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गुलाम नबी आजाद ने अभी से मान ली हार, कहा- 2024 में कांग्रेस जीत नहीं सकती 300 सीटें

वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने ये स्वीकार किया है कि कांग्रेस 2024 में 300 सीट जीतकर केंद्र में सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है.

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गुलाम नबी आजाद ने अभी से मान ली हार, कहा- 2024 में कांग्रेस जीत नहीं सकती 300 सीटें

गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है.

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डीएनए हिंदीः कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षता भले कार्यकारी तौर पर सोनिया गांधी कर रही हों किन्तु इस बात में किसी को कई शक नहीं है कि राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी ही पार्टी के निर्णय ले रहे है. इसका संकेत पंजाब के सीएम पद से इस्तीफे के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ही दे दिया था. ऐसे में यदि कोई नेता नेतृत्व पर प्रश्न उठाता है तो निश्चित ही उसका निशाना राहुल एवं प्रियंका पर होगा. जम्मू कश्मीर में एक रैली के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी की स्थिति को लेकर संभवत राहुल एवं प्रियंका को ही टारगेट कर दिया है. 

हम नहीं कर सकते दावा

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पुंछ में एक जनसभा के दौरान मुद्दा तो अनुच्छेद 370 का छुआ किन्तु फजीहत उनकी ही पार्टी की हो गई. उन्होंने खुद ही पार्टी की दयनीय स्थिति स्वीकार ली. उन्होंने कहा, मैं लोगों को खुश करने के लिए उस बारे में नहीं बोलूंगा, जो हमारे हाथ में नहीं है. ये सही नहीं है कि मैं आपसे झूठे वादे करूं, अनुच्छेद-370 की बात करूं. अनुच्छेद-370 को लोकसभा में बहुमत वाली सरकार ही हटा सकती है.

कांग्रेस नहीं बना सकती सरकार

गुलाम नबी आजाद ने स्वीकार किया कि अनु्च्छेद 370 की बहाली कोई कर सकता है तो वो केन्द्र सरकार ही है और कांग्रेस सरकार बनाने के स्थिति में नहीं है. उन्होंने कहा, "सरकार बनाने के लिए 300 सांसद चाहिए. मैं ये वादा नहीं कर सकता कि 2024 चुनाव में हमारे 300 नेता जीतकर संसद पहुंच जाएंगे. मुझे अभी ऐसा नहीं लगता कि हम 2024 में 300 सीट जाएंगे. मैं आपसे कोई गलत वादा नहीं करुंगा. इसलिए अनुच्छेद-370 हटाने की बात नहीं करुंगा."

राहुल प्रियंका पर सवाल 

पिछले सात वर्षों में पार्टी की स्थिति डांवाडोल है. पार्टी कोई बड़ा चुनाव नहीं जीत सकी है. इसके चलते 2019 के बाद से अध्यक्ष पद को लेकर सवाल खड़े हुए हैं. भले ही सोनिया गांधी अध्यक्ष हैं लेकिन निर्णय पर्दे के पीछे से राहुल गांधी ही ले रहे हैं. राहुल की अपेक्षा सोनिया सक्रिय राजनीतिक भूमिका नहीं निभा रही हैं. ऐसे में नेतृत्व क्षमता से लेकर 2024 में संभावित प्रदर्शन पर गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी एवं प्रियंका वाड्रा के नेतृत्व पर सवाल खड़े किए हैं. 

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