Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Ahilyabai Holkar: इंदौर की इस रानी के बारे में जानते हैं आप! आज भी दी जाती है इनकी निष्पक्षता की मिसाल

31 मई 1725 को महाराष्ट्र में अहमदनगर जिले के जामखेड के चोंडी गांव में अहिल्याबाई का जन्म हुआ था. उनका जीवन काफी मुश्किलों भरा रहा.

Ahilyabai Holkar: इंदौर की इस रानी के बारे में जानते हैं आप! आज भी दी जाती है इनकी निष्पक्षता की मिसाल

Ahilyabai Holkar

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदीं: अहिल्याबाई होलकर का नाम तो आपने सुना होगा! वह भारतीय इतिहास की एक ऐसी कुशल महिला शासक रही हैं, जिसकी निष्पक्षता और सुशासन की आज भी मिसाल दी जाती है. उनका जन्म 31 मई, 1725 को हुआ था. महाराष्ट्र में अहमदनगर जिले के जामखेड के नजदीक चोंडी गांव में जन्म लेने वाली अहिल्याबाई का शुरुआती जीवन बहुत मुश्किलों भरा रहा. 

8 साल की उम्र में हो गई थी शादी
अहिल्याबाई कभी स्कूल नहीं जा पाईं, लेकिन उनके पिता ने उन्हें घर पर ही पढ़ना-लिखना सिखाया. सिर्फ आठ साल की उम्र में ही उनकी शादी मालवा के राजा मल्हार राव खांडेकर के बेटे खांडेराव होलकर से कर दी गई थी. 21 साल की उम्र में ही वह विधवा हो गई थीं.उस समय प्रथा के अनुसार पति की मौत के बाद पत्नी को भी सती होना पड़ता था. मगर अहिल्याबाई ने यह स्वीकार नहीं किया. उन्होंने इस प्रथा का विरोध किया और सती बनने से इनकार कर दिया. उनके इस फैसले पर बेशक पूरे समाज को ऐतराज था, लेकिन उनके ससुर मल्हार राव खांडेकर उनके साथ थे.

ये भी पढ़ें- Knowledge News: पुराने समय में कबूतर ही क्यों ले जाते थे चिट्ठी, कोई दूसरा पक्षी क्यों नहीं?

पति, ससुर और बेटे की मौत
किस्मत को शायद ये साथ मंजूर नहीं था और कुछ ही समय बाद मल्हार राव खांडेकर का भी निधन हो गया. अहिल्याबाई ने अपने बेटे मालेराव होल्कर को सिंहासन सौंपा, पर वह भी ज्यादा दिन जीवित नहीं रह सके. एक साल बाद ही अहिल्याबाई ने अपने बेटे को भी खो दिया. एक-एक करके जिस महिला का पति, ससुर और बेटा तीनों दुनिया को अलविदा कह गए, उस पर क्या बीती होगी इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है. मगर अहिल्याबाई ने दुखों के इस दरिया को बेहद हिम्मत से पार किया और अपने राज्य को भी संभाला. इस त्रासदी के बाद उन्होंने इंदौर की शासक के तौर पर शपथ ली.  

ये भी पढ़ें- Shocking! पहले 'पति की हत्या कैसे करें' पर लिखी किताब, फिर अपने ही पति को उतारा मौत के घाट

सुशासन की मिसाल
ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि अहिल्याबाई ने अपने शासन के दौरान कई महत्वपूर्ण विकास कार्य किए. बांध, घाट, टैंक और तालाब बनवाने के साथ ही कला और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी उन्होंने अहम योगदान दिया. उनकी शासन व्यवस्था ऐसी थी कि लोगों ने उन्हें संत की उपाधि भी दी. 

ये भी पढ़ें- Ramabai Ambedkar Death Anniversary: 'स्त्री शक्ति' जिसने बनाया आंबेडकर को 'बाबासाहेब'

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement