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दुनिया का सबसे महंगा है यह एशियाई शहर, दिल्ली से है महज इतना किलोमीटर दूर 

मर्सर की 2022 कॉस्ट ऑफ लिविंग सिटी रैंकिंग के अनुसार भारत का मुंबई शहर रहने के मामले में 127वां सबसे महंगा शहर है, उसके बाद दिल्ली का नंबर है.

दुनिया का सबसे महंगा है यह एशियाई शहर, दिल्ली से है महज इतना किलोमीटर दूर 
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डीएनए हिंदी: कॉस्ट ऑफ लिविंग रैंकिंग (Cost of Living Ranking) के मुताबिक विदेशी कर्मचारियों के लिए मुंबई भारत का सबसे महंगा शहर (Mumbai is most costlier City in India) है. मर्सर की 2022 कॉस्ट ऑफ लिविंग सिटी रैंकिंग अंतरराष्ट्रीय कर्मचारियों के लिए सबसे महंगे शहरों का खुलासा करती है. दुनिया में 127वें नंबर पर मुंबई भारत का सबसे महंगा शहर है और उसके बाद 155वें नंबर पर नई दिल्ली है. मर्सर के 2022 कॉस्ट ऑफ लिविंग सर्वे (Mercer 2022 Cost of Living Survey) में चेन्नई 177वें नंबर पर, बेंगलुरु 178वें और हैदराबाद 192वें नंबर पर है. रैंकिंग के अनुसार, पुणे और कोलकाता क्रमशः 201 और 203 की रैंकिंग में सबसे कम खर्चीले भारतीय शहर हैं. मर्सर ने अपनी रैंकिंग के सेट करने के लिए आवास, परिवहन, भोजन, कपड़े, घरेलू सामान और मनोरंजन सहित 200 से अधिक चीजों की तुलनात्मक लागत का अध्ययन किया. 

दुनिया सबसे महंगा शहर हांगकांग 
दुनिया के सबसे महंगे शहर की बात करें तो हांगकांग, विदेशों में काम करने के लिए भेजे गए कर्मचारियों के लिए दुनिया की सबसे महंगी जगह है. मर्सर के कॉस्ट ऑफ लिविंग सर्वे 2022 में स्विट्जरलैंड के चार शहर ज्यूरिख, जिनेवा, बेसल और बर्न क्रमशः दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर रहे. तीन अन्य एशियाई शहरों - सिंगापुर, टोक्यो और बीजिंग - ने क्रमशः 8वें, 9वें और 10वें स्थान पर रहते हुए टॉप टेन में अपनी जगह बनाई है. मैनेजमेंट कंसल्टेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कई एशियाई शहरों की हाई रैकिंग बढ़ती महंगाई और मजबूत करेंसी की वजह से देखने को मिल रही है. 

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तुर्की का अंकारा शहर सबसे सस्ता 
इसके अलावा, रिपोर्ट में विदेशी कर्मचारियों के रहने के लिए सबसे सस्ता स्थान भी दिखाया गया जिसमें तुर्की का अंकारा, किर्गिस्तान में बिश्केक और ताजिकिस्तान में दुशांबे शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19, यूक्रेन में युद्ध, विनिमय दर में उतार-चढ़ाव और व्यापक महंगाई सहित वैश्विक मुद्दे कर्मचारियों के वेतन और बचत को प्रभावित कर रहे हैं, जबकि पिछले 18 महीनों में एशिया में ट्रांसफर होने वाले प्रोफेशनल्स की संख्या में गिरावट आई है. एशिया पैसिफिक के लिए मर्सर के रीजनल मोबिलिटी लीडर ट्रेसी मा ने कहा कि विकसित देशों में प्रतिभा की कमी, जो विदेशी श्रमिकों पर बहुत अधिक निर्भर है, उच्च जीवन लागत से एक समस्या बन सकती है.

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