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DU के कॉलेज में स्टूडेंट्स ने पूरा किया सायबर सिक्योरिटी का कोर्स, जानें क्या खास पढ़ाई होती है इसमें

डीयू के राजधानी कॉलेज में सायबर सिक्योरिटी एंड डिजिटल फॉरेंसिक्स के एड-ऑन कोर्स के पूरा होने पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था.

DU के कॉलेज में स्टूडेंट्स ने पूरा किया सायबर सिक्योरिटी का कोर्स, जानें क्या खास पढ़ाई होती है इसमें

राजधानी कॉलेज में सायबर सिक्योरिटी कोर्स पूरा

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डीएनए हिंदी: राजधानी कॉलेज में चल रहे "सायबर सिक्योरिटी एंड डिजिटल फॉरेंसिक्स" के एड-ऑन कोर्स का समापन शुक्रवार को संपन्न हुआ है. यह कोर्स कोरोना के दिनों में 18 दिसंबर, 2021 से शुरू हुआ था. इसमें 68 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और अपना कोर्स पूरा किया है.

इस समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. रंजन कुमार त्रिपाठी, ज्वाइंट डीन ऑफ कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, दीपा वर्मा,  निदेशक, फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री, उपनिदेशक श्री केसी वार्ष्णेय, सहायक निदेशक वीरेंद्र सिंह थे. फॉरेंसिक साइंस के विशेषज्ञ और रसायन शास्त्र के प्रो. जीएस सोढी भी इस मौके पर मौजूद थे. 

कार्यक्रम के शुरुआत में इस कोर्स के संयोजक प्रो. सुमन कुमार ने फॉरेंसिक साइंस जैसे नए विषय को  एड ऑन कोर्स के चुनने के बारे में बताया. उन्होंने प्रिंसिपल प्रो. राजेश गिरि के नैतिक एवं वैचारिक सहयोग के लिए धन्यवाद दिया और फॉरेंसिक साइंस लैब की ओर से मिलने वाले सहयोग के लिए कृतज्ञता जताई. उन्होंने सहयोगी प्राध्यापकों के सहयोग की भी सराहना की. प्रिंसिपल प्रो. राजेश गिरि ने अपने स्वागत भाषण में प्रो. रंजन त्रिपाठी की का कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आभार जताया. यह एड ऑन कोर्स ऑनलाइन शुरू किया गया था क्योंकि उन दिनों कोरोना के कारण कॉलेज में कक्षाएं नहीं लग पा रही थीं.

ऐसे समय में प्रो. सुमन कुमार एवं उनकी टीम, विशेष कर डॉ. रितु पायल, डॉ. पूनम पिपिल आदि के दृष्टिकोण की सराहना की थी. फॉरेंसिक साइंस लैब, दिल्ली की दीपा पा वर्मा और उनके सहयोगियों का धन्यवाद करते हुए उन्हें अपना मित्र बताया. प्रो. सोढ़ी ने फॉरेंसिक साइंस जैसे विषय के इतिहास पर चर्चा करते हुए अन्य विषयों, रसायन शास्त्र, जैविक शास्त्र, मनोविज्ञान आदि से संबंध की चर्चा की थी. उन्होंने कहा कि इसे एक सामान्य पाठ्यक्रम का विषय बनाए जाने की जरूरत है. 
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत डॉक्टर पूनम पिपिल ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ रितु पायल ने किया था. कार्यक्रम के अन्त में छात्रों को प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिह्न दिया गया.

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