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भारत के इस कदम से निकल सकती है अमेरिका की हेकड़ी, रूस से और मजबूत हो सकते हैं रिश्ते

व्लादिमीर पुतिन एस-500 की खरीद संबंधी कुछ बड़े ऑफर्स दे सकते हैं, भारत का इसे स्वीकार करना अमेरिका की धमकियों को झटका दे सकता है. 

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भारत के इस कदम से निकल सकती है अमेरिका की हेकड़ी, रूस से और मजबूत हो सकते हैं रिश्ते
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डीएनए हिंदीः  भारत के साथ रूस के संबंध सदैव ही प्रगाढ़ रहे हैं. यही कारण है कि भारत की सैन्य क्षमताओं में सर्वाधिक प्रभाव रूस का रहता है. अमेरिका के साथ भले ही भारत के रिश्ते पटरी पर लौट रहे हों किन्तु भारत रूस के साथ अपने संबंधों को विशेष महत्व देता रहा है. रूसी राष्ट्रपति भारत की यात्रा पर आ रहे हैं, ऐसे में वो भारत सरकार को अपना अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम एस-500 ऑफर कर सकते हैं और यदि भारत इसे मान लेता है तो ये सर्वाधिक झटका अमेरिका को देगा.

भारत को हो सकता है ऑफर

रूसी राष्ट्रपति 5 दिसंबर को भारत यात्रा पर आ रहे हैं. इससे पहले ही भारत की रूस के साथ ऐके-203 असॉल्ट राइफल्स की एक डील पक्की हो चुकी है. वहीं संभावनाएं हैं कि अब व्लादिमीर पुतिन की यात्रा के दौरान ही रूस की हाल ही में आई एस-500 मिसाइल सिस्टम भारत को ऑफर की जा सकती है. इसको लेकर पहले ही रशियन फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री-टेक्निकल कोऑपरेशन (FSMTC)के डायरेक्टर दमित्री शुगेव कह चुके हैं कि रूस एस-500 को भारत के साथ साझा करने को तैयार हैं.

क्या है नए मिसाइल सिस्टम की खासियत 

भारत को रूस अपना एस-400 दे चुका है, जिसकी डिलीवरी भी शुरु हो चुकी है. वहीं एस-500 भी इसी मिसाइल सिस्टम का एडवांस एवं अपडेटेड वर्जन है. दुनिया के सबसे ज्यादा एडवांस माने जाने वाले इस सिस्टम को जल्द ही रूसी सेना में तैनात किया जाएगा। रूस का दावा है कि इस सिस्टम के अत्याधुनिक रडार से दुश्मनों के स्टील्थ लड़ाकू विमान भी बच नहीं पाएंगे। S-500 डिफेंस सिस्टम को प्रोमटी भी कहा जाता है, इस मिसाइल सिस्टम से बच पाना अमेरिकी विमानों के लिए भी मुश्किल है.

अमेरिका को क्यों लगेगा झटका

भारत ने जिस दौरान एस-400 मिसाइल सिस्टन खरीदा था, उस दौरान अमेरिका ने भारत को प्रतिबंध लगाने की धमकी भी दी थी. साथ ही अपने कई सहयोगियों पर भी प्रतिबंध लगाया था. वहीं भारत सरकार ने अमेरिकी धमकियों को धता बताते हुए रूस से अपनी डील फाइनल कर ली थी और अमेरिका कुछ भी न कर सका था. वहीं अब यदि एक बार फिर भारत रूसी राष्ट्रपति पुतिन के ऑफर को स्वीकार कर लेते हैं तो ये अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका होगा. 

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