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क्या Shivpal Singh Yadav थामेंगे भाजपा का दामन? सियासी गलियारों में लगाए जा रहे कयास

2017 के बाद से अलग-अलग रहने के बाद अखिलेश और शिवपाल ने हाल ही में संपन्न राज्य विधानसभा चुनावों से ठीक पहले आपसी रिश्ते सुधारने का फैसला किया था.

क्या Shivpal Singh Yadav थामेंगे भाजपा का दामन? सियासी गलियारों में लगाए जा रहे कयास

Shivpal Singh Yadav

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डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिवपाल सिंह यादव की मुलाकात के बाद समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन में तनाव की खबरों के बीच कयास लगाए जा रहे हैं कि कथित तौर पर नाराज शिवपाल भाजपा में शामिल हो सकते हैं.

विपक्षी गठबंधन के एक प्रमुख नेता ओम प्रकाश राजभर ने हालांकि, इस मुद्दे को तूल नहीं देने की कोशिश करते हुए कहा कि उनके परिवार के भीतर "कुछ मुद्दे" हैं और वह सभी प्रयास कर रहे थे कि सभी एक साथ रहें. खबरों से पता चलता है कि 26 मार्च को नवनिर्वाचित सपा विधायकों की बैठक में शिवपाल यादव को आमंत्रित नहीं किए जाने के बाद से उनके और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच दूरियां बढ़ रही हैं.

अखिलेश से नाराज हैं शिवपाल?

शिवपाल यादव, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख हैं, लेकिन उन्होंने सपा के साइकिल चिह्न पर हाल ही में संपन्न विधानसभा का चुनाव लड़ा था. वह सोमवार को अखिलेश यादव द्वारा बुलाई गई विपक्षी गठबंधन की बैठक में शामिल नहीं हुए थे और एक विधायक के रूप में शपथ लेने में "देरी" की थी. नई विधानसभा में ऐसी अटकले लगाई जा रही हैं कि "चाचा-भतीजा" के बीच सब कुछ ठीक नहीं है.

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रवक्ता दीपक मिश्रा ने बताया कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को अपने नेता के साथ बदलते राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा की और शिवपाल यादव से कहा कि वे अपने राजनीतिक अनुभव के साथ जो भी निर्णय लेंगे, वे उसका समर्थन करेंगे.

दीपक मिश्रा ने कहा, "शिवपाल सिंह ने पार्टी कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया कि कोई भी निर्णय लेने से पहले उन्हें विश्वास में लिया जाएगा जो (राम मनोहर) लोहिया और जय प्रकाश नारायण की विरासत को जीवित रखेगा व लोगों की समस्याओं के समाधान पर काम करेगा." उन्होंने कहा, "कोई भी फैसला लेने से पहले कई बातों का ध्यान रखा जाएगा, राजनीति में सभी दरवाजे और विकल्प खुले रखे गए हैं."

क्या भाजपा ने पहले भी दिया था शिवपाल को ऑफर?

उनके विकल्पों के बारे में पूछे जाने पर, दीपक मिश्रा ने कहा, "शिवपाल जी को पहले भी भाजपा से एक प्रस्ताव मिला था, हर राजनीतिक दल या नेता चाहते हैं कि उनके साथ शिवपाल यादव जैसे लोकप्रिय नेता हों. लेकिन वह नहीं गए क्योंकि उन्होंने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ काम किया है और उनके सभी संघर्षों में उनका नेतृत्व किया."

मिश्रा ने बताया कि शिवपाल ने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे निरंतर संघर्ष के लिए तैयार रहें और अपनी जनभागीदारी बढ़ाएं और जल्द ही एक बड़ा फैसला लिया जाएगा.

शिवपाल यादव के अलावा, अपना दल (के) की गठबंधन की एक अन्य प्रमुख नेता पल्लवी पटेल, जिन्होंने सिराथू सीट से उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को हराया था, 28 मार्च को सपा के नेतृत्व वाले गठबंधन सहयोगियों की बैठक में शामिल नहीं हुई थीं.

शिवपाल को राज्यसभा और आदित्य को विधानसभा का टिकट?

शिवपाल यादव अगर पाला बदलते है तो कई लोगों को आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि कई मौकों पर अखिलेश ने खुद अपने चाचा पर आदित्यनाथ के संपर्क में रहने और भगवा पार्टी के प्रति नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया है.

राजनीतिक गलियारों में इस बात के कयास लगाये जा रहे हैं कि भाजपा शिवपाल को राज्यसभा भेज सकती है और जसवंतनगर सीट उनके बेटे आदित्य यादव को दे सकती है. अखिलेश ने विधानसभा चुनाव में आदित्य यादव को टिकट देने से इनकार कर दिया था. अप्रैल-जुलाई के बीच उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की ग्यारह सीटें खाली हो रही हैं.

शिवपाल यादव खुद इन मुद्दों पर ज्यादा नहीं बोल रहे हैं. बुधवार को उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा था कि वह सही समय पर सब कुछ बता देंगे. लेकिन, राजभर अभी भी आशान्वित हैं कि चीजें सुलझ जाएंगी और शिवपाल के अलग होने की अटकलें गलत साबित होंगी.

राजभर बोले- दूर करेंगे सभी मतभेद

ओम प्रकाश राजभर ने गुरुवार को कहा कि वह परिवार में मतभेदों को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. राजभर ने कहा, "यह परिवार की बात है, हम परिवार के भीतर कलह में कितना कुछ कर सकते हैं. लेकिन मेरी कोशिश रही है कि सभी एक साथ रहें और एक साथ काम करें."

उन्होंने कहा, "मैं शिवपाल जी और अखिलेश जी दोनों से बात करूंगा." राजभर ने कहा, "शिवपाल सिंह ने मुझे कल शाम को समय दिया था, लेकिन मुझे बलिया जाना पड़ा और मैंने भी उन्हें इसके बारे में बताया. मैं उनसे आज मिलूंगा."

सहयोगी दलों की बैठक में पल्लवी पटेल की अनुपस्थिति पर राजभर ने कहा, "पल्लवी पटेल किसी निजी काम की वजह से सहयोगी दलों की बैठक में शामिल नहीं हो सकीं. उन्होंने सुबह आकर अखिलेश जी से मुलाकात की थी."

वहीं, दीपक मिश्रा ने योगी के साथ शिवपाल की बैठक को शिष्टाचार भेंट करार दिया. मिश्रा ने बुधवार को कहा था, "चूंकि वह (शिवपाल यादव) चुनाव के बाद सदन के नेता से नहीं मिल सके, उन्होंने शपथ लेने के बाद आज उनसे मुलाकात की. उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष से भी मुलाकात की."

2017 से खराब हैं अखिलेश-शिवपाल के रिश्ते

गौरतलब है कि 2017 के बाद से अलग-अलग रहने के बाद अखिलेश यादव और शिवपाल यादव ने हाल ही में संपन्न राज्य विधानसभा चुनावों से ठीक पहले आपसी रिश्ते सुधारने का फैसला किया था. आपसी मनमुटाव के कारण शिवपाल यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी बनायी थी. इस बार शिवपाल सपा के चुनाव चिह्न पर अपनी पारंपरिक जसवंतनगर सीट से छठी बार जीते हैं.

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