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Morbi Bridge Collapse मामले में गुजरात High Court ने नगर निगम को लगाई फटकार, सरकार से कहा- मत दिखाओ होशियारी

Gujarat High Court ने आज इस मामले में सुनवाई की है और सरकार समेत नगर निगम पर सवाल खड़े किए हैं.

Morbi Bridge Collapse मामले में गुजरात High Court ने नगर निगम को लगाई फटकार, सरकार से कहा- मत दिखाओ होशियारी
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डीएनए हिंदी: गुजरात के मोरबी में केबल ब्रिज (Morbi Bridge Collapse) के गिरने से हुए दर्दनाक हादसे ने देश को हिलाकर रख दिया था. इस मामले में गलती कंस्ट्रक्शन कंपनी ओरेवा की सामने आई थी. ऐसे में आज इस हादसे पर गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार और मोरबी नगर निगम को करारी फटकार लगाई है. कोर्ट ने टेंडर जारी करने वाली प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े किए हैं. कोर्ट ने कहा है कि सरकार और नगर निगम इस मुद्दे पर कतई कोई होशियारी न दिखाएं.

हाईकोर्ट ने मोरबी नगर निगम को ब्रिज टूटने के मामले में फटकार लगाते हुए कहा है कि किसी भी कीमत पर बातों को घुमाया न जाए. कोर्ट ने कहा है कि नगर निगम 30 अक्टूबर को गिरने वाले 150 साल पुराने पुल के मामले में जवाब दे. अदालत ने प्रारंभिक अवलोकन के रूप में कहा, "नगरपालिका ने चूक की है जिसमें अंततः 135 लोगों की मौत हुई है. नोटिस के बावजूद आज नगर पालिका की तरफ से कोई जवाब नहीं आया जिसको लेकर कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में चतुराई न दिखाई जाए. 

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इसने अधिकारियों से स्पष्ट रूप से विवरण के साथ वापस आने के लिए कहा है.  कोर्ट ने पूछा है कि क्या पुल को फिर से खोलने से पहले इसकी फिटनेस को प्रमाणित करने की कोई शर्त समझौते का हिस्सा थी और जिम्मेदार व्यक्ति कौन था. इसमें कहा गया है कि राज्य को यह भी बताना होगा कि अभी तक नगर निगम के मुख्य अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों शुरू नहीं की गई? हाईकोर्ट के मुख्य जज अरविंद कुमार ने इस मामले में राज्य के मुख्य सचिव से पूछा, "सार्वजनिक पुल के मरम्मत कार्य के लिए टेंडर क्यों नहीं जारी किया गया? बोली क्यों नहीं आमंत्रित की गई?" .

आपको बता दें कि मोरबी नगर पालिका ने ओरेवा ग्रुप को 15 साल का अनुबंध दिया था जो अजंता ब्रांड की दीवार घड़ियों के लिए जाना जाता है. कंपनी से टेंडर को लेकर अदालत ने पूछा कि आखिर इतने महत्वपूर्ण कार्य के लिए एक समझौता मात्र डेढ़ पेज में कैसे पूरा हो गया? क्या बिना किसी टेंडर के अजंता कंपनी को राज्य सरकार ने कृपा करते हुए कॉन्ट्रैक्ट दिया था? 

गौरतलब है कि गुजरात के उच्च न्यायालय ने इस त्रासदी पर खुद संज्ञान लिया था और कम से कम छह विभागों से जवाब मांगा था. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं. ओरेवा कंपनी पर आरोप है कि कंपनी ने जंग लगे केबलों को नहीं बदला बल्कि एक नया फर्श लगाया जो बहुत भारी साबित हुआ था और यह हादसे की एक बड़ी वजह बन गया.

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हाई कोर्ट ने पहले दिन से ठेके की फाइलें सीलबंद लिफाफे में जमा कराने को कहा है. सरकार ने इस मामले में बताया है कि उसने तीव्रता से राहत बचाव का कार्य किया जिससे सभी लोगों को बचाया जा सके. सरकार का कहना है कि इस मामले में 9 लोगों को गिरफ्तार भी किया है.

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