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जब जल रहा था Karauli, 48 साल की मधुलिका ने बचा लीं 15 जानें, इनमें 13 मुस्लिम

मधुलिका सिंह चार घंटे तक ढाल बनकर खड़ी रहीं.

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जब जल रहा था Karauli, 48 साल की मधुलिका ने बचा लीं 15 जानें, इनमें 13 मुस्लिम

करौली हिंसा में मधुलिका सिंह ने 15 लोगों की जान बचा ली. 

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डीएनए हिंदी: राजस्थान के करौली में हुई हिंसा में जहां उपद्रवियों ने जमकर आगजनी की वहीं दूसरी ओर कुछ महिलाएं ऐसी भी थी जिन्होंने सौहार्द की मिसाल कायम की. दरअसल, करौली में जिस दिन हिंसा हुई उस दिन 48 वर्षीय महिला मधुलिका सिंह ने 15 पुरुषों को अपने घर में शरण देकर उनकी जान बचा ली. इनमें से ज्यादातर मुस्लिम थे. मधुलिका के अनुसार, जैसे ही भगदड़ शुरू हुई वहां मौजूद सभी दुकानदारों ने शटर डाउन कर दिए. मैंने उन लोगों को कमरे में बुला लिया और कहा कि आप यहां बैठ जाओ. मैंने मेनगेट लॉक कर दिया. मैंने उन्हें इंसानियत के नाते से बचाया था. 

चार घंटे तक नीचे खड़ी रहीं 
Karauli के एक दुकानदार मोहम्मद तालिब ने कहा, जब बाहर भगदड़ मची और पत्थरबाजी शुरू हुई तो मधुलिका दीदी ने उन्हें हमें बुलाया. उन्होंने हमसे कहा कि आप टेंशन न लें मैं आपके लिए यहां हूं. दीदी कम से कम चार घंटे तक नीचे खड़ी रहीं. इस दौरान उपद्रवी उनसे लगातार गेट खोलने की कहते रहे लेकिन उन्होंने गेट नहीं खोला. 

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आग बुझाने की कोशिश 
इसी कॉम्प्लेक्स में ब्यूटी पार्लर चलाने वाले मिथिलेश सोनी ने कहा, डंडों के साथ लड़के भाग रहे थे लेकिन हमने मुस्लिम बच्चों को यहां से नहीं निकलने दिया. मैंने और तीन अन्य महिलाओं ने बाल्टी के पानी से आग बुझाने की कोशिश की. 

विधवा हैं मधुलिका सिंह 
मधुलिका सिंह के दो बच्चे हैं. वह अपने पति की मृत्यु के बाद से पिछले पांच वर्षों से कपड़ों की शॉप चलाती है. सिंह ने कहा कि उन्होंने लोगों को चिल्लाते हुए और दुकान के शटर को जल्दी से नीचे गिराए जाने की आवाज सुनी. वह बाहर निकलीं. उन्होंने कहा कि मैंने देखा कि शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के लोग भागने की कोशिश कर रहे थे. मैंने उन लोगों को बचाने की कोशिश की क्योंकि सबसे ऊपर मानवता मायने रखती है. 

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मोहम्मद तालिब और दानिश ने कहा कि मधुलिका सिंह ने उन्हें चाय और पानी दिया. इस बाजार में दोनों समुदायों अपना व्यापार चलाते हैं. सिंह के भाई संजय अपनी बेटी को ट्यूशन से लेने के लिए अपार्टमेंट में पहुंचे. संजय ने कहा, हमने उन्हें चाय और पानी दिया और उन्हें तब तक नहीं जाने दिया जब तक कि हिंसा शांत नहीं हो गईं. मेरी बहन ने जिन 15-16 लोगों को शरण दी, उनमें से 13 मुसलमान रहे होंगे. 

शांति और भाईचारा चाहते हैं 
करौली में हुई झड़पों ने भाजपा और कांग्रेस के बीच लड़ाई को जन्म दिया है, दोनों दलों ने एक दूसरे पर आरोप लगाया है. हालांकि, शहर के लोगों ने राजनेताओं से कहा है कि वे माहौल खराब न करें और वे शांति से रहना चाहते हैं. करौली सदर बाजार मार्केट एसोसिएशन के प्रमुख राजेंद्र शर्मा ने कहा, इस बाजार में हिंदुओं और मुसलमानों ने वर्षों से एक साथ व्यापार किया है. हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते हैं जहां लोगों के बीच अविश्वास और फूट हो. हम शांति और भाईचारा चाहते हैं. 

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