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CJI चंद्रचूड़ ने क्यों कहा 'तारीख पे तारीख वाली अदालत नहीं बन सकता सुप्रीम कोर्ट'

Supreme Court News: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने वकीलों से कहा, 'जब तक बहुत जरूरी न हो, कृपया कोर्ट में चल रहे केसों के स्थगन (Adjournment) की मांग न करें

CJI चंद्रचूड़ ने क्यों कहा 'तारीख पे तारीख वाली अदालत नहीं बन सकता सुप्रीम कोर्ट'

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़. (फाइल फोटो)

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डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कोर्ट में चल रहे मामलों के टलने पर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने शुक्रवार को वकीलों से आग्रह किया कि वे नए सिरे से मामलों के स्थगन की मांग न करें. सीजेआई ने कहा कि वह नहीं चाहते कि सुप्रीम कोर्ट 'तारीख-पे-तारीख' अदालत बन जाए. चीफ जस्टिस ने शुक्रवार को ऐसे मामलों की जानकारी साझा की जिनके स्थन की मांग की जा रही है. उन्होंने बताया कि पिछले दो महीने में वकीलों ने 3,688 मामलों में एजजर्नमेंट की मांग की.

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने वकीलों से कहा, 'जब तक बहुत जरूरी न हो, कृपया कोर्ट में चल रहे केसों के स्थगन (Adjournment) की मांग न करें. मैं नहीं चाहता कि यह सुप्रीम कोर्ट 'तारीख-पे-तारीख' अदालत बने.' बता दें कि तारीख-पे-तारीख यानी केस को बार-बार स्थगन करना बॉलीवुड फिल्म 'दामिनी'में सनी देओल का एक फेमस डायलॉग था. जिसमें अभिनेता ने अदालतों में स्थगन संस्कृति पर अफसोस जताया था.

एक दिन में 154 स्थगन की पर्चियां
उन्होंने कहा कि मैं सर्वोच्च न्यायालय में मामले दाखिल होने और पहली बार सुनवाई के लिए आने की प्रक्रिया तक पूरी निगरानी कर रहा हूं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसमें कम से कम समय लगे. सीजेआई ने कहा कि 3 नवंबर के लिए मेरे पास 178 स्थगन पर्चियां दाखिल की गईं. डेटा के हिसाब से देखा जाए तो वकीलों द्वारा हर रोज 154 पर्चियां स्थगन के लिए लगाई जाती हैं. सितंब से अक्टूबर तक 3 हजार 6 सौ 88 एडजर्नमेंट्स हुए. पेंडिग पड़े केसों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए स्थगन पर ब्रेक लगाना जरूरी है.

चीफ जस्टिस ने इस बात पर अफसोस जताया कि पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होने के बाद वकील स्थगन की मांग करते हैं और यह बाहरी दुनिया के लिए बहुत खराब संकेत देता है. मैं देख रहा हूं कि फाइलिंग से लिस्टिंग तक की अवधि कम हो रही है. हम यह SCBA (सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन) और SCAORA (सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन) के समर्थन के बिना इसे हासिल नहीं कर सकते थे.

चंद्रचूड ने तीन नामों की सिफारिश की
डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उत्तराखंड, उड़ीसा और मेघालय के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए केंद्र के समक्ष 3 न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की. तीन सदस्यीय कॉलेजियम में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी शामिल हैं. इसने उत्तराखंड, उड़ीसा और मेघालय के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के लिए क्रमशः न्यायमूर्ति रितु बाहरी, न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह और न्यायमूर्ति एस. वैद्यनाथन के नाम की सिफारिश की है. न्यायमूर्ति बाहरी फिलहाल पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, जबकि न्यायमूर्ति सिंह पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं. वहीं, न्यायमूर्ति वैद्यनाथन अभी मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं.

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