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COVID की पहली लहर के दौरान मिसाल बनी जम्मू कश्मीर की मसरत, ऐसे की आपदा में अवसर की तलाश

मसरत ने कभी नहीं सोचा था कि स्कूली शिक्षा पर पड़ रहे कोविड के प्रभाव को कम करने का एक 'सरल विचार' उनके लिए व्यवहार्य व्यावसायिक उद्यम में बदल जाएगा.

COVID की पहली लहर के दौरान मिसाल बनी जम्मू कश्मीर की मसरत, ऐसे की आपदा में अवसर की तलाश
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डीएनए हिंदी: जम्मू कश्मीर के पुराने शहर में रहने वाली 26 वर्षीय मसरत, घाटी की पहली महिला शिक्षा उद्यमी हैं जिन्होंने अपने स्टार्टअप 'स्मार्ट क्लासेस होम ट्यूशन' को लॉन्च करने के लिए COVID-19 का उपयोग किया और पूरे कश्मीर में कम से कम 80 शिक्षकों को नियुक्त किया. जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी उनके काम की सराहना की है. साथ ही उन्हें घाटी की पहली एंटरप्रेन्योर महिला घोषित किया है.

बता दें कि जब पूरी दुनिया ने ऑनलाइन स्कूली शिक्षा की ओर रुख किया, उस वक्त मसरत ने अवसर की एक खिड़की की खोज की. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि बच्चों की स्कूली शिक्षा पर पड़ रहे कोविड के प्रभाव को कम करने का एक 'सरल विचार' उनके लिए व्यवहार्य व्यावसायिक उद्यम में बदल जाएगा. 

उत्कृष्ट प्रतिक्रिया ने उन्हें अपने ग्राहक आधार का विस्तार करने के लिए प्रेरित किया और वर्तमान में उनके साथ काम करने वाले कम से कम 80 शिक्षक हैं. ये शिक्षक एक साथ मिलकर लगभग 300 बच्चों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. 

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बता दें कि COVID-19 की पहली लहर के दौरान जब पूरी दुनिया वायरस के खौफ के चलते अपने-अपने घरों में कैद थी, उस समय मसरत अपनी इस पहल को आगे बढ़ा रही थीं. मसरत के इस कार्य से कई बेरोजगारों को रोजगार भी मिला है. 

अपनी यात्रा का वर्णन करते हुए मसरत ने कहा, 'दुनिया भर में स्कूलों के बंद हो जाने का मुझे दुख है. इस नुकसान की भरपाई के लिए मैं हर संभव प्रयास करने को तैयार हूं.' मसरत का कहना है कि वह शिक्षा को बेहतर करने के लिए अलग तरीके से स्मार्ट क्लास सेंटर बनाना चाहती हैं जहां पर वह दूसरे बच्चों के लिए भी यह सुविधा दे सकें.

मसरत कहती हैं, 'यही वह समय था जब स्मार्ट क्लास होम ट्यूशन की धारणा ने मुझे आकर्षित किया. इसके बाद मैंने बिना समय बर्बाद किए श्रीनगर में केवल तीन छात्रों के साथ   होम ट्यूशन शुरू किया. सबसे पहले ट्यूशन के लिए तीन शिक्षक थे.'

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उन्होंने आगे बताया, 'अच्छी प्रतिक्रिया मिलने के बाद मैं और शिक्षकों की भर्ती करने के लिए मजबूर हो गई. इसके बाद मैंने श्रीनगर के विभिन्न हिस्सों से कुछ उत्कृष्ट प्रशिक्षकों को काम पर रखा और आज भी मैं शैक्षणिक नुकसान की भरपाई के लिए उनके साथ लगातार काम कर रही हूं.'

(इनपुट- फारूख वानी)

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