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Dizziness Cause: सुबह-सुबह चक्कर आना इन बीमारियों का है संकेत, लापरवाही पड़ सकती है भारी

Dizziness Cause: रोज सुबह चक्कर आने की समस्या कई कारणों से होती है. अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो इसके कारण जान उपाय जान लें.

Dizziness Cause: सुबह-सुबह चक्कर आना इन बीमारियों का है संकेत, लापरवाही पड़ सकती है भारी

प्रतीकात्मक तस्वीर

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डीएनए हिंदीः अक्सर सुबह उठते ही चक्कर आने (Dizziness) की समस्या कई गंभीर समस्या का संकेत हाेता है. सुबह-सुबह चक्कर आने की समस्या कई कारणों से हो सकती है. शरीर में पोषक तत्वों (Nutrients) की कमी और डिहाईड्रेशन (Dehydration) की वजह से भी लोगों को इस समस्या का सामना करना पड़ता है. आज हम आपको इस समस्या के कारणों (Dizziness Causes) और इसे दूर करने के उपायों के बारे में बताएंगे. 

एनीमिया (Anemia)
एनीमिया की समस्या शरीर के बल्ड में ऑक्सीजन की कमी से होती है. जब लाल रक्त कोशिकाएं शरीर में ऑक्सीजन को सही से नहीं पहुंचा पाती हैं तो एनीमिया की समस्या होती है. एनीमिया में ऑक्सीजन सही मात्रा में दिमाग तक नहीं पहुंच पाती है और इसी वजह से चक्कर आने लगते हैं. दिमाग को सही से काम करने के लिए भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत होती है. इस समस्या को दूर करना बहुत जरूरी है. 

एनीमिया के लक्षण
- सांस लेने में दिक्कत 
- हाथ-पैरों का ठंडा पड़ना
- उठते बैठते समय चक्कर आना
- कमजोरी महसूस होना
- सिरदर्द होना
- स्किन पीला होना

एनीमिया की दिक्कत होने पर आयरन से भरपूर चीजों और स्पलीमेंट्स का इस्तेमाल करना चाहिए. 

डिहाइड्रेशन (Dehydration)
शरीर में पानी और तरल का भरपूर मात्रा में होना जरूरी है. शरीर में पानी की कम मात्रा होने की वजह से दिमाग तक सही मात्रा में ऑक्सीजन सप्लाई नहीं हो पाती है. इसी वजह से चक्कर की समस्या होने लगती है. 

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डिहाईड्रेशन के लक्षण
- थकान
- उठते बैठते समय चक्कर आना
- कमजोरी
- ज्यादा गर्मी बर्दाश्त न कर पाना

डिहाईड्रेशन की समस्या होने पर पानी और लिक्वड वाली चीजों का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए. सामान्य व्यक्ति को दिन में 8 गिलास पानी पीना चाहिए. हालांकि व्यक्ति की उम्र, वजन और एक्टीविटीज के आधार पर यह मात्रा कम या ज्यादा हो सकती है. 

बिनाइन पेरोक्सीमल पोजिशनल वर्टिगो (Benign Paroxysmal Positional Vertigo)
करवट लेने या सिर घुमाने में भी कई बार चक्कर आने की समस्या का सामना करना पड़ता हैं. इस समस्या को बिनाइन पेरोक्सीमल पोजिशनल वर्टिगो (BPPV) कहते हैं. इस समस्या में थोड़े-थोड़े समय पर चक्कर आते हैं जो थोड़े समय के लिए ही रहते हैं. 

बिनाइन पेरोक्सीमल पोजिशनल वर्टिगो के लक्षण
- मतली
- अस्थिरता
- उल्टी आना

यह ज्यादा गंभीर समस्या नहीं है. यह कुछ महीनों या हफ्तों बाद सही हो जाती है. हालांकि इस समस्या के होने पर डाक्टर्स की सलाह लेनी चाहिए. यह समस्या कुछ साधारण एक्सरसाइज करने से ठीक हो जाती है. 

ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन (Orthostatic Hypotension)
यह समस्या ब्लड प्रेशर के लेवल में गिरावट की वजह से होती है. इस समस्या में बैठने और लेटने में अचानक से ब्लड प्रेशर लेवल कम हो जाता है. ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन की समस्या ब्लड में लिक्विड की कमी के कारण भी होती है.  

ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के लक्षण
- कमजोरी
- धुंधला दिखाई देना
- बेहोश हो जाना
- भ्रम होना
- खड़े होने के बाद चक्कर आना
- जी मिचलाना

ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन के लक्षण सामने आने पर तुरंत डाक्टर्स से संपर्क करना चाहिए. इस बीमारी को इलाज के जरिए कम किया जा सकता है. 

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विटामिन बी12 की कमी (Deficiency Vitamin B12)
विटामिन बी12 शरीर को सही से चलाने और डीएनए निर्माण के लिए जरूरी है. यह हमारे दिमाग और नर्वस सिस्टम को भी चलाने के लिए महत्वपूर्ण होता है. 

विटामिन बी12 की कमी के लक्षण 
- स्किन का पीला पड़ना
- जीभ पर दाने होना या जीभ का लाल पड़ जाना
- आखों की रोशनी कम हो जाना
- डिप्रेशन की समस्या 
- कमजोरी और सुस्ती की समस्या
- सिरदर्द 
- भूख कम लगना

विटामिन बी 12 की कमी के कारण एनीमिया की समस्या हो सकती है. इसी कारण चक्कर भी आने लगते हैं. इस समस्या को दूर करने के लिए विटामिन बी12 से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए. मार्केट से विटामिन बी12 के सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं. 

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ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (Transient Ischemic Attack)
यह एक तरह का स्ट्रोक होता है जो सिर्फ एक मिनट के लिए होता है. इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति के दिमाग के कुछ हिस्सों में ब्लड का प्रवाह रुक जाता है. इस समस्या को मिनी स्ट्रोक के नाम से भी जाना जाता है. 

ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक के लक्षण
- सुन्न पड़ना
- भ्रम होना
- चलने में दिक्कत
- देखने में दिक्कत का सामना करना
- बात करने में परेशानी होना

इस समस्या के सामने आने पर डॉक्टर्स को दिखाना चाहिए. डॉक्टर खून में धक्का बनने को कम करने के लिए दवाइंया दे सकते हैं. संतुलित आहार लेकर और जीवनशैली में कुछ बदलाव करके भी इस समस्या को कम किया जा सकता है. 

Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.) 

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