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Ashtami Vrat Kab Hai: किस दिन रखें महाअष्टमी का व्रत? महागौरी की उपासना से मन-तन को होता है यह फायदा

Ashtami का व्रत कब है, कन्या पूजन, हवन सामग्री, शुभ मुहूर्त क्या है, व्रत कथा क्या है और कैसे पूजा करें और व्रत में क्या खाएं

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Ashtami Vrat Kab Hai: किस दिन रखें महाअष्टमी का व्रत? महागौरी की उपासना से मन-तन को होता है यह फायदा
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डीएनए हिंदी: Durga Ashtami Date Kab hai Vrat, Katha and Pujan Vidhi- नवरात्रि के नौ दिन ही बहुत खास होते हैं लेकिन अष्टमी का दिन काफी महत्वपूर्ण होता है, कई लोग इसी दिन अपना व्रत खोलते हैं और कन्या पूजन करते हैं. बंगाल में इस दिन महा अष्टमी की अंचली दी जाती है और डाला भी चढ़ाया जाता है. इस साल 3 अक्टूबर शाम को अष्टमी शुरू हो रही है और 4 तक रहेगी. इस दिन महागौरी की पूजा होती है और साथ ही हवन भी करवाते हैं.

3 अक्टूबर 2022 को शाम 04 बजकर 37 पर

दुर्गा अष्टमी 2022 शुभ मुहूर्त (Ashtami Shubh Muhurat)

शोभन योग- 2 अक्टूबर शाम 5 बजकर 14 मिनट से 3 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 21 मिनट तक

संधि पूजा का मुहूर्त- 3 अक्टूबर शाम 4 बजकर 14 मिनट से 5 बजकर 2 मिनट तक

राहुकाल- सुबह 7 बजकर 33 मिनट से 11 बजकर 57 मिनट तक

यह भी पढ़ें- बंगाल में क्यों अलग है महाअष्टमी, जानें क्या है महत्व और क्या नहीं करना चाहिए इस दिन

नवरात्र के आठवें दिन होगी महागौरी की पूजा (Mahagauri Puja) 

नवरात्र के आठवें दिन महागौरी के आठवें रूप महागौरी मां की पूजा की जाती है. महागौरी की पूजा करने शारीरिक और मानसिक समस्याओं से निजात मिलती है और धन-वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, इसी कारण महागौरी को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य प्रदायिनी,चैतन्यमयी भी कहा जाता है

हवन और पूजा सामग्री (Hawan And Pujan Samagri)

हवन कुंड
आम की लकड़ी
चंदन की लकड़ी
पंचमेवा
जौ
गूलर की छाल
गोला
अश्वगंधा
कपूर
तिल
लौंग
गाय की घी
इलायची
शक्कर
नवग्रह की लकड़ी
पान
अक्षत

यह भी पढ़ें- बंगाल की दुर्गा पूजा की ये हैं खास बातें, ढाक ढोल, सिंदूर खेला से बनता है त्योहार स्पेशल

दुर्गा अष्टमी व्रत कथा  (Ashtami Vrat Katha 2022)

पौराणिक कथा के अनुसार मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन के लिए मान्यता है कि दुर्गम नाम के क्रूर राक्षस ने अपनी क्रूरता से तीनों लोकों को पर अत्याचार किया हुआ था, उसके आतंक के कारण सभी देवता स्वर्ग छोड़कर कैलाश चले गए थे, दुर्गम राक्षस को वरदान था कि कोई भी देवता उसका वध नहीं कर सकता, सभी देवता ने भगवान शिव से अनुरोध किया कि वो इस परेशानी का हल निकालें. इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी शक्तियों को मिलाकर शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन देवी दुर्गा को जन्म दिया. इसके बाद माता दुर्गा को सबसे शक्तिशाली हथियार दिया गया और राक्षस दुर्गम के साथ युद्ध छेड़ दिया गया. जिसमें माता ने राक्षस का वध कर दिया और इसके बाद से दुर्गा अष्टमी का जन्म हुआ इसलिए दुर्गा अष्टमी के दिन शस्त्र पूजा का भी विधान है.

व्रत रखते हैं तो क्या पी सकते हैं

ठंडाई 
मैंगो लस्सी
बादाम का दूध 
स्ट्रॉबेरी शेक
मिल्क शेक
केसरिया लस्सी

यह भी पढ़ें- महानवमी की सही डेट क्या है, कैसे करें पूजा, महत्व, महानवमी पर करें ये तीन काम 

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