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Alzheimer Treatment: सालों पहले बड़ा झूठ बोला था वैज्ञानिकों ने, लाखों मरीजों को हुआ नुक़सान   

Alzheimer : अलज़ाइमर (Alzheimer) दिमाग मे एमिलॉइड प्रोटीन (Amyloid Protein) के जमने से होता है. वैज्ञानिकों ने सालों पहले यह थ्योरी दी थी. अब यह निकलकर सामने आया है कि यह पूरी बात झूठी तस्वीरों से तैयार की गई थी. इसी विषय पर शिवांक शर्मा की रिपोर्ट!

Alzheimer Treatment: सालों पहले बड़ा झूठ बोला था वैज्ञानिकों ने, लाखों मर�ीजों को हुआ नुक़सान   
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डीएनए हिंदी : अलज़ाइमर (Alzheimer) दिमाग मे एमिलॉइड प्रोटीन (Amyloid Protein) के जमने से होता है. वैज्ञानिकों ने सालों पहले यह थ्योरी दी थी. अब इसे साबित करने वाली स्टडी सवालों के घेरे में है. यह निकल कर सामने आया है कि वैज्ञानिक ने टेस्ट के रिजल्ट की फ़र्ज़ी फोटो छाप कर इस थ्योरी को साबित किया था. 
आज पूरी दुनिया के डॉक्टर मानते हैं कि किसी व्यक्ति को अलज़ाइमर यानी भूलने की बीमारी किसी व्यक्ति को तब होती है जब उसके दिमाग मे एमिलॉइड Beta Star 56 प्रोटीन जमा हो जाता है. ऐसा जिस शोध के आधार पर माना जाता है वह  झूठ और मॉर्फ़्ड तस्वीरों के सहारे किया गया था. माना जा रहा है कि इसकी वजह से न केवल दुनिया भर के अलज़ाइमर से पीड़ित करोड़ो मरीजो को ठगा गया बल्कि इस झूठी रिसर्च के सहारे फार्मा कंपनियों ने भी अरबों रुपये की कमाई की. सिलसिलेवार तरीके से जानिए पूरा मामला.

15 सालों तक चला Alzheimer स्टडी का झूठ
 वर्ष 2006 में 8 अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बूढ़े चूहों पर की गई अपनी स्टडी के सहारे दावा किया था कि किसी बुज़ुर्ग व्यक्ति को अलज़ाइमर नाम की भूलने की बीमारी तब होती है जब उसके दिमाग मे एमिलॉइड Beta Star 56 नाम का प्रोटीन जमा हो जाता है. यह स्टडी विश्व के प्रसिद्ध जर्नल नेचर में छपी थी.इसी स्टडी को आधार मानते हुए विश्व भर के वैज्ञानिकों ने इसे बीमारी का मूल कारण माना और अमेरिकी वैज्ञानिकों की इस थ्योरी को एमिलॉइड थ्योरी नाम दिया गया.

वर्ष 2006 की इस थ्योरी ने विज्ञान जगत से लेकर अलज़ाइमर(Alzheimer) से पीड़ित लोगों को एक आशा की किरण दी थी क्योंकि इससे पहले डॉक्टरों को पुख्ता तौर पर अलज़ाइमर नाम की बीमारी के प्रमुख कारण का पता नही था, साथ ही एमिलॉइड थ्योरी के आने के बाद विश्व भर के वैज्ञानिकों ने अलज़ाइमर की दवा पर रिसर्च करना शुरू कर दिया था जिससे दिमाग मे इस जमा हुए प्रोटीन को हटाया जा सके.. लगभग डेढ़ दशक तक सब कुछ ठीक चलता रहा और वैज्ञानिक भी एमिलॉइड थ्योरी  पर भरोसा करते रहे, इसी थ्योरी के आधार पर अलज़ाइमर के उपचार के लिए anti-एमिलॉइड दवाओं के ट्रायल भी हुए.


नई दवा के साथ हुआ खुलासा
पिछले वर्ष जून में अमेरिका की दवा को मंजूरी देने वाली संस्था FDA ने पहली anti-एमिलॉइड दवा  Aduhelm को मंजूरी दी थीजिसका निर्माण Biogen नाम की दवा निर्माता कंपनी ने किया थ और इसका काम अलज़ाइमर (Alzheimer Patients) से पीड़ित मरीजों के दिमाग मे जमे एमिलॉइड प्रोटीन को साफ करना था. इस दवा को FDA की मिलने के बाद, मंजूरी के विरोध में FDA की अलज़ाइमर पर बनाई गई विशेषज्ञों की कमेटी के 3 सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था क्योंकि उनके मुताबिक यह दवा अलज़ाइमर के मरीजो के साथ एक धोखा थी क्योंकि इस दवा के शुरुआती ट्रायल में तो अच्छे नतीजे सामने आए थे लेकिन क्लीनिकल ट्रायल में यह दवा बेअसर साबित हुई थी, हालांकि तब तक भी किसी भी वैज्ञानिक को एमिलॉइड थ्योरी पर शक नही हुआ था.

एक तरफ Biogen की Anti-एमिलॉइड दवा Aduhelm पर विवाद चल ही रहा था तो दूरी ओर एक और अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी कसावा अपनी Anti-एमिलॉइड दवा Simufilam का ट्रायल अलज़ाइमर से पीड़ित मरीजो पर कर रही थी. कसावा ने शुरुआती ट्रायल के नतीजों द्वारा दावा किया कि उसकी दवा को एक साल तक खाने के बाद ट्रायल में भाग लेने वाले 3 में 2 मरीजों पर दवा का बेहतर असर हुआ है और उनकी सेहत में सुधार हुआ है..बस इसी के बाद से से मॉर्फ़्ड तस्वीरों द्वारा दी गयी एमिलॉइड थ्योरी की पोल खुलनी शुरू हुई..और पिछले वर्ष अगस्त में अमेरिका की एक लॉ फर्म ने FDA से शिकायत की और याचिका दायर की कसावा ने जो नतीजे अपने ट्रायल में दिए हैं वो झूठे हैं और FDA इस झूठे डेटा के फर्जीवाड़े  की जांच करे साथ ही जांच होने तक कसावा द्वारा किये जा रहे Simufilam के ट्रायल पर रोक लगाए. 


नेचर पत्रिका ने भी शुरू की छान-बीन 
अलज़ाइमर ((Alzheimer Disease) पर की गई डेढ़ दशक पहले की इतनी महत्वपूर्ण स्टडी की बुनियाद झूठी तस्वीरों से रखे जाने के बाद साइंटिफ़िक जर्नल नेचर ने भी इस मामले की जांच करनी शुरू कर दी है. इस झूठ के केंद्र बिंदु में अमेरिका की मिन्नोसेटा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक Dr Sylvain Lesné हैं जो वर्ष 2006 वाली इस स्टडी के प्रमुख थे और इन्होंने ही मॉर्फ़्ड तस्वीरों के आधार पर की गई इस स्टडी को सामने रखा था. उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी है.


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शोध में झूठ की मिलावट मरीजों के जीवन के लिए खतरनाक 
NWNT हेल्थकेयर के निदेशक डॉ संदीप वोहरा के मुताबिक किसी बीमारी का असल कारण क्या है और इसमें कौन कौन सी दवाएं असर करेंगी इसके लिए वो विश्व के बड़े बड़े जर्नल में छपने वाले शोध पढ़ते रहते हैं जिससे वो मरीजों का  बेहतर इलाज कर पाएं. लेकिन शोध में झूठ की मिलावट मरीजों के जीवन के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है. 
मणिपाल अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉ निशांत याग्निक के मुताबिक अलज़ाइमर (Reasons of Alzheimer)का कारण विश्व भर के डॉक्टर दिमाग मे एक निश्चित प्रोटीन के जमा होने को मानते हैं. डॉ याग्निक के मुताबिक किसी भी बीमारी के कारण से लेकर बीमारी की दवा यह सब वैज्ञानिकों द्वारा किये जाने वाले शोध से पता चलता है और इन्ही शोध के आधार पर डॉक्टर दवा देते हैं. फार्मा फंडेड शोधों पर टिप्पणी करते हुए डॉ याग्निक के मुताबिक कुछ वर्ष पहले अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक स्टडी करके बताया था कि देसी घी का उपयोग लोगों में कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है और बढा हुआ कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक का कारक बनता है लेकिन बाद में पता चला कि इस स्टडी के पीछे फार्मा कंपनियां थी.

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