Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

बैंक ऑफ इंग्लैंड की चेतावनी, इतिहास की सबसे लंबी मंदी देख सकता है ब्रिटेन

यूके ने हाल ही में अपनी ब्याज दरों को 75 आधार अंकों से बढ़ाकर 3 फीसदी कर दिया है, जो 1989 के बाद सबसे अधिक होगा.

बैंक ऑफ इंग्लैंड की चेतावनी, इतिहास की सबसे लंबी मंदी देख सकता है ब्रिटेन
FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी: बैंक ऑफ इंग्लैंड ने 1989 के बाद उधार लेने की दर को 3 प्रतिशत तक बढ़ाने के बाद ब्रिटेन में 100 वर्षों में सबसे लंबी मंदी आने की चेतावनी दी है. द गार्जियन ने बताया कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था बहुत ही चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है. इस गर्मी में शुरू हुई मंदी 2024 के मध्य तक चलने की उम्मीद है. बैंक ने कहा कि उसे बेरोजगारी 3.5 प्रतिशत से 6.5 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है. इस बीच केंद्रीय बैंक ने दरों में बदलाव कर अपेक्षा के विपरीत उधार लेने वालों को कुछ राहत प्रदान की थी.

1989 के बाद सबसे बड़ा इजाफा 
बैंक के गवर्नर एंड्रयू बेली ने कहा कि हम भविष्य की ब्याज दरों के बारे में वादा नहीं कर सकते, लेकिन आज हम जहां खड़े हैं, उसके आधार पर हमें लगता है कि वित्तीय बाजारों में वर्तमान कीमत से बैंक दर को कम करना होगा." गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक पिछली बार 1989 में उधार लेने की दरों में 0.5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई थी.
1992 में विनिमय दर तंत्र संकट के दौरान जॉन मेजर की सरकार को 2 प्रतिशत की वृद्धि के लिए मजबूर किया गया था, हालांकि 24 घंटे से भी कम समय में इसे वापस ले लिया गया था.

यूके सरकार क्या कर सकती है?
बैंक ऑफ इंग्लैंड के अनुसार, "ब्रिटेन सरकार अभी केवल सुरक्षा बहाल कर सकती है, पब्लिक फंड को ठीक कर सकती है और बॉन्ड से छुटकारा पा सकती है ताकि फंडिंग लागत में वृद्धि को उम्मीद के मुताबिक कम रखा जा सके."

ब्रिटेन की अब तक की सबसे खराब मंदी
ब्रिटेन को इस साल दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना पड़ा है. जबकि कोरोनोवायरस महामारी को रोकने के प्रयास की वजह से इकोनॉमी को काफी नुकसान झेलना पड़ा था. साल 1955 के बाद तिमाही जीडीपी इस बार सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली है तो 20.4 फीसदी है.

एक महीने के निचले स्तर पर गिरने के बाद सोना चढ़ा, चांदी की कीमतों में उछाल

अब तक की सबसे लंबी मंदी से क्या मतलब है?
बैंक ने स्वीकार करते हुए कहा क अर्थव्यवस्था ने पहले वसंत के अंत में "टेस्टिंग" क्राइसिस में प्रवेश किया था, जो अगले वर्ष और 2024 की शुरुआत में जारी रहेगा.

खर्चे इस हद तक क्यों बढ़ रहे हैं?
बैंक मंदी न केवल जीवनयापन की बढ़ती लागत का कारण हो सकती है, बल्कि महामारी भी हो सकती है, जो दुनिया भर में जीवन यापन की लागत को प्रभावित करती है.

दुनिया में मंदी के संकेत 
फेड की ओर से ब्याज दरें बढ़ाने से पहले दुनियाभर के कुल अर्थशास्त्रियों में से 50 फीसदी का मानना था कि कैलेंडर वर्ष 2023 की पहली तिमाही में दुनियाभर में मंदी के गहरे बादल आ जाएंगे वहीं 50 फीसदी का मानना था अभी मंदी दूर की कौड़ी है. फेड और बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा ब्याज दरों में हालिया इजाफे के बाद अर्थशास्त्रियों और जानकारों की धारणा में बदलाव देखने को मिला है. अब 90 फीसदी का मानना है कि मंदी आ सकती है. जिसका असर दुनियाभर के सभी देशों में देखने को मिलेगा.

दुनिया में सबसे कम MANUFACTURING COSTS वाले देशों की सूची में भारत सबसे ऊपर

भारत में भी हो सकता है इजाफा 
दिसंबर के पहले सप्ताह में आरबीआई की एमपीसी की बैठक होने वाली है. जिसमें आरबीआई 0.50 फीसदी का इजाफा कर सकता है. जानकारों की मानें तो अगर यह इजाफा होता है को इस साल रेपो दरों में 2.40 फीसदी का इजाफा हो जाएगा और नीतिगत दरें 6.40 फीसदी पर आ जाएंगी. खास बात तो ये है कि बीते तीन महीनों में महंगाई पर काबू ना पाने और टॉलरेंस लेवल पर ना पाने को लेकर आरबीआई की एमपीसी की बैठक गुरुवार को हुई थी. वैसे दरों में इजाफे की घोषणा तो नहीं हुई, लेकिन इस बात पर चर्चा जरूर की गई कि महंगाई को कम ना कर पाने के कौन कौन से कारणों का जिक्र करना है. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement