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चन्द्रगुप्त मौर्य : भारत का वह योद्धा जिसके सामने सिकंदर महान की सेना ने घुटने टेके थे

प्राचीन भारत के योद्धा राजाओं की कोई भी सूची चन्द्रगुप्त मौर्य को शामिल किये बिना पूरी नहीं हो सकती  है.

चन्द्रगुप्त मौर्य : भारत का वह योद्धा जिसके सामने सिकंदर महान की सेना ने घुटने  टेके थे
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डीएनए हिंदी: प्राचीन भारत के योद्धा राजाओं की कोई भी सूची चन्द्रगुप्त मौर्य को शामिल किये बिना पूरी नहीं हो सकती  है. मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त के राज्य की सीमाएँ बलुचिस्तान, काबुल और कंधार तक पहुँचती थी. विश्व इतिहास में शायद ही कोई राजा हुआ होगा जिसने एलेग्जेंडर (सिकंदर) की विशाल सेना को हार का स्वाद चखाया होगा किन्तु चन्द्रगुप्त मौर्य ने न केवल सिकंदर के यूनानी सेनापति सेल्युकस को हराकर सिकंदर के द्वारा जीते हुए बड़े इलाक़ों पर कब्ज़ा जमाया बल्कि संधि प्रसताव के रूप में सेल्युकस की बेटी हेलेना को अपनी पत्नी भी बनाया. 

किसके बेटे थे चन्द्रगुप्त मौर्य 
चन्द्रगुप्त का शासनकाल 321 ईस्वी पूर्व से 297 ईस्वी पूर्व माना जाता है. उन्होंने मगध में नन्द वंश को राजगद्दी से हटाकर मौर्य वंश के शासन की स्थापना की थी. इस ‘मौर्य’ शब्द के पीछे भी कई क़िस्से हैं. पुराण समेत कई स्रोतों का कहना है कि चन्द्रगुप्त ने यह अपनी माँ मुरा से हासिल किया था. इन स्रोतों के मुताबिक चन्द्रगुप्त नन्द वंश के किसी राजकुमार और मुरा की अवैध संतान थे. कुछ कहानियां यह भी कहती हैं कि चन्द्रगुप्त पिप्पली वंश के जंगल राज्य के क्षत्रिय योद्धा की संतान थे जिनके पिता की हत्या नन्दवंश के लोगों ने करवा दी  थी... 
खैर, जन्म की कहानियों से इतर चन्द्रगुप्त का जीवन अपने शौर्य और सुन्दर शासन-प्रक्रिया की वजह से अधिक अनुकरणीय है. चन्द्रगुप्त को गुरु-शिष्य परंपरा का अपूर्व वाहक भी माना जाता है. ऐतिहासिक विवेचनाओं के  अनुसार चन्द्रगुप्त की प्रतिभा को सबसे पहले आचार्य विष्णुगुप्त ने पहचाना था, जिन्हें चाणक्य भी कहा जाता था. चन्द्रगुप्त ने सदैव अपने गुरु का दामन थामा और ताउम्र उनकी सलाह को विशेष स्थान दिया. उल्लेखनीय है कि चाणक्य की ही सलाह पर चन्द्रगुप्त ने पूर्ववर्ती नन्द वंश के एक विश्वासपात्र मंत्री को अपने राज्य में महत्वपूर्ण पद दिया और कालांतर में यह फैसला उचित साबित हुआ. 

चार लाख से ऊपर की सैन्य क्षमता 
एक और महत्वपूर्ण बात जो चंद्रगुप्त के सैन्य समझ को रेखांकित करती है, वह यह है कि आज से तकरीबन पच्चीस सौ साल पहले चन्द्रगुप्त मौर्य के पास लगभग चार लाख सैनिक थे जिनमें हाथी, घोड़े और पैदल सैनिक शामिल थे. प्राचीन दार्शनिक मेगास्थनीज़ भी चन्द्रगुप्त के शासनकाल में ही भारत में सेल्युकस के राजदूत के तौर पर पदस्थापित हुए थे. चन्द्रगुप्त के बाद मौर्य वंश की बागडोर उनके पुत्र बिन्दुसार के हाथ में गयी. 
 

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