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Bihar: कागज को गलाकर खूबसूरत कलाकृतियां बनाते हैं मनीष, देश के साथ विदेशों में भी है डिमांड

मनीष बताते हैं कि बचपन से उनके अंदर कुछ अलग करने की चाहत थी. अपनी इस अनोखी कलाकारी के चलते मनीष को यूएसए से पांच ऑर्डर भी मिल चुके हैं.

Bihar: कागज को गलाकर खूबसूरत कलाकृतियां बनाते हैं मनीष, देश के साथ विदेशों में भी है डिमांड
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डीएनए हिंदी: मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. भागलपुर के मनीष ने इस कथन को चरितार्थ कर दिखाया है. 

बचपन से मनीष नित नए-नए कारनामे कर सबको चौंका रहे हैं. दरअसल मनीष कागज से आकृतियां बनाते हैं. इनमें  देश का प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर, लाल किला, जमा मस्जिद, पटना गोलघर, चिड़ियाघर, इंडिया गेट, कई देवी-देवताओं सहित सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों की आकृतियां शामिल हैं. अपनी इस अनोखी कलाकारी के चलते मनीष को यूएसए से पांच ऑर्डर भी मिल चुके हैं.

मनीष बताते हैं कि बचपन से उनके अंदर कुछ अलग करने की चाहत थी. वे कहते हैं, 'मैं करीब 15 सालों से इन कलाकृतियों को बना रहा हूं. शुरुआत में कागज से पत्ते बनाया करता था फिर धीरे-धीरे अलग-अलग चीजों के साथ कोशिश जारी रखी और अब मैं पेपर से कुछ भी बना सकता हूं.' 

कागजों को गलाकर खूबसूरत कलाकृतियां बनाते हैं मनीष

बता दें कि मनीष का अपना घर नहीं है. महज चार साल की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ गया था. वह नाथनगर निवासी अलका झा के घर रहकर नौकरी करते हैं. अलका झा और चिंतन झा ने ही उन्हें पाला है. मनीष की मानें तो यहां रहकर उन्हें एक अच्छा माहौल मिला और उन्होंने अपनी कला को निखारना जारी रखा.

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इधर मनीष की परवरिश करने वाली चिंतन झा की पत्नी अल्का झा भी उनकी इस कला से बेहद प्रभावित हैं. उनका कहना है कि बचपन से ही मनीष कागज से तरह-तरह की कलाकृतियां बना रहे हैं. इसके लिए वे खूब मेहनत करते हैं.

कागजों को गलाकर खूबसूरत कलाकृतियां बनाते हैं मनीष

अल्का झा ने कहा, 'मनीष की मेहनत का यह सिलसिला तब से जारी है जब वह महज 4 साल की उम्र का था. मेरी सास उसे यहां लेकर आईं थी. तब से वो यहीं रह रहा है और खाली समय में कागज को गलाकर सुंदर आकृतियां बनाता है. वहीं इन आकृतियों को देखने वाले लोग मनीष की खूब सराहना करते हैं. मनीष कागज को गला कर किसी भी तरह की इमारत को हुबहू उतार सकता है.'

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