराने और आउटडेटेड हैं. ज्यादातर जवानों के पास अभी भी .303 राफइल हैं. हालांकि, 2019 से इन्हें इन्सास और एसएलआर राइफलों से रिप्लेस किया जा रहा है. हथियार इतने पुराने होने और न के बराबर इस्तेमाल होने की वजह से उनमें जंग लग जाती है. पुलिस के जवानों को भी सिर्फ ट्रेनिंग के समय ही हथियार चलाना सिखाया जाता है. इसके अलावा, अचानक हमले की स्थिति में तुरंत रिएक्ट करने के मामले में भी पुलिस के जवानों की ट्रेनिंग उतनी अच्छी नहीं होती.

उमेश पाल हत्याकांड में यही देखने को मिला. जब उमेश पाल पर फायरिंग शुरू हुई तो उनके साथ दो गनर भी मौजूद थे. जब तक गनर राघवेंद्र सिंह और संदीप कुमार रिएक्ट करते तब तक हमलावरों ने गोलियों से छलनी कर दिया. देसी कट्टों और हथगोलों से हमला कर रहे बदमाशों के आगे एक साथ 38 गोलियां दागने वाली कार्बाइन लिए जवान बस मुंह ताकते रह गए.

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बदमाशों ने भी छीनी कार्बाइन लेकिन नहीं हुई फायर
वीडियो में देखा जा सकता है कि जवानों को गोली मारने के बाद बदमाशों ने पुलिसकर्मियों से कार्बाइन भी छीन ली. वीडियो में ऐसा लगता है कि उसने कार्बाइन से फायरिंग करने की कोशिश की लेकिन गोली ही नहीं चली. यह भी कहा जा रहा है कि हो सकता है कि बदमाशों को कार्बाइन चलानी ही न आती हो. हालांकि, इतना तो तय है कि अगर कार्बाइन काम कर जाती तो शायद पुलिसकर्मियों के साथ-साथ उमेश पाल की भी जान बच सकती है.

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