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Devi Maa 16 Shringar : मां दुर्गा के 16 श्रृंगार का क्या है महत्व, क्यों सुहागिन पहनती हैं ये चीजें

देवी मां को 16 श्रृंगार करवाया जाता है, ये सुहागिन की निशानियां होती हैं, जिसका आध्यात्मिक महत्व भी है. जानें क्या क्या है श्रृंगार की निशानियां

Devi Maa 16 Shringar : मां दुर्गा के 16 श्रृंगार का क्या है महत्व, क्यों सुहागिन पहनती हैं ये चीजें
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डीएनए हिंदी : Devi Maa 16 Shringar Significance- नवरात्रि नजदीक (Navratri 2022) आ रही है, 26 सितंबर से पहला नवरात्र शुरू हो रहा है. पंडालों में मां को सजाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं. मां के श्रृंगार (Maa ka Shringar) के लिए खास तैयारियां हो रही हैं. देवी मां को एक दुल्हन की तरह सजाया जाता है, महिलाएं भी नवरात्रि के दौरान इसी तरह से तैयार होती हैं.मां के 16 श्रृंगार के बारे में सब जानते हैं लेकिन इसके महत्व के बारे में क्या आप जानती हैं, एक एक श्रृंगार सुहागिन की निशानी को दर्शाते हैं.

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फूलों का श्रृंगार 

ज्यादातर मां का श्रृंगार फूलों से किया जाता है, फूल सादगी और नम्रताका प्रतीक है, ऐसे में फूलों से देवी का श्रृंगार बहुत खूबसूरत लगता है

बिंदी

कहते हैं माथे पर सिंदूर का टीका या बिंदी लगाने से शरीर में पॉजिटिविटी का संचार होता है.इससे मानसिक शांति भी मिलती है.दरअसल, माथे पर टीका या बिंदी मतलब आत्मा मस्तक के बीच है, हमें उसे ही देखना है. महिलाएं मां शक्ति को सिंदूर का टीका लगाने के साथ साथ खुद भी बिंदी लगाती हैं.ये 16 श्रृंगार का एक अहम हिस्सा है.

मेहंदी

सुहागिन महिलाओं में किसी भी त्योहार पर मेहंदी लगाने की परंपरा है.पूजा-पाठ के समय महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाती हैं. ये सोलह श्रृंगार के प्रमुख श्रृंगार में से एक है.मेहंदी शरीर को शीतलता प्रदान करती है और त्वचा संबंधी रोगों को दूर करती है.

मांग में सिंदूर

मांग में सिंदूर लगाना सुहाग की निशानी है.वहीं सिंदूर लगाने से चेहरे पर निखार आता है. इसके अपने वैज्ञानिक फायदे भी होते हैं. मान्यता है कि मांग में सिंदूर लगाने से शरीर में विद्युत ऊर्जा को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है.

गले में मंगल सूत्र

मोती और स्वर्ण से युक्त मंगल सूत्र या हार पहनने से ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा को रोकने में मदद मिलती है.कहते हैं कि इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है.गले में स्वर्ण आभूषण पहनने से हृदय रोग संबंधी रोग नहीं होते हैं. हृदय की धड़कन नियंत्रित रहती है.वहीं मोती चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करते हैं. इससे मन चंचल नहीं होता है. नवरात्रि के समय मां को आभूषण पहनाएं जाते हैं और महिलाएं भी ज्वैलरी पहनती हैं.

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चुनरी
 
लाल चुनरी तो बहुत ही अहम है, यह सुहाग की निशानी है. मां को लाल चुनरी पहनाई जाती है, जो लोक और लाज का प्रतीक है. सुहागिन महिलाएं भी लाल चुनरी ओढ़ती हैं. 

कंगन या चूड़ियां 

कहते हैं हाथों में कंगन या चूड़ियां पहनने से शरीर में खून चलता रहता है. शरीर में हॉर्मोन ठीक रहता है. वहीं ये सुंदर भी बहुत लगती हैं. 

कानों में बाली या कुंडल 

देवी मां के श्रृंगार में आपने देखा होगा कानों में कुंडल पहनाए जाते हैं. महिलाएं भी अपने श्रृंगार में यह पहनती हैं. इसका मतलब है कि मानसिक तनाव कम होता है. 

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पायल 

पायल की छमछम और सुंदरता बहुत भाती है. इसकी आवाज से घर में पॉजिटिविटी आती है. नई दुल्हन यह पहनती है ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा आए 

बिछिया 

सुहाग की सबसे अहम निशानी है बिछिया. नई दुल्हन भी यह पहनती है. 

कमरबंद 

मान्यताओं के अनुसार देवी मां को कमरबंद पहनाया जाता है. पेट और कमर की दिक्कतें दूर होती हैं

इसके अलावा काजल, नथी, अंगूठी और बाजूबंद भी पहनती हैं. देवी मां का श्रृंगार इन चीजों के बगैर अधूरा है. ये एक एक चीज सुहाग की निशानी है और साथ में आध्यात्मिक महत्व को भी दर्शाती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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