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Bhagyanagar or Hyderabad: हैदराबाद का नाम भाग्यनगर करने की क्यों उठती रही है मांग, भाग्यलक्ष्मी मंदिर से क्या है कनेक्शन?

Bhagyanagar or Hyderabad: भाग्यलक्ष्मी मंदिर प्रसिद्ध चारमीनार के दक्षिण पूर्वी हिस्से से सटा है. यह मंदिर राजनीतिक विवाद की वजह बन गया है. देवी लक्ष्मी को समर्पित यह मंदिर भी अब विवादों के केंद्र में है.

Bhagyanagar or Hyderabad: हैदराबाद का नाम भाग्यनगर करने की क्यों उठती रही है मांग, भाग्यलक्ष्मी मंदिर से क्या है कनेक्शन?

हिंदू संगठनों की मांग है कि हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर कर दिया जाए.

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डीएनए हिंदी: हैदराबाद (Hyderabad) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद को को भाग्यनगर (Bhagyanagar) कहा है. सीनियर भारतीय जनता पार्टी के नेता रविशंकर प्रसाद ने एक न्यूज एजेंसी के साथ बातचीत में जब यह कहा तो एक बार फिर से अटकलें लगाई जाने लगीं कि क्या अब हैदराबाद (Bhagyanagar or Hyderabad) का नाम बदलेगा.

नेताओं ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा था कि हैदराबाद भाग्यनगर है. यह हम सबके लिए महत्वपूर्ण है. सरदार वल्लभ भाई पटेल ने हमें यहीं से एक भारत दिया था.

हैदराबाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान की वजह से भाग्यनगर नाम करने की मांग फिर से तेज हो गई है. दिसंबर 2020 में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, शहर में नगरपालिका चुनावों से पहले हैदराबाद के दौरे पर, भाग्यलक्ष्मी मंदिर गए थे. इस मंदिर के नाम पर ही इस शहर का नाम भाग्यनगर करने की मांग उठती है.

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भाग्यनगर क्यों नहीं होना चाहिए नाम?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हैदराबाद में भी चुनाव प्रचार के दौरान शहर का नाम बदलने की वकालत कर रहे थे. सीएम योगी ने कहा था कि कुछ लोग मुझसे पूछ रहे थे कि क्या हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर किया जा सकता है. मैंने कहा-क्यों नहीं?

भाग्यलक्ष्मी मंदिर

भाग्यलक्ष्मी मंदिर कहां है?

भाग्यलक्ष्मी देवी लक्ष्मी का मंदिर है. यह मंदिर इन दिनों विवादों के केंद्र में है. यह मंदिर प्रसिद्ध चारमीनार से सटा हुआ है. चारमीनार के दक्षिण-पूर्वी मीनार के पास है. लोग कहते हैं कि यह मंदिर 800 साल पुराना है. ऐसा भी कहा जाता है कि यह 19वीं सदी का मंदिर है. यह मंदिर चारमीनार की दीवार से सटा है. यह बास के खंभों और तिरपाल से बना है. इसकी छत टिन की है.
 
कितना पुराना है यह मंदिर?

यह मंदिर कितना पुराना है इसका इतिहास ज्ञात नहीं है. कुछ लोगों का मानना है यह मंदिर 1960 में बना है. कहा जाता है कि जो मूर्ति आज नजर आती है उसकी स्थापना तभी हुई थी. जबकि चारमीनार का निर्माण 1591 में हुआ था.

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मोहम्मद कुली कुतुब शाह की राजधानी गोलकुंडा में पानी की कमी की वजह से जब प्लेग और हैजा रोग फैला था तब उन्होंने इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए प्रार्थना की थी और मस्जिद बनाने का फैसला किया था. हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है.

चारमीनार.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) चारमीनार की सुरक्षा करता है. दावा किया जाता है कि यह मंदिर चारमीनार में अतिक्रमण की वजह से है. 

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक स्तंभ पर यह मंदिर टिका है. 1960 के दशक में यह स्तंभ भगवा रंग का था. कुछ लोगों ने इसी साल से आरती करनी शुरू कर दी. राज्य सड़क परिवहन की एक बस इसी स्तंभ से टकरा गई और उसे क्षतिग्रस्त कर दिया. रातभर में ही बांस से बना एक ढांचा तैयार कर दिया गया. उसके नीचे मूर्ति रख दी गई. 

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कांग्रेस नेता मोहम्मद शब्बीर अली तेलंगाना विधान परिषद में विपक्ष के पूर्व नेता हैं. उन्होंने कहा था कि उस घटना के बाद सेही हर त्योहार के बाद मंदिर की परिधि बढ़ती चली गई, जब तक साल 2013 में पुलिस को कोर्ट ने विस्तार रोकने का निर्देश नहीं दिया था.

मंदिर में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भारी भीड़

चारमीनार क्षेत्र में बड़ी संख्या में हिंदू व्यापारी और व्यवसायियों की दुकानें हैं. लोग बंडी संख्या में रोज मंदिर जाते हैं. दीपावली के दिन इस मंदिर में बड़ी भीड़ होती है. भक्तों की मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से उन्हें सौभाग्य मिलता है.

भाग्यलक्ष्मी मंदिर

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दूसरी ओर, हिंदू राजनीतिक संगठन देवी के नाम को भाग्यनगर से जोड़ते हैं. हिंदूवादी संगठन दावा करते हैं कि हैदराबाद को पहले भाग्यनगर के नाम से जाना जाता था. कुतुबशाही शासकों ने गोलकुंडा से बदलकर हैदराबाद को अपनी राजधानी बनाई थी. इसका नाम बदलकर फिर हैदराबाद कर दिया.

मंदिर राजनीतिक विवाद का स्थल कब बना?

हैदराबाद शहर सांप्रदायिक रूप से बेहद संवेदनशील है. यह मंदिर साल 1970 के दशक से सांप्रदायिक तनाव और हिंसा का केंद्र रहा है. नवंबर 1979 में चरमपंथियों ने जब सऊदी अरब में सउदी असेंबली में हंगामा करने की कोशिश की थी, मक्का में ग्रैंड मस्जिद में हंगामा हुआ था तब हैदराबाद में बंद बुलाया गया था. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) उस वक्त बेहद प्रभावी थी. जैसे-जैसे दिवाली नजदीक आ रही थी, कई हिंदू दुकानदारों ने एमआईएम से अनुरोध किया कि उन्हें अपनी दुकानें खुली रखने की अनुमति दी जाए. इसकी वजह से झड़प शुरू हुई जिसके बाद भाग्यलक्ष्मी मंदिर पर ही हमला बोल गिया गया. मंदिर को अपवित्र करने की कोशिश भी की गई. 

कुछ साल बाद, सितंबर 1983 में, गणेश उत्सव के अवसर पर मंदिर में भव्य आयोजन किया गया. मंदिर के बैनर लगाए गए, जिसके विस्तार के बाद तनाव पैदा हो गया. भाग्यलक्ष्मी मंदिर और अलविन मस्जिद दोनों जगहों पर भीड़ ने हमला किया था.

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नवंबर 2012 में ऐसी खबरें सामने आईं कि मंदिर प्रबंधन बांस की संरचना को चादरों में बदल रहा है. मंदिर का विस्तार किया जा रहा है. आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने विवादस्थल पर सभी निर्माण गतिविधियों को रोकने का आदेश जारी किया था. 

बीजेपी क्यों कर रही है शहर का नाम बदलने की मांग?

भाग्यलक्ष्मी मंदिर के साथ भाग्यनगर के नाम को जोड़ने की कोशिश बीजेपी कर रही है. नेताओं के बयान इस ओर इशारा कर रहे हैं कि इस मंदिर का नाम भाग्यनगर कर दिया जाएगा अगर सूबे की सत्ता बीजेपी को मिलती है. 2020 में ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनावों के दौरान कई बीजेपी नेताओं ने इस इलाके का दौरा किया था. 

जब हैदराबाद और भाग्यनगर पर सियासी घमासान छिड़ा तब बीजेपी के तेलंगना यूनिट के हेड संजय कुमार ने तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेताओं को चुनौती दी कि वे भाग्यलक्ष्मी के सामने शपथ लें. भाग्यनगर प अक्सर चुनावी चर्चा चलती रही है. हैदराबाद में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान एक बार फिर भाग्यलक्ष्मी मंदिर पर सियासी घमासान छिड़ा है.

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