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Distortion of Gurubani: गुरबानी को 'तोड़-मरोड़कर' छापने के खिलाफ सख्त रुख अपना सकता है अकाल तख्त!

ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि सिख बुक क्लब ने गुरबानी के मूल छंदों को बदलकर सिख रेहत मर्यादा का उल्लंघन किया है.

Distortion of Gurubani: गुरबानी को 'तोड़-मरोड़कर' छापने के खिलाफ सख्त रुख अपना सकता है अकाल तख्त!

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    डीएनए हिंदी: अकाल तख्त ने अमेरिका स्थित सिखबुकक्लब डॉट कॉम द्वारा श्री गुरु ग्रंथ साहिब (एसजीजीएस) के स्वरूप को छापते समय  गुरबानी के कथित रूप से जानबूझकर तोड़-मरोड़कर पेश किए जाने कड़ा संज्ञान लिया है. इसको लेकर अकाल तख्त की तरफ 3 मई को एक पंथिक सभा का भी आयोजन किया जा रहा है. इस सभा में ऐसे मामलों पर क्या एक्शन लिया जाए यह भी तय किया जाएगा. आपको बता दें कि अमेरिकी संस्था ने अकाल तख्त से संपर्क किया है और दुनिया भर में सिखों की एकता के लिए संयम बरतने और कोई भी निर्णय लेने का आग्रह किया है.

    अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सिखबुकक्लब डॉट कॉम के थमिंदर सिंह पर गुरबानी के मूल छंदों को बदलकर अतिरिक्त लगन-मात्रावन (गुरुमुखी के विराम चिह्न) और बिंदी (डॉट्स) का उपयोग करने का आरोप लगाया था, जिसे उन्होंने सिख रेहत मर्यादा का उल्लंघन बताया था (सिख धार्मिक आचार संहिता). उन्होंने कहा कि सिख गुरबानी की किसी विकृति को बर्दाश्त नहीं करेंगे.

    शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने भी अकाल तख्त जत्थेदार से थमिन्दर सिंह के खिलाफ उचित धार्मिक कार्रवाई करने का आग्रह किया है. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी किसी अन्य संगठन द्वारा एसजीजीएस के स्वरूप की छपाई का विरोध करती है. एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि थमिंदर सिंह ने गुरबानी के मूल छंदों में बदलाव करके एक अस्वीकार्य कृत्य किया है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. 

    निजी प्रकाशकों द्वारा श्री गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूप की छपाई ज्यादातर विवादास्पद रही है. अतीत में यह सवाल उठाया गया था कि कनाडा के दो प्रमुख सिख एसजीपीसी के संस्करण के साथ स्वरूप मिलान को प्रिंट करने के लिए एसजीजीएस की डिजीटल कॉपी वाली एक पेन ड्राइव कैसे प्राप्त करने में कामयाब रहे, जबकि उन्हें पेन की खरीद के स्रोत का खुलासा करने के लिए कहा गया था. 

    इससे पहले, पाकिस्तान के इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) ने भी पवित्र ग्रंथ के परिवहन के दौरान मर्यादा के उल्लंघन से बचने के लिए अकाल तख्त के मार्गदर्शन में एसजीजीएस के स्वरूप को प्रिंट करने का निर्णय लिया था, लेकिन ईटीपीबी ने बाद में अपना विचार त्याग दिया. दरअसल इसको लेकर पाकिस्तान में सिखों के एक वर्ग सहित सिख निकायों द्वारा उठाई गई आपत्तियों के बाद यह फैसला लिया गया था. 

    ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि सिख बुक क्लब ने गुरबानी के मूल छंदों को बदलकर अतिरिक्त लगन-मात्रवन (गुरुमुखी के विराम चिह्न) और बिंदी (डॉट्स) का इस्तेमाल किया था जो कि सिख राहत मर्यादा का उल्लंघन है. अकाल तख्त में 3 मई की बैठक से पहले, थमिंदर सिंह ने अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार से संपर्क किया है. उनके द्वारा अकाल तख्त से कहा गया है कि महत्वपूर्ण संस्थान के जत्थेदार के रूप में, आपको आम सहमति बनानी चाहिए. आपकी कई समितियों और अन्य संगठनों ने मुद्रण चूक और त्रुटियों की सूचना दी है और उस पर कुछ नहीं किया गया था."

    उन्होंने यह भी उदाहरण दिया कि कैसे मुसलमानों ने सभी विशेषज्ञों को बुलाकर कुरान के कई संस्करणों की समस्या को हल किया और बातचीत से एकमत समाधान बनाया. उन्होंने कहा, "आपके पास सबसे अच्छे सिख विचारकों, मिशनरी कॉलेजों और अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी जोगिंदर सिंह वेदांती और अन्य सिख विद्वानों के सर्वसम्मति समाधान के साथ आने का काम है." उन्होंने कहा कि परिवर्तन कभी-कभी अप्रिय थे लेकिन गुरु की बानी की पवित्रता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण थे.

    उन्होंने सिख मिस्लों का भी उदाहरण दिया जो एक-दूसरे से मतभेद होने के बावजूद गुरमत्ता पर एकमत थे. अकाल तख्त को थमिन्दर सिंह ने लिखा, "सिख मिस्ल आपस में अच्छी तरह से नहीं मिलते थे, लेकिन गुरमत्ता में वे सभी एक थे. इसी एकता से वे सिख साम्राज्य की नींव रखने में सफल रहे. महोदय, आप एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं जहां सभी आपकी ओर मार्गदर्शन के लिए देख रहे हैं. कृपया वही करें जो सिख मिस्लों ने संकट के समय में किया था. उस एकता से सिख साम्राज्य का उदय हुआ और यह एकता वैश्विक सिख साम्राज्य के लिए एक कदम होगा."

    रिपोर्ट- रविंद्र सिंह 'रॉबिन'

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