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NEET Quota: सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने बताया, EWS की एनुअल इनकम लिमिट 8 लाख रुपए ही रहेगी

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में यह बात कही.

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NEET Quota: सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने बताया, EWS की एनुअल इनकम लिमिट 8 लाख रुपए ही रहेगी

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डीएनए हिंदी: सरकार ने नीट पीजी के अखिल भारतीय कोटा के लिए ईडब्ल्यूएस की एनुअल इनकम को 8 लाख रुपए तक बनाए रखने की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है. ये सिफारिशें वर्तमान एडमिशन के लिए रहेंगी. वहीं अगले प्रवेश चक्र से आय सीमा को कैसे लागू किया जाए, इसपर सिफारिशें स्वीकार की जाएंगी. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में यह बात कही. NEET-AIQ में EWS मुद्दे को चुनौती दी गई थी.


याचिकाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाली मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एमसीसी) की 29 जुलाई की अधिसूचना को चुनौती दी गई है.

अदालत ने केंद्र से यह बताने के लिए कहा कि ईडब्ल्यूएस एनुअल इनकम 8 लाख रुपए के मानदंड पर कैसे पहुंचा. सरकार ने 25 नवंबर 2021 को मानदंड पर फिर से विचार करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा था.

31 दिसंबर को सरकार ने एक हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया था कि उसने अदालत को दिए अपने आश्वासन के अनुसार पूर्व वित्त सचिव अजय भूषण पांडे, आईसीएसएसआर के सदस्य सचिव वीके मल्होत्रा ​​​​और प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था.

हलफनामे में कहा गया है कि समिति ने 31 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट सौंपी और केंद्र सरकार ने सिफारिश को स्वीकार करने का फैसला किया है.

सरकार ने समिति की रिपोर्ट संलग्न की है, जो 2019 से कोटा की सीमा निर्धारित करने के लिए इस्तेमाल की गई 8 लाख रुपए की सीमा को जारी रखने का समर्थन करती है लेकिन इसके आवेदन के संबंध में कुछ बदलावों का सुझाव भी देती है.

रिपोर्ट के अनुसार, ईडब्ल्यूएस के लिए मौजूदा ग्रॉस एलुअल इनकम 8 लाख रुपए या उससे कम रखी जा सकती है. दूसरे शब्दों में केवल वे परिवार जिनकी वार्षिक आय 8 लाख रुपये तक है, वे ही ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ पाने के पात्र होंगे. 'परिवार' और आय की परिभाषा वही रहेगी जो दिनांक 17 जनवरी 2019 के कार्यालय ज्ञापन में है. इस सवाल पर कि किस वर्ष से परिवर्तनों को अपनाया जाना चाहिए और लागू किया जाना चाहिए, समिति ने कहा कि मौजूदा प्रणाली 2019 से लागू थी.

विशेषज्ञ समिति ने यह कहते हुए कि मानदंड को बीच में बदलने से और अधिक जटिलताएं पैदा होंगी. यह भी सिफारिश की गई है कि संशोधन अगले शैक्षणिक वर्ष में लागू किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 6 जनवरी को करेगा.

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