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MEA Warning: कनाडा में रह रहे हिंदुस्तानियों से विदेश मंत्रालय ने क्यों कहा अलर्ट रहें? ये वजहें हैं जिम्मेदार

कनाडा में हाल के दिनों भारत विरोधी गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं. खालिस्तान रेफरेंडम और हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की घटनाएं चिंता बढ़ा रही हैं.

MEA Warning: कनाडा में रह रहे हिंदुस्तानियों से विदेश मंत्रालय ने क्यों कहा अलर्ट रहें? ये वज�हें हैं जिम्मेदार

कनाडा में बढ़ रही हैं आपराधिक घटनाएं.

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डीएनए हिंदी: कनाडा (Canada) और भारत (India) के संबंध बेहद पुराने हैं. लोग कहते भी हैं कि कनाडा के कई इलाकों में भारत बसता है. यहां भारतीय संस्कृति (Indian Culture) आधुनिकता के साथ फल-फूल रही है. वहां की सरकार से लेकर संस्कृति तक पर अब भारतीय असर नजर आता है. हाल के दिनों में लेकिन हालात बदल गए हैं. कनाडा में हेट क्राइम (Hate Crime) और सांप्रदायिक हिंसा (Communal Violence) ने दस्तक दे दी है. बेहद खूबसूरत देश में भारत विरोधी घटनाएं हाल के दिनों में तेजी से बढ़ी हैं. विदेश मंत्रालय ने बदलते हालात के बीच कनाडा में रह रहे अपने नागरिकों और छात्रों के लिए एडवाइजरी जारी की है. 

23 सितंबर को जारी एडवाइजरी में विदेश मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा है कि कनाडा में रह रहे भारतीय अतिरिक्त सतर्कता बरतें. एडवाइजरी में कहा गया है कि हेट क्राइम, सांप्रदायिक हिंसा और बढ़ती भारत विरोधी गतिविधियों के मद्देनजर भारतीय नागरिकों, कनाडा में भारत के छात्रों और पर्यटन के लिए कनाडा जाने वालों को सलाह दी जाती है कि वे सावधानी बरतें और सतर्क रहें.

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ऐसा क्या हुआ कि कनाडा ने जारी की एडवाइजरी?

कनाडा में अब हालात बदल गए हैं. प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार भारत विरोधी गतिविधियों को रोकने में नाकामयाब है. एक तरफ जहां कनाडा में खालिस्तान जनमत संग्रह (Khalistan Referendum) को लेकर भूमिका तैयार हो रही है, वहीं एक हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ हुई है. भारत विरोधी घटनाओं के बाद यह एडवाइजरी सामने आई है.

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विदेश मंत्री एस जयशंकर.

22 सितंबर को एक मीडिया ब्रीफिंग में, विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची से कनाडा जैसे देशों में तथाकथित खालिस्तान जनमत संग्रह होने के बारे में एक सवाल पूछा गया था. अरिंदम बागची ने इन सवालों के जवाब में कहा कि इसे चरमपंथी और कट्टरपंथी तत्व बढ़ा रहे हैं. यह एक हास्यास्पद प्रैक्टिस है. भारत ने इन घटनाओं का जिक्र कनाडा के अधिकारियों से किया था. कनाडा भारत सरकार उन्होंने कहा है कि इस मामले को कनाडा के अधिकारियों के साथ उठाया गया था. कनाडा भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है. कनाडा ऐसे प्रयासों को मान्यता नहीं देगा.

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जस्टिन ट्रूडो.

अरिंदम बागची ने कहा है कि चरमपंथी तत्वों को मित्र देश की जमीन पर ऐसी गतिविधियों को करने दिया जा रहा है जिसका हिंसक इतिहास कनाडा को बता है. अरिंदम बागची ने कहा है कि भारत, कनाडा सरकार पर दबाव बनाना जारी रखेगा.

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हेट क्राइम और हिंसा के बढ़ने की वजह क्या है?

सितंबर में ही टोरंटो में स्थित स्वामीनारायण मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी चित्र बनाए गए थे. कनाडा के ओटावा में भारतीय उच्चायोग ने मामले पर चिंता जाहिर की थी और अपील की थी कि तत्काल इस पर एक्शन लिया जाए. एक्शन के गुनाहगार अब तक पकड़े नहीं गए हैं.

कनाडा.

खालिस्तान आंदोलन और कनाडा

भारत और कनाडा के बीच एक सदी से ज्यादा पुराने संबंध रहे हैं. कनाडा में भारतीय मूल की एक बड़ी आबादी है रहती है. यह दुनिया के किसी भी देश से कहीं ज्यादा है. भारतीय छात्र बड़ी संख्या में कनाडा पढ़ने जाते हैं. करीब 60,000 छात्रों ने 2022 की पहली छमाही में कनाडा जाने का विकल्प चुना है. छात्रों की पहली पसंद अमेरिका है.

कनाडा में भारतीय आप्रवासन का नेतृत्व पंजाबी सिखों ने किया था. कनाडा IRCC की रिपोर्ट के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है कि कनाडा जाने के लिए आवेदन करने वालों में से लगभग 60 से 65 प्रतिशत भारत में पंजाब से हैं.

पंजाब में ताकतवर हो गया है भारतीय समुदाय

कनाडा में पंजाबी सिख समुदाय बेहद ताकतवर है. इस समुदाय का राजनीतिक और आर्थिक कद की जड़ें सरकार तक हैं. समुदाय के कुछ वर्गों ने दशकों से खालिस्तान और अलगाववादी आंदोलन का समर्थन किया है. यहीं से इन्हें फंडिंग भी मिलती रही है. कई व्यक्तिगत खालिस्तानी विचारकों और चरमपंथियों की मेजबानी भी यहां खूब हुई है. भारत ने कनाडा सरकार के इस मुद्दे को कई बार उठाने की कोशिश की है लेकिन स्थितियां बेहतर नहीं हुईं. कई बार वैश्विक स्तर पर भारत और कनाडा के बीच इन्हीं मुद्दों को लेकर तल्खियां भी नजर आती हैं.

खालिस्तान मूवमेंट.

2018 में कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो की भारत यात्रा दौरे पर आए थे. उनके डेलिगेशन में एक ऐसे शख्स का नाम था जिस पर पंजाब के एक मंत्री की हत्या का आरोप था. यह साल 1986 में कनाडा गया था. यह शख्स और कोई नहीं बल्कि जसपाल अटवाल था. भारत ने उसके आने पर आपत्ति जताई थी, उसका नाम वापस लेना पड़ा था. जस्टिन ट्रूडो के कार्यक्रमों में वह दो बार शरीक भी हो चुका है. यह मामला जब जस्टिन ट्र्रूडो की संज्ञान में आया तो उन्होंने कहा कि हम इसे गंभीरता से लेकर रहे हैं. उसे इनवाइट नहीं करना चाहिए था. एक सांसद ने इसे शामिल किया था.

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खालिस्तान मूवमेंट.

क्या घटने लगे हैं खालिस्तान समर्थक?

कनाडा सरकार की एक शाखा, पब्लिक सेफ्टी कनाडा ने इस साल कहा कि देश में कुछ लोग सिख (खालिस्तानी) चरमपंथी विचारधाराओं और आंदोलनों का समर्थन कर रहे हैं. यह एक आंतकवादी आंदोलन है, जिसके समर्थक घटते जा रहे हैं. 

2010 में, तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने कनाडा में अपने कनाडाई समकक्ष स्टीफन हार्पर के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा था कि कनाडा में सिख समुदाय समृद्ध है और अधिकांश सिख शांतिप्रिय और कनाडा के अच्छे नागरिक हैं. कनाडा के अच्छे नागरिकों के बीच ऐसे मूवमेंट्स को बढ़ावा मिलना चिंता की बात है.
 

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