Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

आदि गुरु शंकराचार्य: तपस्या के बाद हुआ जन्म, इनकी मौत आज भी है रहस्य

यह बताया जाता है कि केदारनाथ में ही समाधि लेकर आदि गुरु शंकराचार्य विलीन हो गए थे.

 आदि गुरु शंकराचार्य: तपस्या के बाद हुआ जन्म, इनकी मौत आज भी है रहस्य

आदि शंकराचार्य

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी. भारत को संतों का देश कहा जाता है. ये कहावत यूं ही नहीं बनी. जब भी इतिहास पर नजर डालते हैं तो ऐसे कई संतों के नाम सामने आते हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन ही देश औऱ संस्कृति के लिए समर्पित कर दिया. ऐसे ही एक संत थे- आदि गुरु शंकराचार्य. कुछ समय पहले ही केदारनाथ में शंकराचार्य की 12 फीट लंबी मूर्ति का अनावरण किया गया था. दरअसल शंकराचार्य ने अपने जीवन का आखिर समय केदारनाथ में ही बिताया था. 


भगवान शंकर के आशीर्वाद से हुआ जन्म
आदि शंकराचार्य का जन्म केरल में कालपी 'काषल' नाम के गांव में हुआ था. कहा जाता है कि उनके माता-पिता काफी समय तक निःसंतान रहे.  उनकी माता ने जब भगवान शिव की उपासना औऱ कठोर तपस्या की तब उनका जन्म हुआ था. इसी वजह से उनका नाम भी शंकर रखा गया था. 


बचपन में ही याद हो गए थे वेद-पुराण
उनके बारे में ये भी बताया जाता है कि महज 3 साल की उम्र में ही उन्होंने सभी वेद, उपनिषद औऱ पुराण कंठस्थ कर लिए थे. बचपन से ही वह संन्यासी बनना चाहते थे. इसी सिलसिले में वह अपनी संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते हुए ज्ञान अर्जित करते रहे. इसी का परिणाम था- अद्वैत वेदांत संप्रदाय. आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित ये संप्रदाय नौंवी शताब्दी में बेहद लोकप्रिय हुआ और भारतीय संस्कृति के प्रसार-प्रचार का अहम केंद्र बना.  


चार मठों की स्थापना
आदि शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की थी. माना जाता है कि उनके द्वारा स्थापित चार मठों ने अद्वैत वेदांत के ऐतिहासिक विकास, पुनरुद्धार और प्रचार में मदद की थी.

वेदान्त मठ 
इसे वेदान्त ज्ञानमठ भी कहा जाता है. यह सबसे पहला मठ था. इसे श्रृंगेरी रामेश्वर अर्थात् दक्षिण भारत में स्थापित किया गया.

गोवर्धन मठ 
गोवर्धन मठ दूसरा मठ था. इसे जगन्नाथपुरी यानी पूर्वी भारत में स्थापित किया गया .

शारदा मठ 
इसे कलिका मठ भी कहा जाता है. ये तीसरा मठ था. इसे द्वारकाधीश यानी पश्चिम भारत में स्थापित किया गया .

ज्योतिपीठ मठ 
इसे बद्रीकाश्रम भी कहा जाता है. ये चौथा और अंतिम मठ था. इसे बद्रीनाथ यानी उत्तर भारत में स्थापित किया गया .


केदारनाथ में ली थी समाधि
बताया जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने केदारनाथ में ही समाधि ली थी. वह अपने शिष्यों के साथ केदारनाथ में दर्शन करने आए थे. यहां उन्होंने शिष्यों के साथ भगवान के दर्शन किए थे. इसके बाद वह अंर्तध्यान हो गए थे. जहां पर शंकराचार्य विलुप्त हुए थे वहां शिवलिंग की स्थापना की गई. उनका समाधि स्थल भी यहीं बनाया गया.  2013 में आई त्रासदी में यह समाधि स्थल बह गया था. अब कुछ ही समय पहले यहां उनकी 12 फीट लंबी मूर्ति स्थापित की गई है. 
 

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement