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Uttarakhand की जेल में 7 दिन बंद रहा दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी का अधिकारी, जानिए क्या था कारण

सऊदी अरब की तेल कंपनी सऊदी अरामको के ब्रिटिश एक्जीक्यूटिव गिरफ्तारी के समय मशहूर फूलों की घाटी में छुट्टी मना रहे थे.

Uttarakhand की जेल में 7 दिन बंद रहा दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी का अधिकारी, जानिए क्या था कारण
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डीएनए हिंदी: सऊदी अरब की तेल कंपनी सऊदी अरामको (Saudi Aramco) के एक अधिकारी को सात दिन तक उत्तराखंड (Uttarakhand) की एक जेल में बंद रहना पड़ा है. अरामको वैल्यू के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है. उसके ब्रिटिश एक्जीक्यूटिव को जब उत्तराखंड के चमोली (Chamoli) जिला पुलिस ने गिरफ्तार किया, उस समय वो पूरी दुनिया में मशहूर फूलों की घाटी (Valley of Flowers) में छुट्टी मनाने पहुंचे हुए थे. इस अधिकारी को करीब 7 दिन तक हिरासत में रहना पड़ा. बाद में उन्हें ब्रिटिश उच्चायोग के हस्तक्षेप पर एक हजार रुपये का जुर्माना वसूलने के बाद छोड़ दिया गया. यह घटना जुलाई महीने की है, लेकिन इस एक्जीक्यूटिव ने अब लंदन के एक अखबार के साथ यह अनुभव शेयर किया है. इसके बाद यह मामला चर्चा में आ गया है.

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चीन सीमा के करीब सैटलाइट फोन लेकर घूम रहे थे

फूलों की घाटी सिखों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल गुरुद्वारा हेमकुंट साहिब (Gurudwara Shri Hemkund Sahib) के पास है. यह चमोली जिले में आती है और चीन के साथ साझा होने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से सटी हुई है. इसके चलते यह पूरा एरिया बेहद संवेदनशील माना जाता है. ब्रिटेन के फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक, अरामको के इन्वेस्टर रिलेशन हेड फर्गस मैकलाउड ने बताया कि 12 जुलाई को चमोली पुलिस ने उन्हें वैली ऑफ फ्लावर्स नेशनल पार्क के करीब होटल से गिरफ्तार किया था. उस समय 62 साल के मैकलाउड के पास से सैटलाइट फोन बरामद किया गया था, जिसे रखने की इजाजत भारत में आम नागरिकों को नहीं है. मैकलाउड अपने दोस्तों के साथ छुट्टी बिताने आए थे, लेकिन इस दौरान उन्होंने होटल में सैटलाइट फोन को ऑन-ऑफ किया था, जिसके सिग्नल पकड़े जाने पर ही पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया था. मैकलाउड को इस मामले में 18 जुलाई तक चमोली की जेल में रहना पड़ा.

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क्या कह रहे पुलिस अधिकारी

Indian Express ने फाइनेंशियल टाइम्स के हवाले से इस खबर पर चमोली की पुलिस अधीक्षक श्वेता चौबे से बात की. चौबे के मुताबिक, कोई भी विदेशी नागरिक भारत में न तो बिना अनुमति के सैटलाइट फोन रख सकता है और न ही इस्तेमाल कर सकता है. पुलिस टीम को मैकलाउट के पास सैटलाइट फोन बरामद हुआ, इसलिए उनकी गिरफ्तारी की गई थी. यह गिरफ्तारी पूरी तरह नियमों के दायरे में वैध थी.

मैकलाउड को गिरफ्तार करने वाले गोविंद घाट पुलिस स्टेशन के एसएचओ नरेंद्र सिंह रावत ने बताया कि 11 जुलाई को उन्हें चीन सीमा के करीब एक विदेशी नागरिक के पास सैटलाइट फोन होने की जानकारी मिली थी. पुलिसकर्मी भेजकर इसकी पुष्टि कराई गई और उसके बाद उन्हें वैली ऑफ फ्लॉवर से गिरफ्तार किया गया. मैकलाउड को इंडियन वायरलेस एंड टेलिग्राफी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था. उन्हें मेडिकल कराकर जिला जेल भेजा गया, जहां से 18 जुलाई को उन्हें जमानत पर रिहाई मिल गई. इसके बाद 27 जुलाई को 1,000 रुपया जुर्माना लगाकर मुकदमा वापस ले लिया गया. 

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मैकलाउड बोले- नहीं पता था नियम, मैं बस फोन चेक कर रहा था

मैकलाउड ने फाइनेंशियल टाइम्स से बातचीत में कहा कि उन्होंने साल 2017 में अरामको जॉइन करते समय ब्रिटेन में वैध तरीके से यह सैटलाइट फोन खरीदा था. सऊदी अरब के रेगिस्तान में कई जगह मोबाइल नेटवर्क कमजोर है तो वहां वे इसका इस्तेमाल करते हैं. मैकलाउड ने कहा कि मुझे भारत में सैटलाइट फोन इस्तेमाल पर बैन का नहीं पता था. एयरपोर्ट पर भी चेकिंग के दौरान सैटलाइट फोन पर आपत्ति नहीं जताई गई. मैकलाउड के मुताबिक, मैंने चमोली में छुट्टी के दौरान सैटलाइट फोन इस्तेमाल नहीं किया. महज उसे ऑन-ऑफ करके देखा था. इसी दौरान पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

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जेल में व्यवहार अच्छा, लेकिन उच्चायोग से संपर्क नहीं कराया

मैकलाउड ने यह भी आरोप लगाया कि चमोली जेल में उनके साथ वैसे तो अच्छा व्यवहार किया गया, लेकिन जेल प्रशासन ने बार-बार कहने पर भी वकील, परिवार या ब्रिटिश उच्चायोग से संपर्क नहीं कराया. जिस सेल में रखा, वहां गंभीर अपराधों के आरोपी बंद थे. इस कारण यह बेहद डरावनी जगह थी और अनुभव याद करने पर भयावह लगता है. मैकलाउड ने बताया कि जमानत के बाद भी मुझे 27 जुलाई को केस पूरी तरह खत्म होने के बाद ही भारत से बाहर जाने दिया गया. इस दौरान नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग ने भी ब्रिटिश नागरिक की मदद करने के लिए हस्तक्षेप किया.

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