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Cancer : आपके बर्तन ही नहीं, खाने की पैकिंग में इस्‍तेमाल हो रही चीजों से भी है कैंसर का खतरा

“साउथ कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च बताती है कि बर्तनों में और फूड पैकेजिंग के सभी सामान में लगे केमिकल कैंसर का खतरा चार गुना बढ़ा देते हैं.

Cancer : आपके बर्तन ही नहीं, खाने की पैकिंग में इस्‍तेमाल हो रही चीजों से भी है कैंसर का खतरा

आपके बर्तन ही नहीं, खाने की पैकिंग में इस्‍तेमाल हो रही चीजों से भी है कैंसर का खतरा

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डीएनए हिंदी: जी हां ये सच है कि आपके घर में मौजूद बर्तन से भी आपको कैंसर हो सकता है. कैसे? ये एक रिसर्च में सामने आया है. अमेरिका कि यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया कि नॉन-स्टिक पैन सहित कई एल्‍युमिनियम फॉयल में गर्म खाना रखने या पकाने से कैंसर के खतरे बढ़ते हैं. 
असल में खाना पकाने के बर्तनों में लगी चिकनाई के दाग को 'फॉरएवर केमिकल' कहा जाता है जो लिवर कैंसर के खतरे को चार गुना तक बढ़ा देते हैं. अगर आप प्लास्टिक या एल्‍युमिनियम फॉयल में फूड पैक करते हैं या खाते हैं तो ये आपके सेहत के लिए बेहद हानिकारक होता है. 

क्या कहती है ये रिसर्च?

अमेरिका के साउथ कैलिफोर्निया कि यूनिवर्सिटी ने अपने रिसर्च में ऐसे दो ग्रुप बनाए जिनमें लिवर कैंसर से ग्रस्‍त लोग थे और कुछ में लिवर कैंसर नहीं था. 50-50 के इस ग्रुप में लिए गए ब्‍लड सैंपल का जब मिलान किया गया तो पाया गया कि जिन लोगों को कैंसर हुआ उनमें से कई लोगों के ब्लड में बहुत प्रकार के केमिकल पाए गए.

क्या कहना है एक्सपर्ट का?

डॉक्टर मानव मधवान जो max hospital में गैस्ट्रो स्पेशलिस्ट है, उनका कहना है कि लोगों में chemically treated चीजों का इस्तेमाल बढ़ गया है. Synthetic chemical ना सिर्फ फूड पैकेजिंग में, बल्कि स्टेन रेसिस्टेंट कपड़े पहनने tap water, शैंपू, प्लास्टिक वेसल तक में कैंसर को पैदा करने वाले तत्‍व पाए जाते हैं. ये चीजें जब शरीर में जाती हैं तो लंबे समय बाद ये बीमारी में बदल जाती हैं. इससे  सिर्फ कैंसर ही नहीं बल्कि और भी कई तरीके कि घातक बीमारियों के होने कि संभावना बढ़ जाती है.

 क्या है चेतावनी?

सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन इस बात कि चेतावनी देता है, कि ये रसायन हर जगह हैं - नॉन-स्टिक कुकवेयर से लेकर, नल के पानी से लेकर sea food, waterproof कपड़े, क्लीनिंग प्रोडक्ट और शैंपू तक में. ऐसे में हमे इन चीजों के इस्‍तेमाल से बचना होगा. 

कैंसर स्पेशलिस्ट का क्या है सुझाव

डॉक्टर सर्जन राजपुरोहित जो कि max hospital के ही ऑनकोलॉजिस्ट हैं उनका कहना है कि कैंसर होने का मुख्य कारण घातक केमिकल का इस्तेमाल है. अगर समय रहते जागरुकता नहीं आई तो ये जानलेवा हो सकते हैं. इसलिए किसी चीज को खरीदते समय उसक लेबल चेक करें, फूड की पैकेजिंग पर ध्‍यान दें. प्लास्टिक का यूज न करें. 
कौन सा प्लास्टिक इस्तेमाल करने के लिए होता है सेफ?

जब भी हम कोई प्लास्टिक के कंटेनर या बॉटल खरीदने जाते है तो उसके नीचे एक triangle का निशान बना रहता है, जिसमे एक से लेकर 7 तक कि मार्किंग कि जाती है. ये मार्किंग हमे बताते है कि वो प्लास्टिक कंटेनर इस्तेमाल करने के लिए कितनी safe है. 1 और 7 नंबर कि मार्किंग बताती है कि उस प्लास्टिक का सावधानी से इस्तेमाल किया जाना चाहिए. एक या दो बार इस्तेमाल करने के बाद उसे क्रश करके रीसाइक्लिंग के लिए रख देना चाहिए. उसके अलावा 2,4 और 5 वाली मार्किंग कि चीजें सबसे सेफ होती है. इनका इस्तेमाल हम 5–6 महीनों तक कर सकते है. 3 और 7 वाले मार्किंग कि प्लास्टिक बहुत घातक होते हैं. इनका इस्तेमाल बस इंडस्ट्रियल कामों के लिए ही करना चाहिए.
 

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