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Winters में मुंह से क्यों निकलती है भाप ? गर्मियों में कहां चला जाता है ये जादू

बचपन में इसे आपने जरूर जादू समझा होगा लेकिन असल में ये कोई जादू नहीं बल्कि साइंस है. यह सब कमाल कंडनसेशन (Condensation) प्रोसेस का है.

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Winters में मुंह से क्यों निकलती है भाप ? गर्मियों में कहां चला जाता है ये जादू

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डीएनए हिंदी: क्या आपने कभी सोचा है कि सर्दियों में मुंह से भाप क्यों निकलती है. ये भाप होती क्या है और कहां से आती है? ये भाप दरअसल भाप नहीं बल्कि आपकी सांसें होती हैं. जी हां सर्दियों में आप अपने मुंह से निकलती जिस भाप को देखते हैं वह असल में आपकी सांसें होती हैं लेकिन ऐसा होता कैसे है?

बचपन में इसे आपने जरूर जादू समझा होगा लेकिन असल में ये कोई जादू नहीं बल्कि साइंस है. यह सब कमाल कंडनसेशन (Condensation) प्रोसेस का है. चलिए बताते हैं कि ये प्रोसेस क्या है और आपकी सांसों को भाप बनने के लिए कितनी ठंड की जरूरत होती है.

हमारी सांसें कैसे बनती हैं भाप?

अगर बेसिक साइंस की बात की जाए तो गैस से लिक्विड बनने की घटना को कंडनसेशन कहते हैं. जब आप सांस लेते हैं तो आपका शरीर हवा से ऑक्सीजन ले लेता है और जब सांस छोड़ते हैं तो आपके लंग्स कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं लेकिन आपकी सांस में केवल कार्बन डाई ऑक्साइड नहीं होता. इसके अलावा इसमें नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आर्गन और थोड़ा मॉइश्चर भी होता है. क्योंकि मुंह और लंग्स में मॉइश्चर होता है. आप जितनी बार भी सांस छोड़ते हैं उसमें वॉटर वेपर की शक्ल में पानी भी होता है. (वॉटर वेपर का मतलब है पानी का गैस रूप)

अब पानी को गैस यानी वॉटर वेपर बने रहने के लिए बहुत सारी एनर्जी की जरूरत होती है. ताकि मॉलिक्यूल्स को लगातार मूवमेंट दी जा सके. यह प्रोसेस आपकी लंग्स में होती है जहां थोड़ा गर्म माहौल रहता है.

जब आप सर्दियों में सांस छोड़ते हैं तो आपकी सांस में मौजूद वॉटर वेपर अपनी एनर्जी जल्दी खो देते हैं. ऐसे में मॉलिक्यूल एक दूसरे के साथ चिपककर एक ग्रुप बना लेते हैं. ऐसा करने पर ये धीमे हो जाते हैं और या तो पानी या पानी की सॉलिड फॉर्म में बदल जाते हैं.

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इस साइंटिफिक प्रोसेस को कंडनसेशन कहते हैं. जब आप सर्दियों में सांस लेते हैं तो आपकी सांस में मौजूद वॉटर वेपर छोटी-छोटी बूंदों और सॉलिड में बदलने लगते हैं इसे आप हवा में बादल, धुंए या धुंध के रूप में देखते हैं.

गर्मियों में वॉटर वेपर गैस नजर नहीं आती क्योंकि गर्म हवा वॉटर वेपर को गैस के फॉर्म में ही रखने में मदद करती है. वैसे अभी तक कोई टेंपरेचर तय नहीं किया गया है कि इतने पर होगा इतने पर नहीं. क्योंकि टेंपरेचर के अलावा हमारे वातावरण के दूसरे फैक्टर्स भी हैं जो इस प्रोसेस पर असर डालते हैं.

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