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Winter Olympics 2022: US-Australia का राजनयिक बहिष्कार, जानें पूरी डिटेल

अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया Winter Olympics 2022 के राजनयिक बहिष्कार कर रहे हैं. जानें क्या होता है राजनयिक बहिष्कार और क्यों दोनों देशों ने लिया यह फैसला.

Winter Olympics 2022: US-Australia का राजनयिक बहिष्कार, जानें पूरी डिटेल

ऑस्ट्रेलिया का भी राजनयिक बहिष्कार

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डीएनए एक्सप्लेनर: अमेरिका और चीन के बीच जारी राजनीतिक घमासान Winter Olympics 2022 तक पहुंच गया है. अमेरिका ने बीजिंग में होने वाले winter olympics के राजनयिक बहिष्कार की घोषणा की है. अब ऑस्ट्रेलिया का नाम भी इसमें जुड़ गया है. आइए समझते हैं क्या है विंटर ओलिंपिक, क्यों अमेरिका ने किया है राजनयिक बहिष्कार, क्या होता है राजनयिक बहिष्कार और क्या कहना है इन सब पर चीन का. 

मानवाधिकार हनन का हवाला देकर US हुआ अलग 
व्हाइट हाउस ने चीन के शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकार उल्लंघन का हवाला  देकर राजनयिक बहिष्कार का एलान किया है. अमेरिका की ओर से कोई भी आधिकारिक प्रतिनिधि दल इसमें शामिल नहीं होगा. हालांकि, बाइडन प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि खिलाड़ी इसमें हिस्सा ले सकते हैं. 

क्या होता है राजनयिक बहिष्कार
राजनयिक बहिष्कार के तहत अमेरिकी खिलाड़ी विंटर ओलिंपिक की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेंगे. इस दौरान अमेरिका की ओर से कोई भी आधिकारिक प्रतिनिधि दल साथ नहीं जाएगा. अमूमन राजनयिक बहिष्कार किसी मुद्दे को लेकर किया जाता है. जैसे कि इस वक्त अमेरिका ने चीन के शिनजियांग प्रांत में अल्पसंख्यक Uighurs Muslims, तुर्क-भाषियों के मानवाधिकार हनन और डिटेंशन कैंप में रखे जाने का हवाला दिया है. 

पहले भी US कर चुका है राजनयिक बहिष्कार 
खेल प्रतियोगिताओं के राजनयिक बहिष्कार का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले,  साल 1980 में भी ऐसा हुआ था. अमेरिका ने तब मॉस्को समर ओलिंपिक से अपने खिलाड़ियों को वापस बुला लिया था. उस वक्त रूस के अफगानिस्तान पर हमले का हवाला देकर अमेरिका ने यह कदम उठाया था. 

रूस भी कर चुका है बहिष्कार 
मॉस्को समर ओलिंपिक के बहिष्कार के बाद रूस ने भी 1984 में लास एंजिलिस में हुए समर ओलिंपिक का बहिष्कार किया था. 

US के बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी किया बहिष्कार 
विंटर ओलिंपिक 2022 के राजनयिक बहिष्कार का एलान ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने किया. पीएम स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि 1989 में थियानमेन चैक संघर्ष के बाद से ही दोनों देशों के संबंध गंभीर संकट में हैं. मॉरिसन ने शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकारों के हनन का भी हवाला दिया.

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