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Magh Mela 2023: इस दिन से प्रयागराज में लग रहा है माघ मेला, संगम पर 30 दिन तक चलने वाले कल्‍पवास का जानिए महत्व

Magh Mela 2023: माघ मेला पौष मास की पूर्णिमा के दिन 6 जनवरी को शुरू होगा. मेले का पहला स्नान पौष पूर्णिमा के दिन यानी 6 जनवरी को होगा.

Magh Mela 2023: इस दिन से प्रयागराज में लग रहा है माघ मेला, संगम पर 30 दिन तक चलने वाले कल्‍पवास का जानिए महत्व

प्रतीकात्मक तस्वीर

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डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में लगने वाला माघ मेला (Magh Mela) शुरू होने ही वाला है. मेला शुरू होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं. इस साल 2023 में यह मेला 6 जनवरी को शुरू होने वाला है. यह माघ मेला (Magh Mela) करीब डेढ़ महीने बाद 18 फरवरी 2023 को समाप्त होगा. प्रयागराज में लगने वाले इस माघ मेले (Magh Mela) का बहुत अधिक महत्व है. इस मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु देश-दुनिया से त्रिवेणी संगम (Triveni Sangam) पर पहुंचते हैं. मेले के दौरान कल्पावास (Magh Mela Kalpvas) का भी विशेष महत्व है. दरअसल, माघ मेले के दौरान साधु-संत 30 दिनों तक त्रिवेणी संगम(Triveni Sangam) पर अपना डेरा जमाते हैं. बड़ी संख्या में आम लोग भी इस त्रिवेणी संगम पर सादा जीवन यापन करते हैं. इसी को कल्पावास (Magh Mela Kalpvas) कहते हैं. यह दुनिया का सबसे बड़ा अध्यात्मिक मेला (Adhyatmik Mela) भी माना जाता है.

कल्पवास से कट जाते हैं सभी पाप (Kalpvas Benefit)
माघ मेला ब्रह्मा द्वारा ब्रह्मांड की रचना के जश्न को मनाने के लिए आयोजित किया जाता है. यहां पर बहुत से धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं. ऐसी भी मान्यता है कि जो भी माघ मेले के दौरान कल्पवास का पालन करता है उसके सभी पाप कट जाते हैं. कल्पवास करने वाले पिछले जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है और जन्म-मृत्यू के चक्र से भी आजादी मिलती है. इस साल माघ मेले में कल्पवास की शुरुआत मेले के साथ 6 जनवरी को होगी और इसका समापन 30 दिन बाद 5 फरवरी को होगा. 

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कल्पवास का पालन (Kalpvas Ka Palan)
माघ मेले में कल्पवास करने वालों को कल्पवासी कहते हैं. कल्पवासी को इस दौरान बिल्कुल सादा जीवन जीना पड़ता है. कल्पवासी को जमीन पर सोना होता है. सादा भोजन खाना होता है और अपना सारा समय त्रिदेवों की भक्ति में लगाना होता है. कल्पवास के दौरान सूर्य देव की पूजा और यज्ञ करते हैं. कल्पवास के बाद व्यक्ति अपने बिस्तर समेत सभी चीजों का दान करता है. इसके बाद ही कल्पावास पूरा होता है. 

माघ मेले का पहला स्नान
माघ मेला पौष मास की पूर्णिमा के दिन 6 जनवरी को शुरू होगा. मेले का पहला स्नान पौष पूर्णिमा के दिन यानी 6 जनवरी को होगा. दूसरा स्नान मकर संक्रांति के दिन होगा. माघ मेले का समापन महाशिवरात्री के दिन 18 फरवरी को होगा. मेला समाप्त होने के बाद मौनी अमावस्या का स्नान 21 फरवरी को होगा. 

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(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.) 

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