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Atal Bihari Vajpayee: पूर्व प्रधानमंत्री पर बनेगी फिल्म, 99वीं बर्थ एनिवर्सरी पर होगी रिलीज

देश के पूर्व प्रधानमंत्री Atal Bihari Vajpayee राजनीति के सबसे करिश्माई और लोकप्रिय चेहरों में से एक रहे हैं. वाजपेयी के निधन से देश की राजनीति के एक सुनहरे दौर का अंत हो गया था. अब उनकी जिंदगी पर एक फिल्म बनने वाली है जिसकी अनाउंसमेंट कर दगी

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Atal Bihari Vajpayee अटल बिहारी वाजपेयी

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डीएनए हिंदी: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की कहानी को आप जल्द ही बड़े पर्दे पर देख पाएंगे. पूर्व प्रधानमंत्री पर अब फिल्म बनने जा रहे है जिसका नाम 'मैं रहूं या न रहूं ये देश रहना चाहिए- अटल' है. फिल्म की अनाउंसमेंट के साथ इसका मोशन पोस्टर भी रिलीज किया गया है. खास बात ये है कि इस फिल्म को हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में रिलीज किया जाएगा.उल्लेख एनपी की किताब 'द अनटोल्ड वाजपेयी: पॉलीटिशियन एंड पैराडॉक्स' (The Untold Vajpayee: Politician and Paradox) से प्रेरित होकर इस फिल्म को बनाया जा रहा है. 

पूर्व प्रधानमंत्री पर बन रही इस फिल्म को विनोद भानुषाली (Vinod Banushali) और संदीप सिंह (Sandeep Singh) ने प्रड्यूस किया है. फिल्म की शूटिंग 2023 में शुरू होगी और उसी साल अटल जी की 99वीं बर्थ एनिर्वसरी पर इसे रिलीज किया जाएगा. फिलहाल फिल्म के डायरेक्टर और इससे जुड़े किसी एक्टर का नाम सामने नहीं आया है. फिल्म के इस मोशन पोस्टर में अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण की कुछ लाइन भी सुनी जा सकती हैं. इस टीजर में अटल बिहारी वाजपेयी कह रहे हैं, 'सत्ता का खेल तो चलेगा, सरकारें आएंगी जाएंगी, पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी. मगर ये देश रहना चाहिए, इस देश का लोकंतत्र अमर रहना चाहिए.' 

अटल  बिहारी वाजपेयी का पॉलिटिकल सफर 

18 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखने वाले अटल बिहारी वाजपेयी 47 साल तक संसद सदस्य रहे. पहली बार 13 दिन और दूसरी बार 13 महीने के लिए वो देश के प्रधानमंत्री रहे. लंबे समय से बीमार चल रहे पूर्व प्रधानमंत्री का 93 साल की उम्र में निधन हो गया था. 16 अगस्त 2018 को उन्होंने अंतिम सांस ली.

भारत रत्न से सम्मानित वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे, पहली बार 1996 में 13 दिनों के लिए फिर 1998 से 1999 और आखिरी बार 1999 से 2004 तक. देश के प्रधानमंत्री के साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी एक सर्वप्रिय कवि, वक्ता और समावेशी राजनीति के पर्याय थे.

पूर्व प्रधानमंत्री की सबसे बड़ी उपलब्धियां  

बतौर प्रधानमंत्री उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक मई 1998 में परमाणु बम का परीक्षण शामिल है. पोखरन-2 के साथ ही उनके कार्यकाल के दौरान कई ऐसी घटनाएं हुईं जिन्हें आज भी याद किया जाता है.

इनमें करगिल युद्ध, लाहौर समिट, इंडियन एयरलाइंस का विमान हाइजैक, 2001 में संसद पर आतंकी हमला, 2002 में गुजरात दंगे आदि शामिल हैं.

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