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सिगरेट पीने वालों से बना लें दूरी, जानें क्या होती है सेकंड हैंड स्मोकिंग और क्यों बन गई है खतरनाक

आप सिगरेट नहीं पीते फिर भी आप सिगरेट की धुएं की वजह से ही कैंसर के शिकार हो सकते हैं. ऐसे में आपको सिगरेट पीने वालों से संभल कर रहने की जरूरत है. जानिए क्या होती है ये सेकंड हैंड स्मोकिंग और क्या हैं इसके खतरे

सिगरेट पीने वालों से बना लें दूरी,  जानें क्या होती है सेकंड हैंड स्मोकिंग और क्यों बन गई है खतरनाक

Second hand Smoking

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डीएनए हिंदी: धूम्रपान करना सेहत के लिए हानिकारक है. ये चेतावनी हमेशा किसी भी स्मोकिंग विज्ञापन से पहले दी जाती है. सिगरेट के पैकेट्स पर भी ये चेतावनी लिखी होती है. फिर भी लोग धूम्रपान करते हैं. ये बात सभी जानते हैं कि धूम्रपान करने से सेहत को नुकसान होता है. मगर ये जानना भी जरूरी है कि जो लोग धूम्रपान करते नहीं हैं लेकिन धूम्रपान करने वालों के करीब रहते हैं उन्हें भी इससे उतना ही खतरा हो सकता है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल द लैंसेट की एक रिसर्च में यह दावा किया गया है कि सेकंड-हैंड स्मोकिंग कैंसर होने का 10वां सबसे बड़ा कारण है. जानते हैं क्या होती है सेकंड हैंड स्मोकिंग और क्या होता है इसका आपकी सेहत पर असर-

क्या होती है सेकंड-हैंड स्मोकिंग
सेकंड-हैंड स्मोकिंग का कनेक्शन है सिगरेट, सिगार या हुक्के से निकलने वाले धुएं से. अगर आप इस धुएं के संपर्क में आते हैं तो समझ लीजिए आप सेकंड हैंड स्मोकिंग का शिकार हैं. बताया जाता है कि ये सेकंड हैंड स्मोकिंग बच्चों और बुजुर्गों पर काफी खराब असर करती है. कई मामलों में यह घातक भी साबित हो सकती है.

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क्या कहते हैं शोधकर्ता
स्टडी में बताया गया है कि धूम्रपान करने वाले लोगों में कैंसर का जितना खतरा है, उतना ही उन लोगों में भी है जो धूम्रपान करने वाले लोगों के नजदीकी संपर्क में आते हैं. शोधकर्ता बताते हैं कि दुनियाभर में सेकंड-हैंड स्मोकिंग या पैसिव स्मोकिंग के शिकार लोगों की संख्या बढ़ रही है. यानी अब धूम्रपान करने वाले लोगों से भी सतर्क रहने की जरूरत है. 

क्या हैं शोध के नतीजे
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार सेकंड हैंड स्मोक में 7000 के करीब केमिकल्स होते हैं. इसमें से सैंकड़ों केमिकल्स ऐसे होते हैं जो जहरीले हैं और 70 से अधिक की वजह से कैंसर का खतरा हो सकता है.CDC के अनुसार जो लोग घर या दफ्तर मे धूम्रपान करने वाले लोगों के संपर्क में आते हैं उनमें लंग कैंसर का खतरा 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.

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