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Kartik Snan: मणिकर्णिका घाट पर कार्तिक स्नान का शुभ समय, चंद्र ग्रहण की वजह से हुए बदलाव

Kashi Manikarnika Ghat Snan: काशी स्थित मणिकर्णिका घाट पर कार्तिक स्नान कल सूतक लगने से पहले तक किया जा सकेगा, यहां जानिए समय और इसका महत्व...

Kartik Snan: मणिकर्णिका घाट पर कार्तिक स्नान का शुभ समय, चंद्र ग्रहण की वजह से हुए बदलाव

मणिकर्णिका घाट पर सूतक लगने से पहले तक कार्तिक स्नान,

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डीएनए हिंदी: Kartik Purnima 2022 Kashi Manikarnika Ghat Snan Time Importance- इस बार कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि 7 नवंबर से शुरू होकर अगले दिन 8 नवंबर को शाम 4 बजकर 31 मिनट तक चलेगी. इस दिन काशी में स्थित मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने का विशेष महत्व है लेकिन कल यानि 8 नवंबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण होने की वजह से सूतक लगने से पहले ही मणिकर्णिका घाट पर गंगा स्नान किया किया जा सकेगा. इसके बाद चंद्र ग्रहण का सूतक लगेगा ऐसे में इस अवधि में गंगा स्नान नहीं किया जा सकता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि के दिन मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. चलिए जानते हैं कब किया जाएगा स्नान और क्या है इसका महत्व...

कब होगा कार्तिक पूर्णिमा का स्नान ? (Kartik Purnima 2022 Snan Date)

हिंदू पंचाग और धर्म शास्त्रों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा का स्नान और दान उदयातिथि के मुताबिक किया जाता है. इस दिन चंद्र ग्रहण लगने की वजह से सुबह 8 बजे के बाद सूतक लग जाएगा ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा का स्नान कल यानी 8 नवंबर को सुबह 8 बजे से पहले ही कर लेना उत्तम होगा. 

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ऐसे करें स्नान 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पूर्व गंगा स्नान कर सत्य व्रत का संकल्प ले कर श्रीहरि की पूजा करने के बाद जरूरतमंदों में दान करना चाहिए. इस दिन पूर्णिमा तिथि शाम को 4 बजकर 31 मिनट पर खत्म हो रही है और इसी दिन 8 बजे के बाद चंद्र ग्रहण का सूतक भी शुरू हो रहा है. ऐसे में इस दिन सूतक लगने से पहले ही स्नान कर लें. 

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कार्तिक पूर्णिमा पर मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने का महत्व (Kartik Purnima Manikarnika Ghat snan importance)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने से पाप धुल जाते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी घाट पर देवी-देवता इस दिन स्नान करने आते हैं. जिसके उपलक्ष्य में यहां देव दीपावली मनाई जाती है. कहा जाता है कि सबसे पहले मणिकर्णिका घाट पर भगवान विष्णु ने स्नान किया था, इसलिए बैकुंठ चौदस की रात के तीसरे प्रहर पर भी यहां स्नान करने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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