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Ravan Ke 10 Sir ka Matlab: दशानन के हर सिर में छिपी है एक बुराई, जानें कौन कौन सी

Navratri Trivia : सनातन धर्म में रावण के दसों शीश को अलग-अलग बुराइयों का प्रतीक माना जाता है, जिनका अलग अलग अर्थ है. यहां पढ़ें उसकी कहानी

Ravan Ke 10 Sir ka Matlab: दशानन के हर सिर में छिपी है एक बुराई, जानें कौन कौन सी

दशानन का हर सिर है अलग-अलग बुराइयों का प्रतीक
 

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डीएनए हिंदीः (10 Heads Of Ravana) बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा नवरात्रि के अंतिम दिन यानी दशमी को मनाया जाएगा, इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था (Dussehra 2022). सोने की लंका के सम्राट और परम बलशाली रावण को दशानन के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रावण के 10 सिर थे लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि रावण के 10 सिर नहीं थे, वह 10 सिर होने का भ्रम पैदा करता था. वहीं कई लोग कहते हैं कि रावण परम विद्वान था. वह 4 वेदों और 6 दर्शन का ज्ञाता था, इसलिए रावण को दशानन (Dashanan) और दसकंठी भी कहा जाता है. इस लेख में हम आपको बता रहे हैं रावण के 10 सिर की कहानी.

दशानन का हर सिर है अलग-अलग बुराइयों का प्रतीक

सनातन धर्म में रावण के दसों शीश को अलग-अलग बुराइयों का प्रतीक माना जाता है, जिनका अलग अलग अर्थ है. शास्त्रों के अनुसार रावण के पास 9 मणियों की माला थी, जिसे रावण की मां कैकसी ने रावण को भेंट में दिया था. इससे वह 10 सिर होने का भ्रम पैदा करता था. काम, क्रोध, लोभ, मोह, द्वेष, घृणा, पक्षपात, अहंकार, व्यभिचार और धोखा यह सभी रावण के दसों शीश के अर्थ हैं.

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ऐसे में दशहरे के दिन रावण का पुतला दहन (Ravan Dahan) किया जाता है, ताकि इन बुराइयों को खत्म किया जा सके. कहा जाता है कि रावण के 10 शीश 10 बुराइयों के प्रतीक हैं व्यक्ति को इन बुराइयों से दूर रहना चाहिए.

रावण ने अपना शीश भगवान शिव को कर दिया था भेंट

रावण भगवान शिव का बड़ा भक्त था. पौराणिक कथाओं के अनुसार भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए उसने कई सालों तक तपस्या की. लेकिन इसके बाद भी भगवान शिव प्रकट नहीं हुए ऐसे में उसने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए अपने सिर की बलि दे दी थी.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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