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पुण्यतिथि: Chandra Shekhar Azad, वह कांतिकारी जो दोस्तों पर छिड़कता था जान, पढ़ें इस बेजोड़ हस्ती के किस्से 

27 फरवरी भारत के अमर सेनानी चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि होती है. उनके वीरता और बलिदान के किस्से हम बचपन से ही सुनते आए हैं. 

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पुण्यतिथि: Chandra Shekhar Azad, वह कांतिकारी जो दोस्तों पर छिड़कता था जान, पढ़ें इस बेजोड़ हस्ती के किस्से 
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डीएनए हिंदी: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर बलिदानी चंद्रशेखर आजाद की पूरी जिंदगी ही देश को समर्पित थी. देश के लिए बलिदान की उनकी कहानी से हम सब परिचित हैं. उनकी प्रेरक जिंदगी में बहुत से किस्से ऐसे हैं जो अभी तक ज्यादा लोगों को पता नहीं है. उनकी जिंदगी के ऐसे ही कुछ दिलचस्प पहलुओं के बारे में जानें यहां...

तिवारी से आजाद बने थे 
चंद्रशेखर आजाद के नाम की कहानी भी बहुत दिलचस्प है. पहले उनके नाम में उपनाम तिवारी था लेकिन 15 साल की उम्र में उनकी पेशी मजिस्ट्रेट के सामने हुई थी. उस वक्त जब उनसे नाम पूछा गया तो उन्होंने चंद्रशेखर आजाद कह दिया था. इसके बाद से ही उनके नाम के साथ आजाद जुड़ गया. बचपन से ही उनके जीवन का एक ही लक्ष्य था देश की आजादी. 

दोस्तों पर देते थे जान, दोस्त ने ही की दगा 
आजाद के बारे में कहा जाता है कि वह अपने दोस्तों पर जान छिड़कते थे. उन्होंने अपने एक दोस्त को इनाम दिलाने के लिए सरेंडर तक का मन बना लिया था लेकिन बाद में उसने उन्हें रोक लिया था. 27 फरवरी 1931 को एक दोस्त की दगा की वजह से ही उन्हें अपने प्राणों का बलिदान देना पड़ा था. दरअसल किसी बात पर हुई बहस से उनके नाराज दोस्त ने अंग्रेजों से उनकी मुखबिरी कर दी थी. 

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भेस बदलने में थे माहिर 
चंद्रशेखर आजाद को अंग्रेज कभी पकड़ नहीं पाते थे इसकी वजह थी कि वह भेस बदलकर एक जगह से दूसरी जगह जाया करते थे. उनके भेस बदलने में माहिर अंदाज के कारण क्रांतिकारियों के समूह में उन्हें बहुरुपिया भी कहा जाता था. 

झांसी और आस-पास के इलाके में बिताए 10 साल 
आजादी की लड़ाई के दौरान आजाद लगभग 10 साल तक झांसी और उसके आस-पास के इलाके में छिपते हुए रहे थे. झांसी में ही उनकी दोस्ती रुद्रनारायण सक्सेना से हुई थी. सक्सेना के परिवार ने आज तक आजाद की तस्वीरें और वह पलंग रखा है जिस पर वह सोते थे. 

 

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