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Gujarat Chunav 2022: गुजरात में कैसे खत्म हुआ कांग्रेस का गेम, कहां चूके और कैसे खिसकी सियासी जमीन, 5 पॉइंट्स में जानें

Gujarat Elections Results 2022: गुजरात में कांग्रेस सिमट गई है. कांग्रेस 2017 में 77 सीटें जीती थीं लेकिन आधी भी सीटें नहीं बचा सकी है.

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Gujarat Chunav 2022: गुजरात में कैसे खत्म हुआ कांग्रेस का गेम, कहां चूके और कैसे खिसकी सियासी जमीन, 5 पॉइंट्स में जानें

कांग्रेस नेता राहुल गांधी. (फोटो- Twitter/Congress)

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    डीएनए हिंदी: गुजरात (Gujarat Election 2022) में कांग्रेस (Congress) पार्टी की सियासी जमीन दरक गई है. जहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) प्रचंड बहुमत हासिल करती नजर आ रही है, वहीं रुझानों में कांग्रेस की सीटें आधी से भी कम हो गई हैं. साल 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने कुल 77 सीटें हासिल की थीं लेकिन इस बात नतीजे बेहद बुरे नजर आ रहे हैं. 

    कांग्रेस को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का भी कोई लाभ इस राज्य में नहीं मिला है. शुरुआती रुझानों में कांग्रेस महज 20 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. वहीं इसके उलट बीजेपी की लहर देखने को मिल रही है. 182 विधानसभा सीटों वाले राज्य में बीजेपी 152 सीटें जीतती नजर आ रही है. आम आदमी पार्टी 6 सीटें जीतती नजर आ रही है. गुजरात में कांग्रेस की स्थिति 2017 में बेहद मजबूत हो गई थी. मोदी मैजिक (Modi Magic) के बाद भी 77 सीटों हासिल करने में कामयाब कांग्रेस, हाशिए पर जा रही है. अब हाल बेहाल है. 

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    कांग्रेस की हार के 5 बड़ी वजहें क्या हैं?

    1. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में भ्रम, भटक गए कार्यकर्ता

    कांग्रेस की हार की सबसे बड़ी वजह है पार्टी नेतृत्व विहीन कांग्रेस. कांग्रेस में आलाकमान कौन है. राहुल गांधी अध्यक्ष रहें या नहीं, पार्टी में सार्वजनिक नेता के तौर पर स्वीकृति उन्हीं की है. गांधी परिवार से अलग कांग्रेस का अस्तित्व फिलहाल नजर नहीं आता है. मल्लिकार्जुन खड़गे न तो कांग्रेस के जनप्रिय नेता हैं, न ही उन्हें कांग्रेस कार्यकर्ता अपना नेता मानते हैं. गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष जगदीश ठाकोर खुद भीड़ खींचने में फेल रहे हैं. कांग्रेस का हाल इसलिए बुरा है क्योंकि पार्टी में नेतृत्व को लेकर अस्पष्टता है. कांग्रेस कार्यकर्ता इस भ्रम में थे कि जब उनका कोई नेतृत्व करने वाला ही नहीं है तो चुनाव प्रचार कैसे करें. यही हाल जनता का भी है. जनता जगदीश ठाकोर को स्वीकार ही नहीं कर पाई.

    2.  भारत जोड़ो यात्रा ने बिगाड़ा गुजरात का गेम

    साल 2017 के विधानसभा चुनाव में गुजरात में कांग्रेस ने बीजेपी की राह मुश्किल कर दी थी. पहले चरण के चुनाव में कांग्रेस की बंपर जीत हुई थी. बीजेपी के लिए हालात इतने खराब हो गए थे कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को एक के बाद एक कई चुनावी रैलियां करनी पड़ी थीं. दूसरे चरण में जाकर बीजेपी कवर कर पाई थी. सत्ता विरोधी लहर ऐसी उठी थी कि लग रहा था कि बीजेपी सरकार जाने वाली है. इस बार ऐसी लहर नजर ही नहीं आई. राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा कर रहे थे, वहीं बीजेपी ने रोडशो करके गुजरात जीत लिया. राहुल गांधी का सारा ध्यान भारत जोड़ो यात्रा पर था, गुजरात पर उनकी रैलियां तब हुईं, जब तक बीजेपी माहौल बदल चुकी थी. कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण यह भी है.

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    राहुल गांधी.

    3. युवा नाराज, पाटीदार निराश, कांग्रेस के हारने की एक वजह ये भी 

    अल्पेश ठाकोर, जिग्नेश मेवाणी और हार्दिक पटेल जैसे युवा तुर्क कभी कांग्रेस पार्टी के साथ रहे. जिग्नेश मेवाणी पार्टी में बचे लेकिन दोनों दूसरे दिग्गज नेताओं ने बीजेपी का हाथ थाम लिया. हार्दिक पटेल को कांग्रेस ने कद्दावर नेता बना दिया था लेकिन बाद में उन्हें दरकिनार कर दिया. राज्य अध्यक्ष होते हुए भी उन्हें पार्टी बैठकों से बाहर किया जाता रहा. उन्होंने बीजेपी का हाथ थाम लिया. यही हाल अल्पेश ठाकोर का भी रहा. वे भी बीजेपी में चले गए. जिग्नेश मेवाणी को पार्टी ने वैसा भाव दिया ही नहीं. अगर कांग्रेस ने जिग्नेश पर फोकस किया होता तो दलित वोटर बीजेपी के पाले में नहीं जाते. हार्दिक पटेल पाटीदारों का वोट खींचते और अल्पेश ठाकोर ओबीसी वोटरों को लुभाने में कामयाब होते. युवा तुर्कों को नाराजगी कांग्रेस पर भारी पड़ी. कांग्रेस पाटीदार समुदाय को भी लुभाने में कामयाब नहीं रही. 

    अल्पेश

    4. न मेगा कैंपेनिंग, न आक्रामक रैलियां, कैसे गुजरात जीतती कांग्रेस

    विधानसभा चुनाव 2022 की असली तैयारी कांग्रेस ने की ही नहीं. कांग्रेस की पूरी तैयारी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर रही और चुनावी राज्यों से पार्टी ने दूरी बरत ली. दोनों राज्यों में जिस तरह के एक्टिव कैंपेनिंग की जरूरत थी, कांग्रेस कर नहीं सकी. यह बात सार्वजनिक रूप से स्वीकृत है कि कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे राहुल गांधी हैं. कांग्रेस के कमांडर का सड़कों पर होना, कांग्रेस को ले डूबा. न मल्लिकार्जुन खड़गे के चुनावी रैलियों में भीड़ नजर आई न ही जगदीश ठाकोर के. प्रियंका गांधी भी गुजरात में एक्टिव कैंपेनिंग नहीं कर पाई. कांग्रेस डोर-टू-डोर कैंपेनिंग में सिमटी रही और बीजेपी माहौल बनाने में कामयाब हो गई.

    अरविंद केजरीवाल.

    5. AAP की एंट्री से बर्बाद हो गई कांग्रेस

    आम आदमी पार्टी (AAP) ने कांग्रेस को बुरी तरह से डैमेज किया है. मुस्लिम समुदाय के वोटर इस बार आम आदमी पार्टी की ओर भी शिफ्ट हुए हैं. पहले यह समुदाय कांग्रेस का कोर वोटर था, AAP की एंट्री ने समीकरण बदल दिए. पाटीदार कांग्रेस से खुश नहीं हैं. मुस्लिम के अलावा दलित वोटरों की एक बड़ी आबादी कांग्रेस से आम आदमी पार्टी की ओर शिफ्ट हो गई है. अरविंद केजरीवाल अपनी मजबूत पैठ बनाने में कामयाब हुए हैं. बीजेपी की प्रचंड लहर में आम आदमी पार्टी, भगवा पार्टी का कुछ भी नुकसान नहीं कर पाई है लेकिन कांग्रेस को डैमेज किया है. आम आदमी पार्टी (AAP) ने कांग्रेस (Congress) के वोटबैंक में सेंध लगाई और कांग्रेस ने अपनी जमीन खो दी.

    ...और क्या वजह है कांग्रेस की हार के लिए जिम्मेदार

    गुजरात में कांग्रेस पार्टी अपने एजेंडे को जनता तक पहुंचाने में बुरी तरह से फेल हुई है. 27 साल की एंटी इनकंबेंसी को कांग्रेस भुना सकती थी लेकिन हाल ऐसा हो गया कि सारे फैक्टर फेल हो गए. कांग्रेस गुजरात में मजबूत विकल्प बनकर उभर ही नहीं पाई. जिस राज्य में कांग्रेस बेहद मजबूत थी, उसी राज्य में 20 से कम सीटों पर सिमटती कांग्रेस से जनता से सीधे संपर्क करने में बड़ी चूक हुई है. जनता में यह संदेश ही नहीं गया कि कांग्रेस चुनाव लड़ रही है. इस बार का विधानसभा चुनाव ऐसा था कि जैसे बीजेपी के लिए कांग्रेस खुद ही पीछे जा रही हो. कांग्रेस के खिलाफ जमीन सधे तौर पर AAP ने तैयार किया और कांग्रेस इस राज्य में और कमजोर हो गई.

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