Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Navratri 2022: बंगाल, गुजरात-मैसूर में नवरात्रि का अलग रंग, कहीं डांडिया तो कहीं होता है धुनुची नाच

देश में सांस्कृतिक विविधता की वजह से यह पर्व अलग अलग स्थानों के स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार, अलग तरह से मनाया जाता है.

Navratri 2022: बंगाल, गुजरात-मैसूर में नवरात्रि का अलग रंग, कहीं डांडिया तो कहीं होता है धुनुची नाच

यहां अलग ढंग से मनाया जाता है नवरात्रि का पर्व

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदीः देश भर में नवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है (Shardiya Navratri 2022). यह पर्व देश के विभिन्न राज्यों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है. 9 दिनों तक चलने वाला यह पर्व मां दुर्गा को समर्पित है. इस दौरान विधि-विधान से मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा की जाती है (Durga Puja 2022). देश में सांस्कृतिक विविधता की वजह से यह पर्व अलग अलग स्थानों के स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार, अलग तरह से मनाया जाता है. ऐसी ही कुछ रीति-रिवाज और परंपराएं हैं, जो इन खास शहरों में मनाए जाने वाले नवरात्रि के पर्व को अलग करती हैं. जिसकी वजह से यहां पर होने वाली नवरात्रि की पूजा को अलग ही प्रसिद्धि प्राप्त है.गुजरात, बंगाल और मैसूर में अलग ही तरीके से नवरात्रि और दशहरे का त्योहार मनता है.

यहां अलग ढंग से मनाया जाता है नवरात्रि का पर्व

कोलकाता:  पश्चिम बंगाल में खासतौर पर कोलकाता में नवरात्रि (Kolkata Navratri) के पर्व पर खास झलक देखने को मिलती है. शहरों और गांवों में इस दौरान भव्य दुर्गा पंडाल सजाए जाते हैं. दुर्गा पूजा बंगाल का एक मुख्य त्योहार है, जो महिषासुर राक्षस के पराजय और मां दुर्गा की जीत की खुशी में मनाया जाता है. इस दौरान बंगाली लोग पारम्परिक पोशाक पहनकर धुनुची नृत्य करते हैं. बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान होने वाले धुनुची नृत्य का बड़ा महत्व है. मान्यता है महिषासुर वध से पहले देवी दुर्गा ने शक्ति बढ़ाने के लिए धुनुची नृत्य किया था. इसलिए दुर्गा पूजा के दौरान यहां धुनुची नृत्य किया जाता है. 

यह भी पढ़ें: महिषासुर वध से पहले देवी ने किया था Dhunuchi, जानिए क्या है इस बंगाली डांस का शक्ति सीक्रेट 

कोलकाता में यह त्योहार भव्य तरीके से मनाया जाता है. इस दौरान देश और विश्व के विभिन्न भागों से लोग दुर्गा पूजा का आनंद लेने कोलकाता पहुंचते हैं.

मैसूर: दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में मनाया जाने वाला "मैसूर दशहरा (Mysore Dussehra) राज्य का राज्य-पर्व है, यहां पर यह पर्व बिल्कुल ही अलग और पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है. कहा जाता है इस पर्व को पहली बार वर्ष 1610 में राजा वोडेयार ने मनाया था. नवरात्री के दौरान महानवमी के दिन शाही तलवार की पूजा के लिए एक सिंहासन बनाया जाता है. उसपर शाही तलवार को  स्थापित करके पूजा की जाती है, और उसे हाथियों और घोड़ों के जुलूस पर ले जाया जाता है. नवरात्रि के दसवें दिन संगीतकारों और नर्तकियों की एक भव्य यात्रा निकाली जाती है, जिसमें हाथी के ऊपर सोने की काठी पर देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति को रखा जाता है, और उसे पूरे शहर में घुमाया जाता है.

गुजरात: गुजरात में नवरात्रि का पर्व कोलकाता (Gujrat Navratri) में मनाए जाने वाले दुर्गा पूजा और मैसूर दशहरे से बिल्कुल भिन्न है. यहां नवरात्री के दौरान गरबा नृत्य का आयोजन किया जाता है. गुजरात में मां दुर्गा और उनके नौ अलग-अलग रूपों के सम्मान में भक्त नौ दिनों तक उपवास रखते हैं और हर शाम जो महिलाएं उपवास रखती हैं, वह दियों से जगमगाते मिट्टी का एक बर्तन जिसे गरबा कहते हैं, उसे लेकर नृत्य करती हैं. मान्यता है गरबा जीवन के स्रोत और प्रकाश का प्रतिनिधित्व करता है. 

यह भी पढ़ें: दशहरे के दिन बांटी जाती हैं शमी की पत्तियां, ऐसी है इसकी कहानी

गुजरात में नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान पारम्परिक गरबा के साथ डांडिया रास का भी आयोजन किया जाता है. जहां पुरुष और महिलाएं पारंपरिक गुजराती पोशाक पहन कर इसमें बढ़-चढ़ कर भाग लेते है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement